लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने किया ध्वजारोहण, जानें भाषण की मुख्य बातें

लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने किया ध्वजारोहण, जानें भाषण की मुख्य बातें

आज देश 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। लाल किले की प्राचीर से इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्वजारोहण किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देशवासियों को आजादी के पर्व की बधाई दी। उन्होंने कहा, “आजादी का अमृत महोत्सव, 75वें स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को और विश्वभर में भारत को और लोकतंत्र को प्रेम करने वाले सभी लोगों को बहुत शुभकामनाएं।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “देश का किसान छोटा किसान है। पहले देश की नीतियों में छोटे किसानों के लिए नीतियां नहीं थीं। लेकिन अब देश में कृषि सुधार किए जा रहे हैं। फसल बीमा में सुधार जारी है। छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड मिले। सोलर योजनाएं प्रभावी हों। हर छोटे-छोटे किसान को ध्यान में रखते हुए पीएम कृषि सम्मान योजना चलाई जा रही है। छोटा किसान बने देश की शान- ये हमारा सपना है। आने वाले वर्षों में देश के छोटे किसानों की ताक़त बढ़ानी होगी।”

देश के महापुरुषों को याद करते हुए पीएम ने कहा, “भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी हों, देश को एकजुट राष्ट्र में बदलने वाले सरदार पटेल हों या भारत को भविष्य का रास्ता दिखाने वाले बाबासाहेब अम्बेडकर, देश ऐसे हर व्यक्तित्व को याद कर रहा है, देश इन सबका ऋणी है।”

उन्होंने आगे कहा, “हम आजादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। यह पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक है। कल ही देश ने भावुक निर्णय लिया है। अब से 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद किया जाएगा।”

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कोरोना महामारी को लेकर उन्होंने कहा कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी में हमारे डॉक्टर, हमारे नर्सेस, हमारे पैरामेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी, वैक्सीन बनाने मे जुटे वैज्ञानिक हों, सेवा में जुटे नागरिक हों, वे सब भी वंदन के अधिकारी हैं।

लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने किया ध्वजारोहण, जानें भाषण की मुख्य बातें

प्रधानमंत्री ने कहा, “महामारी के दौरान दूसरे देशों की तुलना में भारत में कम लोग संक्रमित हुए हैं और हम कई जानें बचा सके हैं। समृद्ध देशों की तुलना में हमारी व्यव्स्था कम है और जनसंख्या अधिक है। लेकिन ये हमारे लिए पीठ थपथपाने का विषय नहीं है, हमें और बेहतर काम करना है।”

उन्होंने आगे कहा, “अब से लेकर आज़ादी के सौ साल तक भारत अपना अमृत काल मनाएगा। अमृत काल देश के लिए एक नया लक्ष्य है जो 25 सालों का है जिस दौरान हमें देश के विकास के लिए काम करना है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “अमृत काल का लक्ष्य है ऐसे भारत का निर्माण जहां सुविधाओं का स्तर गांव और शहरों को बांटने वाला न हो, जहां नागरिकों के जीवन में सरकार बेवजह दखल न दे, जहां दुनिया का हर आधुनिक इंफ्रास्टक्चर हो। इसके लिए देश तो बदलेगा लेकिन बदलते वक्त के अनुसार हमें भी बदलना होगा।”

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उन्होंने कहा कि देश में सुधार लागू करने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है और देश में उसकी कोई कमी नहीं है। आधुनिक काल में देश नेक्स्ट जेनेरेशन सुधार लागू किए जाएंगे ताकि देश के आखिरी कोने पर मौजूद व्यक्ति तक सभी सरकारी सुविधाएं पहुंच सके।”

नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार पहले के दौर में खुद ड्राइविंग सीट पर बैठती थी पर अब ये आधुनिक देश की जरूरत नहीं है, इसलिए देश के नागरिकों के जीवन में सरकार का दखल जितना हो सके कम किया जाना चाहिए।

मोदी ने कहा, “देश को ये प्रयास करना होगा कि देश के लोगों को अनावश्यक कानूनों और प्रक्रिया के जाल से निकाला जाए, इसके लिए सरकार से हाल में 15 हजार से अधिक रुकावटों (कंप्लायंसेज) को खत्म किया है। इजा ऑफ लिविंग और इज ऑफ डूइंग बिजनेस की हमें बहुत जरूरत है। दर्जनों श्रम कानूनों को चार कोड में समा दिया गया है और टैक्स स्टक्चर में भी बड़े बदलाव किए जा रहे हैं।”

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प्रधानमंत्री के संबोधन की दूसरी अहम बातें-

-हमारे वैज्ञानिकों और उद्यमियों की ताक़त का ही परिणाम है कि आज भारत को किसी और देश पर निर्भर नहीं होना पड़ा।

-आज हम गौरव से कह सकते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन कार्यक्रम भारत में चल रहा है। हम 54 करोड़ से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन लगा चुके हैं।

-जब सरकार ये लक्ष्य बनाकर चलती है कि हमें समाज की आखिरी पंक्ति में जो व्यक्ति खड़ा है उस तक पहुंचना है तो न कोई भेदभाव हो पाता है न ही भ्रष्टाचार की गुंजाइश रहती है। देश के हर गरीब व्यक्ति तक पोषण पहुंचाना भी सरकार की प्राथमिकता है।

-सरकार अपनी अलग अलग योजनाओं के तहत जो चावल गरीबों को देती है, फोर्टिफाई करेगी। गरीबों को पोषणयुक्त चावल देगी। राशन की दुकान पर मिलने वाला चावल हो, मिड डे मिल में बालकों को मिलने वाला चावल हो वर्ष 2024 तक हर योजना के माध्यम से मिलने वाला चावल फोर्टिफाई कर दिया जाएग।

-मेडिकल शिक्षा में जरूरी बड़े सुधार भी किए गए हैं। प्रिवेंटिव हेल्थ केयर पर भी उतना ही ध्यान दिया गया है। साथ साथ देश में मेडिकल सीटों में भी काफी बढ़ोतरी की गई है। बहुत जल्द देश के हजारो अस्पतालों के पास अपने ऑक्सीजन प्लांट भी होंगे।

-21वीं सदी में भारत को नई उंचाई पर पहुंचाने के लिए भारत के सामर्थ्य का सही और पूरा इस्तेमाल समय की मांग है, बहुत ज़रूरी है। इसके लिए जो वर्ग और क्षेत्र पीछे है उनकी हैंडहोल्डिंग करनी ही होगी।

-आज नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी का नया इतिहास लिखा जा रहा है। ये कनेक्टिविटी दिलों की भी है और इंफ्रास्ट्रक्चर की भी है। नार्थ ईस्ट की सभी राजधानियों को रेल सेवा से जोड़ने का काम बहुत जल्द पूरा होने वाला है।

-सभी के सामर्थ्य को उचित अवसर देना, यही लोकतंत्र की असली भावना है। जम्मू हो या कश्मीर, विकास का संतुलन अब ज़मीन पर दिख रहा है। जम्मू कश्मीर में डी-लिमिटेशन कमीशन का गठन हो चुका है और भविष्य में विधानसभा चुनावों के लिए भी तैयारी चल रही है।

-लद्दाख भी विकास की अपनी असीम संभावनाओं की तरफ आगे बढ़ चला है। एक तरफ लद्दाख, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण होते देख रहा है तो वहीं दूसरी तरफ ‘सिंधु सेंट्रल यूनिवर्सिटी’ लद्दाख को उच्च शिक्षा का केंद्र भी बना रही है।

-देश के जिन ज़िलों के लिए ये माना गया था कि ये पीछे रह गए, हमने उनकी आकांक्षाओं को भी जगाया है। देश मे 110 से अधिक आकांक्षी ज़िलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सड़क, रोज़गार, से जुड़ी योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इनमें से अनेक जिले आदिवासी अंचल में हैं।


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