सलमान रश्दी ने कहा, आज गहरे अंधकार और धर्मांधता में प्रवेश कर गया है भारत

सलमान रश्दी ने कहा, आज गहरे अंधकार और धर्मांधता में प्रवेश कर गया है भारत

विश्व प्रसिद्ध उपन्यासकार सलमान रश्दी ने कहा है कि आज का भारत वह इंडिया नहीं रहा जिसका चित्रण उन्होंने अपने उपन्यास में किया। ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ किताब की 40वीं सालगिरह पर उन्होंने यह बात कही। दरअसल, रश्दी ने ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन‘ में एक लंबा लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने उपन्यास के चरित्रों के गठन, भाषा के चयन और लिखने की तैयारी में पढ़े गए उपन्यास जैसे बिंदुओं पर गहन चर्चा की है। उन्होंने लेख में भारत पर चर्चा के साथ अंत की है।

आर्टिकल में उन्होंने भारत को लेकर लिखा है कि यह वो इंडिया नहीं। रश्दी ने बगैर किसी व्यक्ति या और पार्टी का नाम लिए लिखा है, “चालीस साल एक लम्बा वक्त होता है। मुझे कहना ही होगा कि भारत अब इस उपन्यास वाला देश नहीं। जब मैंने मिडनाइट्स चिल्ड्रेन लिखा था, उस वक्त मेरे दिमाग़ में इतिहास की अर्धवृत्ताकार (Arc of History) छवि थी। इसका सिरा भले ही रक्तरंजित था लेकिन आशा से भरा था। अर्धवृत्त की इस रेखा ने आगे चल कर इमरजेंसी जैसे विश्वासघात को छू लिया। लेकिन, इसके बाद नई आशा का जन्म भी हुआ।”

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उपन्यासकार रश्दी ने मौजूदा भारत पर तल्ख शब्दों में टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा, “आज भारत आपातकाल से भी ज्यादा अंधकार भरे दौर में प्रवेश कर गया है। औरतों पर बढ़ते हमले, तानाशाही की ओर लगातार बढ़ता राज्य का चरित्र, तानाशाही से लड़ने वालों की बेजा गिरफ्तारियां, धर्मांधता और भारत को बहुसंख्यक हिंदूवादी राष्ट्र बदलने की आकांक्षा रखने वालों की इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश…और ऐसी सत्ता की लोकप्रियता आदि वे बातें हैं जो हताशा को बढ़ावा देने वाली हैं।”

सलमान रश्दी ने कहा, आज गहरे अंधकार और धर्मांधता में प्रवेश कर गया है भारत

उन्होंने आगे लिखा है, “सलमान अपने उपन्यास के हीरो सलीम का ज़िक्र करते हैं। बताते हैं कि सलीम एक मुस्लिम चरित्र था; तो भी मैं लंबी नाक वाले इस आदमी तुलना गणेश जी के साथ कर सका था। तब पूरा भारत पूरे भारतवासियों का था…कम-से-कम मैं तो ऐसा ही मानता था, पूरी गहराई से। और, वहशी सांप्रदायिकता के बावजूद अब भी मानता हूं कि सारा भारत सारे भारत का है।”

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रश्दी ने अपने लेख का अंत उम्मीदों के साथ की है। उन्होंने लिखा है कि यह उम्मीद उन्हें छात्रों और महिलाओं में दिखती है। उन्होंने लिखा है कि ये लोग अपने दृढ़ निश्चय से सांप्रदायिकता का विरोध करते हुए पहले वाले सेकुलर इंडिया को हासिल करने में सफल होंगे। आगे लिखा है कि मैं उनकी सफलता की कामना करता हूं पर भारत में इस समय तो एक बार फिर आधी रात का वक्त है।


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