ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कैसे करें? जानें कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कैसे करें? जानें कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

ब्रेस्ट कैंसर यानी स्तन कैंसर एक बेहद गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। यह कैंसर अधिकतर महिलाओं को होती है। हालांकि, कभी-कभी पुरुषों को भी प्रभावित कर सकती है। साइटकेयर कैंसर अस्पतालों की मानें तो 28 भारतीय महिलाओं में से एक को ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा होता है।

एक अध्ययन के अनुसार, साल 2016 में देश में तकरीबन 1,18,000 मामले पाए गए थे जबकि 5,20,000 से अधिक मामले पहले से ही दर्ज थे। फेमस मैगजिन नेचर्स में प्रकाशित परिणाम इसकी वास्तविकता पर रोशनी डालते हैं। वहीं, ग्लोबोकन 2018 आंकड़ों के मुताबिक, भारत में दोनों लिंगों में कैंसर के कुल 11,57,294 नए मामले थे, जबकि ब्रेस्ट कैंसर के मामलों के लिए पांच साल की प्रसार दर 4,05,456 थी।

यह कैंसर जानलेवा भी साबित हो सकती है। हालांकि, ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है। फिर भी हर साल इससे बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। और इसलिए ही महिलाओं को जागरूक करने के लिए अक्टूबर माह में ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं आज ब्रेस्ट कैंसर होने के कारण, लक्षण और उपाय के बारे में।

ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कैसे करें? जानें कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

कैसे होता है ब्रेस्ट कैंसर?

जब ब्रेस्टों के भीतर कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। कोशिकाओं में होने वाली लगातार वृद्धि एकत्र होकर गांठ का रूप ले लेती है, जिसे कैंसर ट्यूमर कहते हैं। ऐसा आमतौर पर दूध बनानेवाली ग्लैण्ड्स यानी लोब्यूल्स या डक्ट में होता है, जो निप्पल तक दूध लेकर जाती हैं। ब्लड या लिम्फ के जरिए कैंसर ब्रेस्टों के बाहर भी फैल सकता है। हमारे यहां महिलाएं इसके बारे में खुलकर बात नहीं कर पातीं। जिसके कारण सही समय पर इसका इलाज नहीं हो पाता।

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण

  • ब्रेस्ट का साइज बढ़ना।
  • ब्रेस्ट या निप्पल का लाल हो जाना।
  • ब्रेस्ट से खून जैसे द्रव का बाहन निकलना।
  • ब्रेस्ट में गांठ बनना।
  • बांह या गर्दन के नीचे गांठ का बनना या सूजन का आना।
  • ब्रेस्टों की त्वचा की परतें उतरना।
  • निप्पल में दर्द का रहना।

दूसरे सामान्य लक्षण

  • ब्रेस्ट से कोई तरल या चिपचिपा पदार्थ बाहर आना।
  • निपल के अग्रभाग का मुड़ना एवं रंग लाल होना।
ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कैसे करें? जानें कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

कैसे करें जांच?

महिलाएं इस विषय में किसी से बात नहीं कर पाती। इसलिए जरूरी है कि वे अपने ब्रेस्टों की खुद जांच करना सीखें और कम-से-कम महीने में एक बार ऐसा नियमित रूप से करें। इसके लिए आप पीरियड्स के कुछ दिनों बाद अपने ब्रेस्टों की जांच कर सकती हैं। क्योंकि इन ही दिनों ब्रेस्ट अपनी सही शेप में होते हैं। और जिन महिलाओं के पीरियड्स बंद हो चुके हैं, वे महीने का एक दिन इसके लिए चुन सकती हैं।

पीरियड्स के कुछ दिनों बाद आप अपने निप्पल के आसपास, बगलों के आसपास जांचे। अगर आपको किसी भी तरह की गांठ महसूस हो तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं। हालांकि हर गांठ ब्रेस्ट कैंसर की नहीं होती। गांठ कैंसर की है या नहीं, यह पता लगाने के लिए डॉक्टर बायोप्सी की मदद लेते हैं।

डायग्नोसिस की मदद लें

डायग्नोसिस का एक तरीका है मैमोग्राफी। जिसमें कम स्तर की एक्स-रे की मदद से ब्रेस्टों के टिश्यू में होनेवाले बदलावों को देखा जाता है। अगर मैमोग्राफी में कुछ असामान्यता दिखाई देती है तब ब्रेस्ट कैंसर की जांच की जाती है। जिसमें विभिन्न कोणों से एक्स-रे लिए जाते हैं और इसके बाद अल्ट्रासाउंड किया जाता है। ऐसे भी 40 पार महिलाओं को हर साल मैमोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है। चाहे उनमें ब्रेस्टों से संबंधित कोई लक्षण दिखाई दे या न दें।

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फाइन नीडल एस्पीरेशन सायटोलोजी जांच

ब्रेस्टों में कैंसर के ट्यूमर की जांच का एक और तरीका है फाइन नीडल एस्पीरेशन सायटोलोजी। इस प्रक्रिया में गांठ में नीडल डाली जाती है और एस्पीरेट ड्रेन किया जाता है। इसके बाद सेल्स को स्लाइड पर ट्रांसफर किया जाता है और माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है।

हिस्टोपैथोलोजी स्लाइड की जांच के लिए उच्चस्तरीय विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। और यह प्रक्रिया बेहद जटिल होती है। इसलिए कई बड़ी डायग्नाॅस्टिक्स चेन्स आईटी के दिग्गजों के साथ साझेदारी कर रही हैं, ताकि आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स एवं अन्य डिजिटल तकनीकों की मदद से सटीक एवं तीव्र निदान किया जा सके। उदाहरण के लिए डिजिटल पैथोलॉजी में बदलाव लाना माइक्रोसॉफ्ट एआई फॉर हेल्थ प्रोग्राम का उद्देश्य है। वर्तमान में यह अपने दूसरे चरण में है। ट्यूमर मैलिग्नेन्ट होने पर ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि हो जाती है।

ब्रेस्ट कैंसर की अवस्थाएं

ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ने के आधार पर इन्हें पांच अवस्थाओं में बांटा जाता है।

शून्य अवस्था- जब ब्रेस्ट कैंसर नॉन-इनवेसिव होता है। हालांकि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैकि इस अवस्था में कैंसर आस-पास के टिश्यूज में फैल सकता है या नहीं।

पहली अवस्था- इसमें कैंसर इनवेसिव हो जाता है। लेकिन यह ब्रेस्टों के क्षेत्र में ही सीमित रहता है। आमतौर पर इस समय ट्यूमर का आकार 2 सेंटीमीटर से कम होता है।

दूसरी अवस्था- इसमें दो उप श्रेणियां होती हैं और निम्न फीचर्स होते हैं। जैसा कि बताया गया है कि पहली श्रेणी में ट्यूमर का अधिकतम आकार 2 सेंटीमीटर हो जाता है और यह बगल में लिम्फ नोड में फैल जाता है या ट्यूमर का आकार 2 से 5 सेंटीमीटर के बीच होता है और यह लिम्फ नोड तक नहीं फैलता। वहीं, दूसरी श्रेणी में ट्यूमर का आकार 5 सेंटीमीटर से बढ़ जाता है या 2 से 5 सेंटीमीटर तक रहता है और लिम्फ नोड्स तक फैल जाता है।

तीसरी अवस्था- यह कैंसर की स्थानिक एडवान्स्ड अवस्था होती है, जिसे तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में ट्यूमर का आकार 5 सेंटीमीटर से कम होता है। दूसरी श्रेणी में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है, किंतु छाती की दीवार या ब्रेस्टों की त्वचा में फैल जाता है। इसमें त्वचा में गांठें बनने लगती हैं और ब्रेस्टों में सूजन आ जाती है। जबकि तीसरी श्रेणी में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है, किंतु लिम्फ नोड तक फैल जाता है और ब्रेस्टों की त्वचा एवं छाती की दीवार के आस-पास फैल सकता है।

चौथी अवस्था- यह एडवान्स्ड अवस्था होती है। जिसमें कैंसर ब्रेस्ट्स से शरीर के अन्य अंगों में फैल जाता है।

Woman drinking orange juice while holding her baby

ब्रेस्ट कैंसर का इलाज

ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कई तरह से किया जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि ब्रेस्टों में कैंसर के उतकों का विकास कितना गंभीर है। आम तकनीकों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और हार्मोन थेरेपी शामिल है। मामले की गंभीरता के आधार पर सर्जिकल विकल्प जैसे लम्पेक्टोमी (गांठ को निकालना) या मास्टेक्टोमी (पूरे ब्रेस्टों को निकालना) को भी चुना जा सकता है। और इसलिए बहुत जरूरी हो जाता है कि सही समय पर इसके बारे में पता चल जाएं। और पहले अगर नहीं मालूम चला हो तो कम से कम दूसरी अवस्था तक पता चल जाए ताकि इसका इलाज हो सके।

ब्रेस्ट कैंसर रोकने के उपाय

  • एक्सरसाईज और योगा नियमित तौर पर करें।
  • सूर्य के तेज किरणों के प्रभाव से बचें।
  • नमक का अत्यधिक सेवन न करें।
  • गर्भनिरोधक गोलियों का लगातार सेवन न करें। जब भी करें सेवन करें पहले डॉक्टर की सलाह लें।
  • रेड मीट का बहुत अधिक सेवन न करें।
  • अल्कोहल और धूम्रपान का सेवन न करें।
  • मोटापा न आने दें।
  • पौष्टिक और नेचुरल चीजों का सेवन करें।
  • उच्च स्तरीय रेडिएशन और एनवायरनमेंट पॉल्यूशन से बचें।

क्या ब्रेस्ट कैंसर अनुवांशिक होता है?

आपको बता दें कि ब्रेस्ट कैंसर पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता है। यानी कि ये आनुवांशिक भी हो सकता है। इसलिए अगर आपके परिवार में कभी भी किसी को कैंसर हुआ है तो इसका टेस्ट आपको कम उम्र में ही करवाना शुरू कर देना चाहिए। इससे आपको कैंसर की ग्रोथ का समय से पता चल जाएगा। महिलाओं को नियमित तौर पर जांच करवाना जरूरी है।

ब्रेस्ट कैंसर का उपचार है। बस जरूरत है जागरूकता फैलाने की। और खुद भी जागरूक रहने की। सेहतमंद जीवनशैली अपनाएं, नियमित रूप से अपनी जांच करवाएँ। अगर कोई भी संदेह हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

नोट: यह एक सामान्य जानकारी है। यह लेख किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर है।


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