मोदी सरकार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के 80% पैसे विज्ञापन में उड़ाए

मोदी सरकार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के 80% पैसे विज्ञापन में उड़ाए

केंद्र की मोदी सरकार ने 22 जनवरी, 2015 को ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरूआत की थी। हालांकि, इस योजना का राज्यों में अच्छा प्रर्दशन नहीं रहा है। सरकार की ओर से इसको लेकर महिला सशक्तिकरण समिति की नवीनतम रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें धन का सही उपयोग न होने को लेकर निराशा जाहिर किया गया है।

लोकसभा में महाराष्ट्र भाजपा लोकसभा सांसद हीना विजयकुमार गावित की अध्यक्षता वाली समिति ने गुरुवार को इससे संबंधित रिपोर्ट पेश की। हीना गावित ने ‘शिक्षा के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण’ पर 5वीं रिपोर्ट पेश की गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना के लगभग 80 फीसद धनराशि का उपयोग सरकार की ओर विज्ञापन पर खर्च किए गए है, न कि महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर। समिति ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा कि 2014-15 में इसकी शुरुआत के बाद से 2019-20 तक, इस योजना के लिए कुल 848 करोड़ रुपये मंजूर हुआ। 2020-21 में महामारी के काल को छोड़कर इस दौरान राज्यों को 622.48 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई।

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रिपोर्ट के मुताबिक, “केवल 25.13% धन, यानी 156.46 करोड़ रुपये, राज्यों द्वारा खर्च किए गए हैं, जो इस योजना के अनुमानित लक्ष्य के अनुरूप प्रदर्शन नहीं है।” समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2016- 2019 के दौरान जारी किए गए कुल 446.72 करोड़ रुपये में से, केवल मीडिया विज्ञापनों पर 78.91% खर्च किया गया।

मोदी सरकार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के 80% पैसे विज्ञापन में उड़ाए

रिपोर्ट के अनुसार, “हालांकि, समिति ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए मीडिया अभियान की जरूरत को समझती है, लेकिन योजना के अन्य उद्देश्यों को संतुलित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।”

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रिपोर्ट में कहा गया है कि पैनल ने सिफारिश की है कि सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी मामलों के लिए नियोजित व्यय आवंटन पर भी ध्यान देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं’ का संचालन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय एक राष्ट्रीय पहल के तौर पर होता हैं।

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं’ योजना का उद्देश्य लड़कियों के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को खत्म करना और उनके प्रति लोगों की नकारात्मक मानसिकता में बदलाव लाना है। इसके अलावा योजना का उद्देश्य लिंगानुपात को कम करना, महिला सश्क्तिकरण को बढ़ावा देना है।


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