गुजरात के 1,900 किसानों ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

गुजरात के 1,900 किसानों ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को साल 2024 तक शुरू करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर पिछले दो सालों में 1900 से अधिक किसानों ने शिकायतें दर्ज कराई हैं।

यह जानकारी सोमवार को गुजरात विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सामने आया। बताया जा रहा है कि बुलेट ट्रेन के लिए गुजरात में भूमि अधिग्रहण का काम लगभग 95 फीसदी पूरा हो गया है। लेकिन गुजरात में अभी भी तकरीबन दो हजार किसान इस प्रोजेक्ट के लिए किए जाने वाले भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं।

गुजरात के 1,900 किसानों ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

राज्य सरकार के तरफ से गुजरात विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक, आवश्यक भूमि का लगभग 5 प्रतिशत अभी भी अधिग्रहण किया जाना बाकी है। दरअसल, राज्य के कुछ कांग्रेसी विधायकों ने प्रदेश सरकार से सवाल किया था कि पूरे रूट के अलग-अलग जिलों में अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाई स्पीड रेल नेटवर्क के अधिग्रहण के लिए कितनी जमीन की जरूरत थी, कितनी जमीन का अधिग्रहण हुआ और अधिग्रहण के संबंध में सरकार को कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं?

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राजस्व मंत्री कौशिक पटेल ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि परियोजना के लिए कुल 73,64,819 हेक्टेयर भूमि की जरूरत थी। आवश्यक भूमि में से अब तक 69,98,888 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है और अभी भी 3,65,931 हेक्टेयर भूमि किसानों से हासिल की जानी है, जो आवश्यक कुल भूमि का लगभग पांच प्रतिशत है।

गुजरात के 1,900 किसानों ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

इतना ही नहीं कांग्रेस विधायकों ने यह भी पूछा था कि कितने किसानों ने भूमि अधिग्रहण के संबंध में विरोध किया और अधिकारियों से शिकायत की है। इस सवाल के जवाब में राजस्व मंत्री ने कहा कि कुल 1,908 किसानों ने प्रधानमंत्री की परियोजना के बारे में विरोध या शिकायत की थी, सबसे ज्यादा शिकायतें सूरत (940), उसके बाद भरुच (408), वलसाड (236), नवसारी (209), वडोदरा (26) से मिली।

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भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अहमदाबाद के चार किसानों ने भी शिकायत दर्ज कराई है। गुजरात सरकार के मुताबिक, खेडा और वलसाड में भूमि अधिग्रहण का काम हो चुका है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के किसानों ने भी वहां इस प्रोजेक्ट को लेकर किए जा रहे भूमि अधिग्रहण का विरोध किया है।

बुलेट ट्रेन के सर्वे के दौरान भी महाराष्ट्र के पालघर जिले में कई बार आंदोलन हुए हैं। खासतौर पर आदिवासी समाज को अपनी जमीन चले जाने का डर है, जो इस परियोजना के रूट पर आती है। महाराष्ट्र में जब शिवसेना और बीजेपी की सरकार थी, तब कई बार स्थानीय लोगों को मनाने की कोशिश हुई थी।

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