राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं था, मर गई बच्ची, माँ की याचिका पर कोर्ट ने मांगा केंद्र से जवाब

राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं था, मर गई बच्ची, माँ की याचिका पर कोर्ट ने मांगा केंद्र से जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने तीन करोड़ राशन कार्डों के रद्द हो जाने से लोगों के भूख से मारे जाने की एक याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि उनकी बेटी की मौत सही समय पर खाना नहीं मिलने की वजह से हुई। यह याचिका झारखंड के सिमडेगा जिला की रहने वाली कोइली देवी ने लगाया है।

कोइली देवी ने अदालत को बताया कि सितंबर 2018 में उनकी 11 साल की बेटी संतोषी कुमारी की मौत हो गई क्योंकि उसको कई दिनों से खाना नहीं मिला था। कोइली देवी का आरोप है कि आधार कार्ड से उनके परिवार का राशन कार्ड लिंक नहीं चलते मार्च 2017 में रद्द हो गया था जिसकी वजह से उन्हें सरकार द्वारा दिया जाने वाला राशन नहीं मिल पा रहा था।

याचिका में कोइली देवी ने अपने बेटी की मृत्यु के लिए मुआवजे के अलावा अलग-अलग राज्यों में गरीबों के राशन कार्डों के रद्द होने और लोगों के भूख की वजह से मारे जाने की जांच की अपील की है। अदालत को उनके के वकील कोलिन गोंजाल्विस ने बताया कि ऐसे लगभग तीन करोड़ राशन कार्ड हैं जिन्हें आधार से लिंक नहीं होने के कारण रद्द कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‘बेहद गंभीर’ माना है और केंद्र सरकार से इस मामले पर जवाब देने को कहा है।

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भारत में तकरीबन 23.58 करोड़ राशन कार्ड हैं जिन्हें सरकार की ओर से आधार नंबर से लिंक करवाना अनिवार्य कर दिया गया था। हालांकि, मौजूदा समय तक केवल 20 करोड़ कार्डों को ही आधार से जोड़ा जा सका है, पर अभी भी बड़ी संख्या में कई कार्ड आधार से नहीं जोड़ा गया है। पहले ही सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि आधार से जुड़े नहीं होने की स्थिति में राशन कार्ड रद्द नहीं होने चाहिए और इसके तहत गरीब परिवारों को नाम-मात्र शुल्क पर मिलने वाला राशन मिलते रहना चाहिए।

दूसरी तरफ सोशल कार्यकर्ताओं का दावा है कि ऐसा हो नहीं रहा है। कोइली देवी के वकील कोलिन गोंजाल्विस ने इसी मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि विशेष रूप से आदिवासी और सुदूर इलाकों में पहले तो कई लोगों के पास आधार कार्ड है ही नहीं, और जिनके पास हैं उनमें से कई लोगों की बायोमेट्रिक पहचान हो नहीं पाती है। उन्होंने अलालत को बताया कि इस बात को केंद्र सरकार ने खुद माना है कि आधार पर इस निर्भरता की वजह से दो से चार करोड़ राशन कार्ड रद्द हो गए हैं और लोग भूख से मर रहे हैं।

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याचिका में कहा गया है कि झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और कई दूसरे राज्यों में लोग भूख से मर गए हैं पर राज्य सरकारें मौत का कारण भूख नहीं बल्कि तरह-तरह की बीमारियों बताती रहीं। सुप्रीम कोर्ट ने तीन करोड़ राशन कार्ड रद्द होने और उसकी वजह से लोगों के मौत को लेकर कहा कि अगर यह सच है तो यह ‘बहुत गंभीर’ बात है। केंद्र सरकार को कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की पूरी छानबीन कर अदालत को सामने अपना पक्ष रखे। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख चार सप्ताह बाद रखी है।

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