जेल में बंद डेढ़ दर्जन से अधिक रोहिंग्या के आपराधिक मामले वापस लेने का आदेश

जेल में बंद डेढ़ दर्जन से अधिक रोहिंग्या के आपराधिक मामले वापस लेने का आदेश

जेल में बंद डेढ़ दर्जन से अधिक रोहिंग्याओं पर ड्रग्स, पीएसए और अन्य आपराधिक मामलों को वापस लिया जाएगा। कानून विभाग ने गृह विभाग के निर्देश पर हाईकोर्ट से ऐसे मामलों को वापस लेने के लिए कहा है। दरअसल, जम्मू से सरकार रोहिंग्याओं को डिपोर्ट करने की तैयारी कर चुकी है। लेकिन कोर्ट में केस चलने की वजह से डिपोर्ट करने में परेशानी आएगी।

कानून विभाग के सचिव अचल सेठी ने कहा कि सरकार चाहती है कि सभी रोहिंग्याओं को डिपोर्ट किया जाए। कुछ लोगों के नाम गृह विभाग की तरफ नाम भेजे गए थे। पांच से छह लोग ऐसे हैं जिन पर केस चल रहे हैं। उन सभी से केस वापस लेने के लिए कहा गया है। ऐसे में हाईकोर्ट से इन मामलों को वापस लेने के लिए कहा गया है।

हाईकोर्ट के एडिशनल एडवोकेट जनरल असीम साहनी ने पुष्टि करते हुए बताया कि कानून विभाग ने ऐसे कुछ लोगों पर चल रहे केस वापस लेने को कहा है। बताया जा रहा है कि डेढ़ दर्जन से अधिक रोहिंग्या नागरिक हैं, जो जेलों में बंद हैं। वे सभी विभिन्न अपराधों में सजा काट रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिनकी सजा पूरी हो चुकी है।

जेल में बंद डेढ़ दर्जन से अधिक रोहिंग्या के आपराधिक मामले वापस लेने का आदेश

ये भी पढ़ें: कुरान पर वसीम रिजवी की याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 50 हजार का जुर्माना

उल्लेनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के होल्डिंग सेंटर में मौजूद करीब 160 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर अपना फैसला सुनाया था। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि किसी भी रोहिंग्या मुसलमान को तब तक वापस म्यांमार नहीं भेजा जाएगा, जब तक उनके डिपोर्टेशन के लिए उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती है।

हालांकि, याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर साफ कहा कि अंतरिम राहत देना संभव नहीं है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ में बने होल्डिंग सेंटर से रोहिंग्याओं को रिहा करने की अपील को भी खारिज कर दिया था। यह सुनवाई 23 मार्च को हुई थी।

तब याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट के सामने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का हवाला दिया था। उनकी तरफ से दलील में कहा गया था कि म्यांमार में रोहिंग्याओं को नरसंहार का खतरा है। कोर्ट में उन्हें ये भी दलील दी थी कि अभी म्यांमार में सत्ता मिलिट्री के पास है, ऐसे में रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजना ठीक नहीं है।

जेल में बंद डेढ़ दर्जन से अधिक रोहिंग्या के आपराधिक मामले वापस लेने का आदेश

इसके अलावा उनकी तरफ से अदालत को यह भी बताया गया था कि रोहिंग्या मुस्लिमों को कठुआ के होल्डिंग सेंटर में गैरकानूनी तरीके से रखा गया है। इसके लिए यहां की एक जेल को ही होल्डिंग सेंटर में तब्दील किया गया है। इसीलिए याचिका में उनकी रिहाई की मांग की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

ये भी पढ़ें: फिर से सड़कों को मजदूर, सैकड़ों लोग बॉर्डर पर फंसे, कई के पास राशन खत्म

बता दें कि कठुआ के होल्डिंग सेंटर में तकरीबन 200 रोहिंग्या नागरिकों को इस समय रखा गया है। सरकारी आंकड़ों को मुताबिक, 6 हजार से अधिक रोहिंग्या जम्मू और इसके आसपास के इलाकों में रह रहे हैं। सरकार रोहिंग्याओं को जम्मू से डिपोर्ट कराने की तैयारी कर रही है। वह भी ऐसे हालात में जब म्यांमार में गृह युद्ध की स्थिति बनी हुई है।

हजारों की संख्या में नागरिकों का वहां की सरकार की तख्तापलट के बाद सेना द्वारा हत्या की जा चुकी है। सैकड़ों की संख्या में म्यांमार के नागरिक पड़ोसी देशों में भाग कर पनाह ले रहे हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। बीते दिन छह सांसद भी भागकर भारत में पनाह के लिए आए हैं।


प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, कहानी-कविता, संपादकीय, लाइफस्टाइल, मनोरंजन और साहित्य की खबरें पाने के लिए ‘न्यूज बताओ’ के फेसबुक और ट्विटर हैंडल से जुड़ें। क्लिक कर लाइक और फॉलो करें!

Leave a Reply

Your email address will not be published.