राहुल गांधी ने पूछा, भारत में हो रही घटनाओं पर आखिर चुप्प क्यों है अमेरिका?

राहुल गांधी ने पूछा, भारत में हो रही घटनाओं पर आखिर चुप्प क्यों है अमेरिका?

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को हार्वर्ड केनेडी स्कूल के प्रोफेसर निकोलस बर्न्स के साथ लाइव बातचीत की। कांग्रेस ने इस दौरान केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया की उन्होंने भारत की बुनियादी ढांचे को बर्बाद कर दिया है और लोकतांत्रिक मूल्यों को हनन किया है। उन्होंने भारत में चल रहे किसान आंदोलन, लॉकडाउन और ईवीएम का भी जिक्र किया और इसको लेकर सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए। इतना ही नहीं उन्होंने लद्दाख में चीनी अतिक्रमण का मुद्दा भी उठाया।

राहुल गांधी ने अपने बातचीत में शिकायत वाले लहजे में कहा कि भारत में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं उस पर अमेरिका की तरफ से चुप्पी के क्या कारण हैं। उन्होंने प्रोफेसर निकोलस बर्न्स के साथ बातचीत में सवाल किया कि भारत में जो कुछ हो रहा है, उस पर अमेरिकी संस्थानों की ओर से कुछ सुनने को नहीं मिलता।

राहुल गांधी ने कहा, “भारत में क्या हो रहा है, इस बारे में मुझे अमेरिकी प्रतिष्ठान से कुछ भी सुनने को नहीं मिला। अगर आप लोकतंत्र की साझेदारी की बात कर रहे हैं तो भारत में जो कुछ घट रहा है, उस पर अमेरिका क्यों नहीं बोलता। मेरा मतलब है कि यहां जो चल रहा है उस पर आपका (निकोलस बर्न्स) क्या विचार है।”

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राहुल गांधी ने पूछा, भारत में हो रही घटनाओं पर आखिर चुप्प क्यों है अमेरिका?

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, “मैं मूल रूप से मानता हूं कि अमेरिका एक गहन विचार है। स्वतंत्रता का विचार जिस तरह से आपके संविधान में निहित है वह एक बहुत शक्तिशाली विचार है मगर आपको उस विचार का बचाव करना चाहिए। यही असली सवाल है।” उन्होंने सत्तापक्ष की तरफ से भारत में संस्थागत ढांचे पर पूरी तरह कब्जा कर लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबला सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार संस्थाएं अपेक्षित सहयोग नहीं दे रही हैं।

जब प्रोफेसर बर्न्स ने पूछा कि कांग्रेस की चुनावी असफलता का कारण क्या है और आगे की क्या रणनीति है तो राहुल गांधी ने कहा, “हम आज ऐसी अलग स्थिति में हैं जहां वो संस्थाएं हमारी रक्षा नहीं कर पा रही हैं जिन्हें हमारी रक्षा करनी है। जिन संस्थाओं को निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबले के लिए सहयोग देना है वो अब ऐसा नहीं कर रही हैं।”

राहुल गांधी ने इसके साथ ही दावा किया कि लोगों का सत्तापक्ष से मोहभंग हो रहा है और यह कांग्रेस के लिए एक अवसर है। उन्होंने इसके बाद कोरोना संकट और लॉकडाउन के असर को लेकर कहा, “मैंने लॉकडाउन की शुरुआत में कहा था कि शक्ति का विकेंद्रीकरण किया जाए… लेकिन कुछ महीने बाद केंद्र सरकार की समझ में आया, तब तक नुकसान हो चुका था।”

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जब पूछा गया कि प्रधानमंत्री बनने का मौका मिले तो उनकी आर्थिक नीति क्या होगी? इस पर राहुल गांधी ने कहा कि वह नौकरियों के सृजन पर जोर देंगे। अर्थव्यवस्था को गति देने के उपाय से जुड़े सवाल पर राहुल गांधी ने कहा, “अब सिर्फ एक ही विकल्प है कि लोगों के हाथों में पैसे दिए जाएं। इसके लिए हमारे पास ‘न्याय’ का विचार है।”

राहुल गांधी ने चीन के वर्चस्व रणनीति को लेकर कहा कि भारत और अमेरिका जैसे देश लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ ही समृद्धि और विनिर्माण क्षेत्र के विकास से बीजिंग की चुनौती से निपट सकते हैं। उन्होंने कि चीन बातचीत की आड़ में भारत के इलाके पर कब्जा जमा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन भारत को कमजोर और अंदरूनी तौर पर बंटा हुआ देखता है।

कांग्रेस नेता ने कहा, “मेरा यकीन है कि साफ रणनीति वाले और मजबूत भारत के लिए चीनी आक्रामकता का मुकाबला करना कोई बड़ा मुद्दा नहीं होगा।” राहुल गांधी ने अपने मोबाइल दिखाते हुए कहा कि दुनिया में प्रोडक्शन की लड़ाई चीन ने जीत ली है। मैं नहीं देखता कि भारत और अमेरिका इस मुद्दे पर चीन को चुनौती दे रहे हैं।


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