नीतीश कुमार से जाकर मिले ओवैसी के पांचों विधायक, कयासों के दौर शुरू

नीतीश कुमार से जाकर मिले ओवैसी के पांचों विधायक, कयासों के दौर शुरू

बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को लेकर सियासत गरमा गई है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के पांचों विधायकों ने आज गुरुवार को जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। मुलाकात के बाद कयासों के दौर शुरू हो गया है।

हालांकि, एआईएमआईएम विधायक दल के नेता अख्तरुल ईमान ने कहा है जैसा लोग सोच रहे हैं वैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि वे सीमांचल की समस्याओं और वहां के विकास को लेकर विधायकों के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात की।

अख्तरुल ईमान ने कहा, “हम विधायक हैं और हमारी पार्टी के बाकी विधायक भी सीमांचल से आते हैं। नीतीश कुमार सूबे के मुख्यमंत्री हैं। हम सभी विधायक के नाते मुख्यमंत्री से मिलने गए थे। सीमाचांल में कटाव कई वर्षों से एक बड़ी समस्या है। कटाव से हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। अब तक उनके पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो पाई है।”

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उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते हमलोग सीमांचल की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने गए थे। बीते साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी की एआईएमआईएम ने सीमांचल के इलाके में अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी ने पांच सीटों पर जीत का परचम लहराया था।

इससे पहले मुख्यमंत्री लोजपा विधायक राजकुमार सिंह ने भी जाकर आज मुलाकात की। लोजपा विधायक ने ठीक यही बात कहा जो अख्तरुल ईमान ने कहा। उनका भी यही कहना है कि अपने क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात की। बता दें कि इससे पहले जदयू में शामिल हुए बसपा विधायक जमा खां भी अपनी पूर्व की मुलाकातों को क्षेत्र के विकास को लेकर मिलने का बयान दिया था।

लोजपा के इकलौते विधायक राजकुमार सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुरुवार को उनके कार्यालय में मुलाकात की। उन्होंने इससे दो दिन पहले शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी से उनके आ‌वास पर जाकर मुलाकात किया था।

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ऐसी मुलाकातों के बाद बिहार की राजनीतिक गलियारे में चर्चाएं गरम हैं। हालांकि, राजकुमार सिंह ने कहा है कि इन मुलाकातों को राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। अपने क्षेत्र के विकास को लेकर वे मुख्यमंत्री से मिले हैं। मुख्यमंत्री ने भी उनके द्वारा उठाए गए विषय पर शीघ्र कार्य का आश्वासन दिया है।

दरअसल, नीतीश कुमार के कैबिनेट को लेकर हो रही देरी राजनीतिक सुगबुगाहट के मुख्य कारण हैं। मंत्रीमंडल विस्तार में हो रही देरी से साफ लगता है कि एनडीए में सब कुछ समान्य नहीं है। हालांकि, कहा जा रहा है कि 31 जनवरी को नीतीश मंत्रीमंडल का विस्तार हो सकता है।

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