कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग को लेकर पार्टी के 23 नेताओं ने एक पत्र लिखा था और उनसे मुलाकात की थी। लेकिन मुलाकात के एक महीना पूरा होने के बाद भी आंतरिक चुनाव को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं हुआ है।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक बार इसको लेकर अपने पार्टी की आलोचना की है। उन्होंने रविवार को कहा कि सोनिया गांधी ने इसपर खुली चर्चा की थी और आंतरिक चुनाव का वादा किया था। लेकिन इसे लेकर अबतक कोई रिस्पॉन्स नहीं आया है, और न ही स्पष्ट किया गया है कि यह कैसे और कब होगा।
सिब्बल ने द इंडियन एक्सप्रेस अखबार को दिए एक इंटरव्यू के दौरान किसान आंदोलन के बारे में भी बात की। कांग्रेस नेता ने कहा कि इससे बचने एक ही तरीका है कि एक ऐसा कानून बनाना जाए जो किसान को उनकी उपज के लिए सही एमएसपी दे।
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सिब्बल ने कहा, “केंद्रीय विस्टा प्रोजेक्ट, अर्थव्यवस्था की स्थिति, अगला बजट और चार प्रमुख राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव हैं। उन्होंने कहा कि जब उद्योग को अधिकतम समर्थन दिया जाता है, तब किसान न्यूनतम समर्थन की मांग कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “यह सरकार जो कुछ भी करती है, वह बिना सोचे समझे करती है। यही नोटबंदी के साथ किया था, जीएसटी के समय भी यही किया और कोई भी कानून पारित करमे से पहले ऐसे ही किया गया, परामर्श के बिना बस कानून पास कर दिए गए। मुद्दों को भटकाना इस सरकार के डीएनए में है। यह एक राजशाही निर्णयों की तरह है। हम मध्यकालीन भारत के दिनों में वापस पहुंच गए हैं।”
सिब्बल ने सोनिया गांधी से मुलाकात पर कहा, “दुर्भाग्य से, मैं वहां नहीं था। क्योंकि उस वक़्त मैं यात्रा पर था। लेकिन मुझे लगता है कि वहां खुली चर्चा हुई थी और जाहिर है, कांग्रेस अध्यक्ष, जो इस समय पार्टी का मार्गदर्शन कर रही हैं, ने कहा था कि चुनाव होगा। अब, यह स्पष्ट नहीं है कि यह चुनाव कब और कैसे होंगे। हमारा मानना है कि चुनाव संविधान के प्रावधानों के अनुरूप आयोजित किए जाएंगे।”
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जब उनसे कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी की वापसी को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हम काल्पनिक बातों का जवाब देने के लिए नहीं हैं, हम वास्तविकता का जवाब देते हैं। इसलिए जब ये चीजें होंगी, जब बातचीत के टेबल पर ये बातें रखी जाएंगी, तो हमें वास्तविकता का पता चल जाएगा।”
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी वापसी से कुछ बदलेगा, उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता। मुझे लगता है कि यह सब संविधान के अनुसार और कांग्रेस पार्टी के भीतर सभी प्रमुख तत्वों और प्रमुख व्यक्तित्वों के परामर्श से आगे बढ़ने वाली प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है।
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