किसान आंदोलन अब हिंसक संघर्ष में बदलता जा रहा है। दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को किसानों और भाजपा समर्थक स्थानीय प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर बवाल हुआ। दोनों गुटों ने एक-दूसरे पत्थरबाजी की जिसमें अलीपुर थाने के एसएचओ प्रदीप पालीवाल समेत पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए।
संघर्ष के दौरान के दौरान हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। बताया जा रहा है कि इस दौरान कुछ किसान और स्थानीय लोग भी घायल हो गए हैं।
#WATCH सिंघु बाॅर्डर पर झड़प होने के बाद हालात को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। pic.twitter.com/3lZj4Gvvqz
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 29, 2021
प्रदर्शनकारी अपने हाथों में तिरंगा और तख्ती लेकर आए थे। व लगो ‘भारत माता की जय’, ‘जय श्री राम’, तिरंगे का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ और ‘सिंघु बॉर्डर खाली करो, खाली करो’, जैसे नारे लगा रहे थे।
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खबरों के मुताबिक, सिंघु बॉर्डर के धरनास्थल पर करीब 150 से अधिक लोगों का एक समूह ने शुक्रवार को नारेबाजी और हंगामा किया और किसानों से जल्द सिंघु बॉर्डर को खाली करने की बात कही।
फिलहाल धरनास्थल के आसपास के करीब तीन किलोमीटर तक के दायरे में पांच लेयर का सुरक्षा घेरा बनाया गया है। हर लेयर में अर्धसैनिक बल और स्थानीय पुलिस के जवानों की तैनाती की गई है। हर लेयर में करीब 200 से 250 जवानों की तैनाती की गई है। सिंघु बॉर्डर पर हरियाणा की तरफ से दिल्ली में प्रवेश करना मुश्किल हो गया है।
सुबह के समय इससे पहले नरेला-बवाना के तथाकथित स्थानीय निवासियों ने भी तिरंगा मार्च निकाला था। पुलिस ने जहां उन्हें नहीं रोका, वहीं दूसरी तरफ किसानों को रोका गया। इतना ही दिल्ली सरकार की ओर से भेजे गए पानी के टैंकरों को भी रोका गया था।
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देखा जाए तो शाहीन बाग आंदोलन के दौरान भी ऐसा ही देखने को मिला था जब कई तथाकथित स्थानीय लोग धरनास्थल पर आ गए थे और खुब हंगामा किया था। उस समय भी मीडिया ने उन सभी को स्थानीय लोगों का विरोध कहकर संबोधित किया था।
गौरतलब है कि कल यानी गुरुवार को भी कुछ लोगों ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों को धरनास्थल खाली करने के लिए हंगामा किया था। उनलोगों ने खुद को हिंदू सेना का बताया था और कहा था कि लाल किले पर तिरंगे का जो अपमान हुआ है वो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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