दिल्ली दंगा जांच को जज ने बताया खराब, कहा- केवल खानापूर्ति कर रहे हैं अधिकारी

दिल्ली दंगा जांच को जज ने बताया खराब, कहा- केवल खानापूर्ति कर रहे हैं अधिकारी

दिल्ली दंगों को लेकर हुए जांच के स्तर को दिल्ली की एक कोर्ट ने बेहद ‘खराब’ बताया है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से कहा है कि उन्हें इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने यह टिप्पणी अशरफ अली मामले की सुनवाई के दौरान की।

उन्होंने पिछले साल 25 फरवरी को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा में पुलिस अधिकारियों पर तेजाब, कांच की बोतलों और ईंटों से हमला करने के लिए अशरफ अली के खिलाफ आरोप तय करते हुए टिप्पणी की।

उन्होंने आदेश की एक कॉपी दिल्ली पुलिस कमिश्नर को ‘उनके संदर्भ और जरूरी कदम उठाने के निर्देश के लिए’ भेजने का आदेश दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा, “ये ध्यान देने योग्य है कि बड़ी संख्या में दंगों के मामलों में, जांच का स्तर बहुत खराब है और अधिकांश मामलों में जांच अधिकारी अदालत में पेश नहीं हो रहे हैं।”

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न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक खबर के मुताबिक, 28 अगस्त को सेशन जज की ओर से दिए गए बयान में कहा गया है कि पुलिस ने जांच को गंभीरता से नहीं लिया और आरोपी नामों के साथ कई मामलों में ‘आधे-अधूरे’ आरोप पत्र दाखिल कर रही है।

दिल्ली दंगा जांच को जज ने बताया खराब, कहा- केवल खानापूर्ति कर रहे हैं अधिकारी

उन्होंने आगे कहा, “यह मामला एक ज्वलंत उदाहरण है, जिसमें पीड़ित स्वयं पुलिसकर्मी हैं, फिर भी आईओ (IO) ने एसिड का नमूना इकट्ठा करने और उसका रासायनिक विश्लेषण कराने की जहमत नहीं उठाई। आईओ ने आगे चोटों की प्रकृति के बारे में राय लेने की जहमत नहीं उठाई।”

दि हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेशन जज ये भी उल्लेख किया कि दंगों में शामिल जांच अधिकारी अभियोजकों (वादी) को ब्रीफिंग नहीं कर रहे हैं और सुनवाई के दिन केवल आरोप पत्र ईमेल कर रहे हैं।

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विनोद यादव ने कहा, “ये उचित समय है कि पूर्वोत्तर जिले के डीसीपी और अन्य उच्च अधिकारी अपने द्वारा की गई टिप्पणियों पर ध्यान दें और मामलों में तत्काल आवश्यक कार्रवाई करें और इस संबंध में विशेषज्ञों की सहायता लें। ऐसा न करने पर इन मामलों में शामिल व्यक्तियों पर अन्याय होने की संभावना है।”

उल्लेखनीय है कि बीते की शुरूआत में दिल्ली में नागरिकता कानून को लेकर कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद 23 फरवरी 2020 को पूर्वोत्तर दिल्ली में सीएए विरोधी और सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच छड़पें शुरू हो गई थीं और अचानक इसने दंगे का रूप ले लिया था। इस सांप्रदायिक दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए थे।


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