देश के 48वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के रूप में शनिवार को जस्टिस एन.वी. रमना ने अपना कार्यभार संभाल लिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस रमना ने जस्टिस एस.ए. बोबडे की जगह ली है। जस्टिस बोबडे का कार्यकाल 23 अप्रैल को रिटायर हुए थे।
सीजेआई के लिए जस्टिस रमना का नाम बोबडे ने राष्ट्रपति को प्रस्तावित किया था। जस्टिस रमना का कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक जारी रहेगा। यानी उनका कार्यकाल दो साल से कम बचा है। नवंबर 2019 में जस्टिस बोबडे ने 47वें सीजेआई के रूप में शपथ ली थी। जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायरमेंट के बाद उन्होंने सीजेआई का पद ग्रहण किया था।
Justice Nuthalapati Venkata Ramana sworn in as the 48th Chief Justice of India, #CJI.
— All India Radio News (@airnewsalerts) April 24, 2021
President Ram Nath Kovind administered the oath of office at Rashtrapati Bhavan.
He practiced in High Court of Andhra Pradesh,Central and AP Administrative Tribunals & the Supreme Court pic.twitter.com/owwh1WnbfP
जस्टिस रमन्ना ने 10 फरवरी 1983 में वकालत से अपने करिअर की शुरूआत की थी। तब चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, जस्टिस रमन्ना उस दौरान राज्य सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल हुआ करते थे।
ये भी पढ़ें: इंदिरापुरम गुरुद्वारा की अनोखी पहल, कोविड मरीजों के लिए शुरू की ऑक्सीजन लंगर
रमन्ना ने साइंस और लॉ में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस की। राज्य सरकारों की एजेंसियों के लिए वो पैनल काउंसेल के तौर पर भी काम करते थे।
जस्टिस रमन्ना ने 27 जून 2000 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में स्थाई जज के तौर पर नियुक्त किए गए। साल 2013 में 13 मार्च से लेकर 20 मई तक इसके बाद वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे।
जस्टिस रमन्ना का 2 सितंबर 2013 को प्रमोशन हुआ। इसके बाद उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया। उन्हें फिर 17 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।
आपको बता दें कि भारत के अगले मुख्य न्यायधीश एन. वी. रमना पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने से लेकर राजनीतिक साजिश रचने और चुनी हुई सरकार को गिराने की कोशिश करने के भी आरोप चुके हैं। बीते साल अक्टूबर महीने में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे को चिट्ठी लिख कर जस्टिस खिलाफ शिकायत की थी।
जगनमोहन रेड्डी के मुख्य सलाहकार अजेय कोल्लम ने तब आठ चिट्ठी सार्वजनिक की थी जिसमें मुख्यमंत्री रेड्डी ने लिखा था कि जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की बैठकों और रोस्टर को प्रभावित कर रहे हैं। वे अमरावती भूमि घोटाले से जुड़े मामले को रोस्टर में कुछ चुनिंदा जजों को ही रख रहे हैं और इस तरह न्याय प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें: अब जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 20 लोगों की मौत
चिट्ठी में यह भी कहा गया था कि इन भूमि घोटालों में जस्टिस रमना की बेटियों के भी नाम हैं। रेड्डी ने इतना ही नहीं जस्टिस रमना पर न्याय व्यवस्था को प्रभावित करने का आरोप भी लगाया था।
उन्होंने अपने चिट्ठी में लिखा था, “जब वाईएसआर कांग्रेस पार्टी मई 2019 में सत्ता में आई और 24 जून 2019 को चंद्रबाबू नायडू के समय दिए गए सभी ठेकों की जांच का आदेश दे दिया, उस समय से ही जस्टिस एन. वी. रमन्ना राज्य में न्याय प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं।”
यह भी जगनमोहन रेड्डी ने लिखा था कि पूर्व एडवोकेट जनरल दम्मलपति श्रीनिवास पर जमीन के लेनदेन को लेकर जांच का आदेश दिया गया था, एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा था। लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।
प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, कहानी-कविता, संपादकीय, लाइफस्टाइल, मनोरंजन और साहित्य की खबरें पाने के लिए ‘न्यूज बताओ’ के फेसबुक और ट्विटर हैंडल से जुड़ें। क्लिक कर लाइक और फॉलो करें!
Leave a Reply