किसान आंदोलन के 4 महीने पूरे, भारत बंद के मौके पर किसानों ने लगाया हाइवे पर लंगर

किसान आंदोलन के 4 महीने पूरे, भारत बंद के मौके पर किसानों ने लगाया हाइवे पर लंगर

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के आज शुक्रवार को चार महीने पूरे हो गए। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बीच मोदी सरकार के खिलाफ आज ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर पर सुबह ही नेशनल हाइवे 9 और 24 दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस वे को बंद कर दिया।

किसानों के धरने दिल्ली की जिन सीमाओं पर चल रहे हैं, वे सड़कें पहले से ही बंद हैं। उसकी जगह वैकल्पिक रास्ते खोले गए थे। भारत बंद के दौरान किसानों के तरफ से सुबह 6 से लेकर शाम 6 बजे तक इन वैकल्पिक रास्तों को भी बंद किया जाएगा। किसानों ने इसी तर्ज पर बॉर्डर के बगल से निकल रहे हाइवे पर बैठ गए हैं।

ये भी पढ़ें: ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के बेटे ने ठोका संजय लीला भंसाली और आलिया भट्ट पर मुकदमा

दरअसल, आज का ये भारत बंद सुबह 6 से शाम 6 बजे तक चलेगा। पूर्ण भारत बंद के तहत सभी दुकानें, मॉल, बाजार और संस्थान बंद रहेंगे। हालांकि, कुछ जगहों पर सुबह कुछ दुकानें खुली नजर आईं, तो कुछ बंद।

किसान मोर्चा साफतौर पर कहा है कि सभी छोटी और बड़ी सड़कें और रेलवे ट्रैक जाम की जाएंगी। केवल एम्बुलेंस और दूसरी इमर्जेंसी आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाएं बंद रहेंगी। दिल्ली के अंदर भी भारत बंद का प्रभाव रहेगा।

किसान आंदोलन के 4 महीने पूरे, भारत बंद के मौके पर किसानों ने लगाया हाइवे पर लंगर

आईएएनएस न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने एक तरफ हाईवे पर लंगर लगाया दिया है, वहीं दूसरी तरफ सरकार के खिलाफ नारेबाजी की जा रही है। सयुंक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, इस आह्वान पर देश के तमाम किसान संगठनों, मजदूर संगठनों, छात्र संगठनों, बार संघ, राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने बंद का समर्थन किया है।

ये भी पढ़ें: नन बदसलूकी मामले पर राहुल गांधी ने कहा- अब RSS को संघ परिवार नहीं कहूंगा

संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी मांग रखते हुए कहा, “पहला तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाए, दूसरा एमएसपी व खरीद पर कानून बने, तीसरा किसानों पर किए सभी पुलिस केस रद्द हो, चौथा बिजली बिल और प्रदूषण बिल वापस हो और डीजल, पेट्रोल और गैस की कीमतें कम किए जाएं।”

देश की जनता से किसानों ने अपील करते हुए कहा, “शांत रहते हुए इस बंद को सफल बनाएं। किसी भी प्रकार की नाजायज बहस में न उलझें। यह किसानों के सब्र का ही परिणाम है कि आंदोलन इतना लम्बा चला है और हमें निरंतर सफलताएं मिल रही हैं।”

दरअसल, तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें: भारत-पाकिस्तान दोस्ती के पीछे है ये मुस्लिम अरब देश, जानें कैसे हो रही बातचीत

किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम,2020; मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम2020और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं ।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड का आवाह्न किया था। उस दौरान राजधानी दिल्ली में घुसने के साथ ही हिंसा और पुलिस के साथ भारी झड़पें भी हुई थी। उसके बाद ऐसा लगा था कि किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, कहानियां, संपादकीय, लाइफस्टाइल, मनोरंजन और साहित्य की खबरें पाने के लिए ‘न्यूज बताओ‘ के फेसबुक (@thenewsbatao) और ट्विटर (@news_batao) हैंडल से जुड़ें। रेड आईडी पर क्लिक कर लाइक और फॉलो करें!

Leave a Reply

Your email address will not be published.