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मलाइका अरोड़ा 50 की उम्र में जवां और खूबसूरत कैसे? जानें उनके 3 योग सीक्रेट
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मलाइका अरोड़ा 50 की उम्र में जवां और खूबसूरत कैसे? जानें उनके 3 योग सीक्रेट

बढ़ती उम्र में बॉलीवुड एक्‍ट्रेस मलाइका अरोड़ा पहले से अधिक फिट दिखाई देती हैं। कोई भी उनकी जवां, खूबसूरत त्‍वचा और फिटनेस को देखकर उनकी असली उम्र का अंदाजा नहीं लगा सकता है। मलाइका अरोड़ा की उम्र 50 साल हो चुकी है।

मिल गया बॉलीवुड का ब्यूटी सीक्रेट जिससे एक्ट्रेस दिखती हैं हसीन
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मिल गया बॉलीवुड का ब्यूटी सीक्रेट जिससे एक्ट्रेस दिखती हैं हसीन

कभी आपको बॉलीवुड की किसी खूबसूरत अभिनेत्री से मिलने का मौका मिला है? अगर मिला है तो आप इस बात से अच्छी तरह वाकिफ होंगे कि वे असल ज़िंदगी में और भी बेहतर दिखते हैं।

ये है देओल फैमली, सन्नी के बर्डडे पर जानें- क्यों ग्लैमर इंडस्ट्री से दूर रहता है परिवार
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ये है देओल फैमली, सन्नी के बर्डडे पर जानें- क्यों ग्लैमर इंडस्ट्री से दूर रहता है परिवार

बॉलीवुड एक्टर सन्नी देओल आज (19 अक्टूबर) अपना 65वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं। बॉबी देओल ने इस खास मौके पर अपने भैया को एक प्यारा-सा मेसेज सेंड किया और बर्डडे विश किया है। साथ में उन्होंने अपनी दोनों बहन अजीता देओल और विजेता देओल के साथ एक प्यारी-सी तस्वीर भी शेयर की है। जिसमें...

सबकुछ बिकने और बेचे जाने के दौर में फिल्म ‘मंथन’ देखनी चाहिए
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सबकुछ बिकने और बेचे जाने के दौर में फिल्म ‘मंथन’ देखनी चाहिए

सहकारिता समाजवाद का गोमुख है। एक समतावादी समाज का निर्माण उसके सदस्यों के पारस्परिक सहयोग और भाईचारा से ही सम्भव है। प्राकृतिक संसाधनों और उससे निर्मित उत्पादों का नियंत्रण एवं नियमन समाज के सदस्यों द्वारा किए जाने पर ही प्रत्येक व्यक्ति को उसके योगदान के अनुरूप प्रतिफल प्राप्त हो सकता है। सभ्यता के प्रारंभिक मंज़िल...

अनुराग कश्यप की बेटी ने किया खुलासा, बचपन में अधेड़ आदमी ने किया था सेक्शुअल हैरास
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अनुराग कश्यप की बेटी ने किया खुलासा, बचपन में अधेड़ आदमी ने किया था सेक्शुअल हैरास

बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप की बेटी आलिया कश्यप सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। उन्होंने हाल ही में इनरवियर के प्रचार के लिए फोटोशूट करवाया था जिसकी तस्वीरें इंस्टाग्राम पर शेयर की थीं। जिसके बाद से आलिया को रेप तक की धमकी मिली थी। लेकिन अब आलिया ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर...

जब प्राण ने फिल्म ‘पाकीज़ा’ के साथ बेईमानी होने पर अपना पुरस्कार लौटा दिए
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जब प्राण ने फिल्म ‘पाकीज़ा’ के साथ बेईमानी होने पर अपना पुरस्कार लौटा दिए

बॉलीवुड के मशहूर खलनायक प्राण साहब अपनी सीट पर बड़ी बेचैनी के साथ पहलू बदल रहे थे। 1973 में बॉम्बे में फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह का कार्यक्रम चल रहा था जिसमें फिल्म सितारों का सैलाब उतर आया था। बीते साल सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का पुरस्कार पाने वाले सितारों के चेहरे खुशी से चमक रहे थे। तारीफों के...

जब लता मंगेशकर को जहर देकर मारने की कोशिश की गई
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जब लता मंगेशकर को जहर देकर मारने की कोशिश की गई

उस दिन सुबह-सवेरे रियाज के लिए उठने वाली लता मंगेशकर को गैर-मामूली तौर पर पेट में दर्द महसूस हुआ। यह तकलीफ उन्हें कई दिनों से हो रही थी, जिसे वह मुसलसल नजर अंदाज करती आ रही थीं। पहले-पहले तो उन्हें ख्याल यही आया कि गानों के लगातार रिकॉर्डिंग और वक्त-बे-वक्त खाने की वजह से मुमकिन...

कस्बाई मध्यवर्गीय जीवन का अंतर्द्वंद्व है रितुपर्णो घोष की फिल्म ‘रेनकोट’
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कस्बाई मध्यवर्गीय जीवन का अंतर्द्वंद्व है रितुपर्णो घोष की फिल्म ‘रेनकोट’

कस्बाई क्षेत्र का मध्यवर्गीय जीवन अजीब द्वंद्व से घिरा होता है। इच्छाएं बड़ी मगर सुविधाओं के नहीं होने से उलझने बढ़ती जाती हैं। युवावस्था की रोमानियत यथार्थ के धरातल से टकराने पर सहसा उसे स्वीकार नहीं कर पाती। मगर यथार्थ को इंकार करने से वह बदल नहीं जाता। इसलिए विडंबनाएं होती हैं, दिल टूटते हैं...

आमिर खान ने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से दिव्या भारती बाथरूम में घंटों रोईं?
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आमिर खान ने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से दिव्या भारती बाथरूम में घंटों रोईं?

आमिर खान को परफेक्शनिस्ट माना जाता है। अभिनय की बात हो या फिर फिल्म चुनने की क्षमता, उन्हें बाकी कलाकारों से बिल्कुल अलग कर देती है। आमिर निजी जिंदगी में भी बहुत व्यवहारिक व्यक्ति माने जाते हैं। उन्होंने अपने इस परफेक्शन के चक्कर में कइयों को रुला भी चुके हैं। अपने समय की टॉप एक्ट्रेस...

छुआछूत और जातिवाद पर आधारित बिमल रॉय की फिल्म ‘सुजाता’ क्यों देखनी चाहिए
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छुआछूत और जातिवाद पर आधारित बिमल रॉय की फिल्म ‘सुजाता’ क्यों देखनी चाहिए

अश्पृश्यता मानव समाज के लिए कलंक रही है। किसी व्यक्ति को जन्म के आधार पर हीन अथवा कमतर समझना जितना अमानवीय है, ऐसी व्यवस्था के औचित्य के लिए तर्क गढ़ना उतना ही कुत्सित। सामंती समाजों के दौर में इसका चेहरा अत्यंत घिनौना था; औद्योगिक पूंजीवादी दौर में इसमें उल्लेखनीय कमी अवश्य आई, मगर इसमें संविधान...