सुप्रीम कोर्ट के सीनियर नाथुलापति वेकट रमन्ना देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने बतौर उत्तराधिकारी जस्टिस रमन्ना के नाम की सिफारिश की है। 23 अप्रैल को सीजेआई बोबडे होने वाले हैं।
2 फरवरी 2017 को जस्टिस रमन्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। फिलहाल, रमन्ना कार्यकाल में दो साल से कम वक्त बचा है, क्योंकि वो 26 अगस्त 2022 को रिटायर हो जाएंगे।
जस्टिस रमन्ना ने 10 फरवरी 1983 में वकालत से अपने करिअर की शुरूआत की थी। तब चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, जस्टिस रमन्ना उस दौरान राज्य सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल हुआ करते थे।
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साइंस और लॉ में ग्रेजुएशन
रमन्ना ने साइंस और लॉ में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस की। राज्य सरकारों की एजेंसियों के लिए वो पैनल काउंसेल के तौर पर भी काम करते थे।
जस्टिस रमन्ना ने 27 जून 2000 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में स्थाई जज के तौर पर नियुक्त किए गए। साल 2013 में 13 मार्च से लेकर 20 मई तक इसके बाद वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे।
जस्टिस रमन्ना का 2 सितंबर 2013 को प्रमोशन हुआ। इसके बाद उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया। उन्हें फिर 17 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।
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फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों में सीजेआई बोबडे के बाद जस्टिस एन.वी. रमन्ना दूसरे नंबर पर हैं। ऐसे में उनका अगला सीजेआई बनना तय माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की अनुमोदित संख्या 34 (चीफ जस्टिस समेत) है।
हालांकि, कोर्ट वर्तमान में 30 जजों के साथ ही कार्यरत है, क्योंकि जस्टिस गोगोई, जस्टिस गुप्ता, जस्टिस भानुमति और जस्टिस मिश्रा की सेवानिवृत्ति के बाद अब तक एक भी नियुक्ति नहीं हो पाई है। जस्टिस गोगोई 2019 में सेवानिवृत्त हुई थी, जबकि शेष साल 2020 की शुरुआत में सेवानिवृत्त हुए थे।
लग चुके हैं भ्रष्टाचार के आरोप
आपको बता दें कि भारत के अगले मुख्य न्यायधीश एन. वी. रमना पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने से लेकर राजनीतिक साजिश रचने और चुनी हुई सरकार को गिराने की कोशिश करने के भी आरोप चुके हैं। बीते साल अक्टूबर महीने में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे को चिट्ठी लिख कर जस्टिस खिलाफ शिकायत की थी।
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जगनमोहन रेड्डी के मुख्य सलाहकार अजेय कोल्लम ने तब आठ चिट्ठी सार्वजनिक की थी जिसमें मुख्यमंत्री रेड्डी ने लिखा था कि जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की बैठकों और रोस्टर को प्रभावित कर रहे हैं। वे अमरावती भूमि घोटाले से जुड़े मामले को रोस्टर में कुछ चुनिंदा जजों को ही रख रहे हैं और इस तरह न्याय प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं।
चिट्ठी में यह भी कहा गया था कि इन भूमि घोटालों में जस्टिस रमना की बेटियों के भी नाम हैं। रेड्डी ने इतना ही नहीं जस्टिस रमना पर न्याय व्यवस्था को प्रभावित करने का आरोप भी लगाया था। उन्होंने अपने चिट्ठी में लिखा था, “जब वाईएसआर कांग्रेस पार्टी मई 2019 में सत्ता में आई और 24 जून 2019 को चंद्रबाबू नायडू के समय दिए गए सभी ठेकों की जांच का आदेश दे दिया, उस समय से ही जस्टिस एन. वी. रमन्ना राज्य में न्याय प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं।”
यह भी जगनमोहन रेड्डी ने लिखा था कि पूर्व एडवोकेट जनरल दम्मलपति श्रीनिवास पर जमीन के लेनदेन को लेकर जांच का आदेश दिया गया था, एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा था। लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।
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