शरद पवार बोले- वैज्ञानिक सोच के थे सावरकर, गौमांस सेवन की करते थे वकालत

शरद पवार बोले- वैज्ञानिक सोच के थे सावरकर, गौमांस सेवन की करते थे वकालत

नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि विनायक दामोदर सावरकर को वैज्ञानिक दृष्टिकोण को नजरअंदाज नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने रविवार को कहा कि सावरकर हिंदू धर्म के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते थे।

नासिक में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के समापन दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि सावरकर दलितों के लिए मंदिर प्रवेश सुधारों को बढ़ावा देने वाले शुरुआती लोगों में से एक थे।

पवार ने कहा, “सावरकर ने मानव उपभोग के लिए गाय के मांस और दूध की उपयोगिता की वकालत की थी। वे तर्कवादी थे। उन्होंने वैज्ञानिक रूप से इस मुद्दे पर बात रखी जिसे कम करके नहीं आंका जा सकता।”

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पवार की ये टिप्पणी भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा का सम्मेलन से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि कार्यक्रम में सावरकर का कोई जिक्र नहीं हुआ।

फडणवीस ने कहा था कि सावरकर ने मराठी साहित्य सम्मेलन और मराठी रंगमंच सम्मेलन दोनों की अध्यक्षता की थी और वह मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष भी रहे थे। भाजपा नेता ने कहा, “वह शायद एकमात्र व्यक्ति होंगे, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की, फिर भी पूरे आयोजन से उनका नाम गायब है।”

शरद पवार बोले- वैज्ञानिक सोच के थे सावरकर, गौमांस सेवन की करते थे वकालत

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “वह हमारे लिए एक आदर्श हैं और अगर हमारे आदर्श व्यक्तियों का सम्मान नहीं किया जाता, तो हम वहां क्यों जाएं।” इस पर पवार ने कहा कि भाजपा ने ‘अनावश्यक’ विवाद पैदा किया।

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उन्होंने बताया, “कैसे सावरकर ने रत्नागिरी में एक छोटा मंदिर बनाया और अनुष्ठान करने के लिए एक दलित को आमंत्रित किया। यह सामाजिक समानता का संदेश देने के लिए किया गया था। उन दिनों दलितों को मंदिरों में जाने की इजाजत नहीं थी। मंदिर का प्रभार सौंपना अकल्पनीय था।”

NCP अध्यक्ष ने आगे कहा, “ये कुछ पहलू हैं जो दिखाते हैं कि सावरकर का स्वभाव वैज्ञानिक था।” उन्होंने फिर कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में सावरकर के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। महाराष्ट्र और मराठी मानुष में हर कोई उनका सम्मान करता है।


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