कुतिया के मरने पर शोक संदेश आ जाता है पर 250 किसानों के मरने पर नहीं: सत्यपाल मलिक

कुतिया के मरने पर शोक संदेश आ जाता है पर 250 किसानों के मरने पर नहीं: सत्यपाल मलिक

किसान आन्दोलन पर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक लगातार एक के बाद एक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि एक कुत्ते के मरने पर शोक संदेश आ जाता है पर देश के 250 किसानों के मरने पर एक शब्द नहीं कोई कहता है।

दरअसल, डीडवाना से दिल्ली जाते वक्त झुंझुनूं में कुछ देर के लिए राज्यपाल मलिक रुके थे। इसी दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “किसान आदोलन जितना भी लम्बा चलेगा, देश का उतना ही नुकसान होगा।”

उन्होंने साथ ही कड़े शब्दों में नेताओं की आलोचना करते हुए कहा, “यहां एक कुतिया मर जाती है तो नेताओं का शोक संदेश आ जाता है। लेकिन आंदोलन करते-करते हमारे 250 से ज्यादा किसान मर गए, लेकिन किसी के मुंह से एक शब्द तक नहीं फूटा। यह सरासर हृदयहीनता है। किसान अपना सबकुछ छोड़-छाड़कर यहां बैठे हैं।”

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इतना ही नहीं, उन्होंने झुंझुनूं में रुकने दौरान कहा, “यहां सड़कों के नाम शहीदों के नाम पर है और ये सब देखकर मुझे अच्छा लगा।” उन्होंने आगे कहा, “यहां के हर गांव के बाहर एक शहीद की प्रतिमा लगी है। इससे ज्यादा शहादत किसी जिले ने नहीं दी है। इसलिए लोगों से कहता हूं कि तीर्थ करने की बजाय झुंझुनूं के गांवों में जाओ। शहीद की पत्नी, माँ और बच्चों से मिलो।”

कुतिया के मरने शोकसंदेश आ जाता है पर 250 से ज्यादा किसानों के मरने पर नहीं: सत्यपाल मलिक

इसके बाद राज्यपाल मलिक कहा, “ऐसा मेरा मानना है कि इस आंदोलन का जल्द ही हल हो जाएगा। सब अपनी-अपनी जगह ठीक हैं। एमएसपी ही मुख्य मुद्दा है। जिसे कानूनी कर देंगे तो मामला हल हो जाएगा।”

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन इतना समय नहीं चलना चाहिए। किसान आंदोलन में सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थ बनने के सवाल पर उन्होंने ने कहा कि वे संवैधानिक पद पर हैं। बिचौलिया नहीं बन सकते। उन्होंने कहा कि कृषि कानून पर किसान एकजुट हैं।

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उल्लेखनीय है कि सत्यपाल मलिक अपने खुले विचारों और मुखर प्रातक्रियों के लिए जाने जाने हैं। खासकर जब से वो जम्मू-कश्मीर से मे भेजे गए तब से सरकारी के उल्ट बोलते हुए देखे जा रहे हैं। उन्होंने दो दिन पहले कहा था कि सरकार एमएसपी को कानूनी तौर पर गारंटी दे।

साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया था कि बीते दिनों किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी भी उन्हीं को कहने पर रुकवाई गई थी। उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों से दो अपील की थी- पहली यह कि किसानों को खाली हाथ दिल्ली से न भेजना है और दूसरी ये कि टिकैत को गिरफ्तार करना ठीक नहीं है।

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