बातचीत शुरू, किसान नेता बोले- मांगें नहीं मानीं तो 26 जनवरी को दिल्ली में होगा परेड 

बातचीत शुरू, किसान नेता बोले- मांगें नहीं मानीं तो 26 जनवरी को दिल्ली में होगा परेड 

नई दिल्ली: किसान तीन नए कृषि कानूनों पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं। अपनी मांगों को लेकर किसान संगठन किसी भी सूरत में झुकने को तैयार नहीं हैं। किसानों ने कहा है कि अगर सरकार ने जल्द उनकी मांगे नहीं मानी तो वे दिल्ली को जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर देंगे।

खबर मिल रही है कि किसानों के साथ बैठक शुरु हो चुकी है। यह बैठक फिर से दिल्ली के विज्ञान भवन में हो रहा है। यह किसानों का सरकार के साथ चौथा बैठक कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि किसानों ने कानून को लेकर सरकार के सामने अपनी छह आपत्तियां रखी हैं।

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किसानों और सरकार की इस वार्ता से पहले आज गृह मंत्री अमित शाह और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ बैठक हुई। इससे पहले किसानों ने सरकार के सामने जो ड्राफ्ट भेजा है, उसमें कई प्रमुख मुद्दों को उठाया है। ये है छह प्रमुख मांग-

  1. तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं।
  2. बिजली बिल के कानून में बदलाव है, वो गलत है।
  3. वायु प्रदूषण के कानून में बदलाव वापस हो।
  4. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर किसानों को ऐतराज।
  5. डीजल की कीमत को आधा किया जाए।
  6. एमएसपी पर लिखित में भरोसा दे।

वहीं दूसरी तरफ सरकार संग वार्ता के लिए विज्ञान भवन पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कृषि कानून में संशोधन को लेकर कहा कि हमें उम्मीद है कि आज बात बनेगी। सभी काम होंगे, आज कानून वापसी होगी और किसान भी अपने घर जाएंगे। अभी चलकर सरकार से बात करेंगे। राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि हमें उम्मीद है कि वार्ता सार्थक होगी। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं तो किसान दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेंगे। 

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गौरतलब है कि किसानों से चर्चा के दौरान मंगलवार की बैठक में सरकार ने कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए समिति बनाने का सुझाव रखा था लेकिन किसानों ने उस प्रस्‍ताव को ठुकरा दिया था। किसान संगठनों से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि 4 से 5 नाम अपने संगठन से दें। एक समिति बना देते है जिसमें सरकार के लोग भी होंगे, कृषि विशेषज्ञ भी होंगे, नए कृषि कानून पर चर्चा करेंगे। मगर किसानों ने सरकार के इस प्रस्‍ताव को ठुकरा दिया और कहा था कि सरकार ऐसा करके इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालना चाहती है।

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