सीरियाई नागरिकों को यातनाएं दी गईं, पिंजरों में परेड कराई गई, कई हुए अपंग: UN

सीरियाई नागरिकों को यातनाएं दी गईं, पिंजरों में परेड कराई गई, कई हुए अपंग: UN

सीरियाई गृहयुद्ध का एक दशक पूरा हो गया है। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि सीरियाई नागरिकों को इन दस सालों में न सिर्फ जेलों में बंद कर यातनाएं दी गईं बल्कि कई लोगों को अपंग बना दिया गया। जबकि कई लाख लोग मारे गए।

सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गेयर पैडरसन ने हुए कहा कि देश में हालात को, हालिया इतिहास के बेहद स्याह अध्यायों में शामिल किया जाएगा। दु:ख व्यक्त करते हुए विशेष राजदूत ने कहा कि गृहयुद्ध का एक दशक पूरा होना, सीरिया के लिए एक गम्भीर पड़ाव है और सीरिया के लोग इस सदी के सबसे बड़े पीड़ित लोग हैं।

अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनगिनत उल्लंघनों का हवाला देते हुए पैडरसन ने कहा, “मैं सीरियाई पीड़ितों को श्रृद्धांजलि देना चाहता हूं और अकल्पनीय हिंसा व अपमान को झेलने के लिए, सीरियाई पीड़ा और सहनशीलता को याद रखना चाहता हूं… जिसका सामना उन्होंने दस वर्षों से किया है।”

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अपंग हुए एवं मारे गए

उन्होंने बताया, “हर उस तरह से सीरियाई नागरिक घायल और अपंग हुए एवं मारे गए हैं, जैसा केवल कल्पनाओं में सोचा जा सकता है। यहां तक कि उनक शवों का अपमान किया गया है। इतना ही नहीं बहुत सारे लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया, उन्हें अगवा करके यातनाएं दी गईं, पिंजरों में परेड कराई गई और फिरौती वसूली गई।”

यूएन राजदूत ने ध्यान दिलाया कि उबलती गर्मी और कंपकंपा देने वाली सर्दी में विस्थापित सीरियाई नागरिकों को खुले स्थानों के नीचे सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बम धमाकों, हवाई और रॉकेट हमलों में लोगों के घर, अस्पताल और स्कूल बुरी तरह तबाह हुए हैं।

पैडरसन ने कहा, “सीरियाई महिलाओं ने सभी पक्षों की ओर से, हिंसक संघर्ष से सम्बन्धित यौन-हिंसा का सामना किया है, और जल्दी व जबरन शादी के मामले भी बढ़े हैं।” उन्होंने बताया कि सीरिया में बदतर स्वास्थ्य प्रणाली के कारण कोरोना महामारी पर काबू पाना और भी मुश्किल हो गया है।

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विरोधी पक्षों के साथ वार्ता

उन्होंने बताया कि भारी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने अपने जीवन में युद्ध देखे बिना एक दिन भी नहीं गुजारा है। जबकि दूसरे ऐसे हैं जिन्हें भोजन, दवा और शिक्षा के बगैर रहना पड़ रहा है। यूएन के विशेष दूत के मुताबिक, सीरियाई नागरिकों ने पिछले एक दशक में, परस्पर विरोधी राजनैतिक नजरियों में कोई समझौता होते नहीं देखा है, और न ही सरकार और विरोधी पक्षों के बीच वार्ता के संबंध में कोई वास्तविक प्रगति हुई है।

गेयर पैडरसन ने रोष जाहिर करते हुए कहा कि जिन लोगों द्वारा की गई कार्रवाई को मानवता के विरुद्ध अपराध के दायरे में रखा जा सकता है, उन्हें सजा मिलने का कोई भय नहीं है। उन्होंने कहा कि न सिर्फ इससे शांति समझौते के प्रयास कमजोर होते हैं बल्कि सीरिया में भयावह हालात पैदा होते हैं।

आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भू-राजनैतिक प्रतिस्पर्धा में बंटा रहा है और किसी एक या दूसरे पक्ष को समर्थन देने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाता रहा है। लेकिन इससे आम सीरियाई नागरिक के लिए शांति सुनिश्चित कर पाना सम्भव नहीं हो पाया है।

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वित्तीय संसाधनों का इंतजाम

पैडरसन ने आगे कहा कि सीरियाई सरकार, विरोधी पक्षों और अहम अंतरराष्ट्रीय पक्षों को आगे बढ़ने के लिए न केवल ये शनाख्त करनी होगी कि वे क्या चाहते हैं, बल्कि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 को आगे बढ़ाने पर भी विचार करना होगा। जिस प्रस्ताव में देश में युद्धविराम और राजनैतिक निपटारे की बात कही गई है।

विशेष दूत ने दोहराया कि सीरिया मुद्दे का राजनैतिक हल निकाला जाना ही एकमात्र रास्ता है और इसे साकार किया जा सकता है। सीरियाई जनता की सहनशीलता को सम्मान देने के इरादे से संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को शांत संदेश दूत और सेलो वादक यो-यो मा के गैर-सरकारी संगठन ‘सिल्करोड’ के साथ मिलकर ‘I wish it had been a dream: Voices from Syria’ का विमोचन किया है।

इस चार मिनट ध्वनि संदेश को 100 से ज्यादा सीरियाई लोगों के आवाज को संगीत के साथ मिलाकर तैयार किया गया है। यह संदेश पिछले एक दशक के जीवित साक्ष्यों के रूप में पेश किया गया। बता दें कि 30 मार्च को संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सीरिया के लिए एक संकल्प कार्यक्रम का आयोजन रखा है, ताकि सीरियाई नागरिकों को जीवनदायी सहायता पहुंचाने के लिए वित्तीय संसाधनों का इंतजाम किया जा सके।

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