एक तरफ पुलिस ने किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया, दूसरी तरफ किसान बोले- आंदोलन रहेगा जारी

एक तरफ पुलिस ने किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया, दूसरी तरफ किसान बोले- आंदोलन रहेगा जारी

गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर रैली के दौरान हुए बवाल में पुलिस लगातार एक्शन ले रही है। दिल्ली पुलिस ने अब इमिग्रेशन की मदद से किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी की है। इस बात की जानकारी दिल्ली पुलिस ने दी है। जिन किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी की गई हैं उनके पासपोर्ट भी जब्त कर लिए जाएंगे।

इससे पहले दिल्ली पुलिस योगेंद्र यादव, बलदेव सिंह सिरसा, बलबीर एस राजेवाल सहित 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी कर चुकी है। इस पर दिल्ली पुलिस से कमिश्नर ने कहा था कि किसान संगठनों ने पुलिस के साथ ‘विश्वासघात’ किया और उन्होंने पहले तय शर्तों का पालन नहीं किया। 

हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आईपीसी सेक्सन 395 (डकैती) ,397 (डकैती, चोरी या किसी को नुकसान पहुंचाने की मंशा से हमला करना), 120 B (आपराधिक साजिश की सजा) और अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया है। साथ ही पुलिस ने किसान नेताओं से नोटिस में कहा कि वह बताएं क्यों न उनके खिलाफ हिंसा के मामले में कार्रवाई की जाए।

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दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने किसान नेताओं पर धोखा देने और ट्रैक्टर रैली को लेकर समझौते तोड़ने के आरोप लगाए। उन्होंने प्रेस से बात करते हुए कहा कि पुलिस के पास वीडियो मौजूद हैं और जो भी हिंसा में शामिल होगा उसे छोड़ा नहीं जाएगा।

उन्होंने कहा, “किसान नेताओं को कुछ शर्तों के साथ कुंडली, मानेसर, पलवल पर ट्रैक्टर मार्च ट्रैक्टर की मंजूरी दी गई थी। लेकिन किसानों ने तय रूट का उल्लंघन किया और बैरिकेड्स तोड़कर दिल्ली के अंदर घुस गए। किसानों को रैली की जो इजाजत दी गई तो उसमें कहा गया था कि रैली में 5000 से अधिक ट्रैक्टर नहीं होने चाहिए और उनके पास कोई हथियार नहीं होगा। लेकिन किसानों ने पुलिस के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पुलिस बैरिकेड तोड़कर हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया।”

दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा, “हमारा समझौता किसान नेताओं के साथ हुआ था और उन्होंने हमारे साथ धोखा किया, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। किसी भी किसान नेता की संलिप्तता पाई जाती है तो उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होगी। गाजीपुर में किसान नेता राकेश टिकैत के साथ जो लोग मौजूद थे उन्होंने भी हिंसा को अंजाम दिया और अक्षरधाम तक गए, जहां कुछ किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़े और लाल किले पहुंचे।”

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वहीं, दूसरी तरफ संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेताओं नेताओं ने मीडिया से बात करते हुए साफ किया है कि दिल्ली की बॉर्डर पर चल रहा किसान आंदोलन पहले की तरह ही जारी रहेगा। किसान नेताओं ने दो टूक कहा कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती। इतना ही नहीं किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि ट्रैक्टर रैली के दौरान हुआ हिंसा सरकार का षडयंत्र था और दिल्ली पुलिस इसमें शामिल थी।

अपने प्रेस नोट में संयुक्त किसान मोर्चा ने लिखा है, “पिछले सात महीनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है। कुछ व्यक्तियों और संगठनों (मुख्य तौर पर दीप सिद्धू और सतनाम सिंह पन्नू की अगुवाई में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी) के सहारे, सरकार ने इस आंदोलन को हिंसक बनाया। हम फिर से स्पष्ट करते हैं कि हम लाल किले और दिल्ली के अन्य हिस्सों में हुई हिंसक कार्रवाइयों से हमारा कोई संबंध नहीं है। हम उन गतिविधियों की कड़ी निंदा करते है।”

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “कल दिल्ली में ट्रैक्टर रैली काफी सफलतापूर्वक हुई। अगर कोई घटना घटी है तो उसके लिए पुलिस प्रशासन जिम्मेदार रहा है। कोई लाल किले पर पहुंच जाए और पुलिस की एक गोली भी न चले। यह किसान संगठन को बदनाम करने की साजिश थी। किसान आंदोलन जारी रहेगा।”

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इतना ही नहीं किसान नेताओं ने कहा है कि वे 30 जनवरी को गांधीजी के शहादत दिवस पर, शांति और अहिंसा पर जोर देने के लिए, पूरे देश में एक दिन का उपवास रखेंगे। इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा ने जनता से दीप सिद्धू जैसे तत्वों का सामाजिक बहिष्कार करने की भी अपील की है।

वहीं, सिद्धू ने आज फेसबुक लाइव आकर किसान नेताओं को धमकी दी है कि किसान नेता उनका मुंह न खोलाएं वरना बहुत-से लोग बेनकाब हो जाएंगे। उन्होंने ये भी कहा है कि लाल किले पर क्या हुआ और किसके कहने पर हुआ जब सच सामने आएगा तो सारे-के-सारे किसान नेता आंदोलन छोड़कर भाग खड़े होंगे।

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