मुस्लिम बुजुर्ग अब्दुल समद सैफी पर हमला मामले में उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस ने सांप्रदायिक सद्भावना बिगाड़ने के आरोप में ट्विटर और कई पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। जाने-माने पत्रकार राना अयूब, सबा नकवी, मोहम्मद जुबैर और बीबीसी के जर्नलिस्ट दिलनवाज पाशा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
इसके अलावा न्यूज वेबसाइट ‘द वायर’, कांग्रेस नेता सलमान निजामी, समा मोहम्मद और मस्कूर उस्मानी को भी नामजद अभियुक्त बनाया गया है। सभी लोगों पर आरोप है कि इन्होंने बिना तथ्य की पुष्टि किए इस मामले को सांप्रदायिक रंग दिया। इन सभी पर भारतीय दंड सहिंता की धारा 153 (दंगा भड़काना), 153A (धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 295A (धार्मिक विश्वासों का अपमान), 505 (सार्वजनिक शरारत), 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
Case against journalist Rana Ayub, Saba Naqvi, Wire, Twitter and other persons by UP police in Ghaziabad incident.
— Deepak Sharma (@DeepakSEditor) June 15, 2021
FIR was registered after a high level meeting in Lucknow. pic.twitter.com/VcvP7WNfFd
पुलिस का कहना है कि इन सभी लोगों ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के मकसद से ट्वीट किया। एफआईआर में कहा गया है कि उनके ट्वीट्स हजारों बार रीट्वीट किए गए। हालांकि, पुलिस की ओर से बुज़ुर्ग मामले में स्पष्टीकरण भी दिया गया फिर भी ट्वीट डिलीट नहीं किए गए और न ही ट्विटर ने इस पर कोई कार्रवाई की।
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दरअसल, पुलिस का कहना है कि जिस 72 वर्षीय बुजुर्ग मुस्लिम अब्दुल समद पर हमला करने और जय श्रीराम व बंदे मातरम का नारा लगवाने का वीडियो वायरल हुआ है वह झुठा है। गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि प्रवेश गुज्जर सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का पक्ष ये है कि मार-पीट की घटना में प्रवेश गुज्जर, कल्लू और पोली के अलावा आरिफ, आदिल और मुशाहिद नाम के तीन मुस्लिम युवक भी शामिल थे।
गाजियाबाद पुलिस के मुताबिक, बुज़ुर्ग तावीज बनाते थे जिसको लेकर कुछ विवाद हुआ और उनके साथ मार-पीट किया गया। वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि गाजियाबाद पुलिस ने जिन मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया है, वे हमलावरों में शामिल नहीं थे बल्कि अब्दुल समद को बचाने के लिए घटनास्थल पर गए थे।
— GHAZIABAD POLICE (@ghaziabadpolice) June 15, 2021
देखा जाए तो शुरूआत में पुलिस ने कुछ ट्वीट किए थे जिसमें उनके लोगों के नाम नहीं थे पर जब विवाद जब बढ़ा तो पुलिस की ओर पहले वर्जन को डिलीट कर दिया गया। बाद में प्राथमिकी में आदिल, आरिफ और मुशाहिद का नाम सामने आया। मकतूब की रिपोर्ट के मुताबिक, आदिल के भाई मोहम्मद साजिद ने बताया कि उसके भाई के खिलाफ लगाया गया आरोप गलत है।
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साजिद का कहना कि आदिल और उसके दोस्तों को घटना वाले दिन एक फोन आया जिसमें बताया गया कि प्रवेश गुर्जर और कुछ दूसरे लोग अब्दुल समद के साथ मार-पीटकर रहे हैं। वे सभी समद को बचाने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे। लेकिन उन सभी को भी अभियुक्त बना दिया गया। साजिद का कहना है कि वे अपने भाई आदिल के खिलाफ लगे झूठे आरोपों के खिलाफ अदालत जाएंगे। साजिद का कहना है कि आदिल प्रवेश गुर्जर को जानता था क्योंकि वह उसके जिम में आता था।
गौरतलब है कि गाजियाबाद जिले के लोनी में एक बुजुर्ग अब्दुल समद सैफी के साथ मारपीट करने का मामला सामने आया है। उनकी पिटाई से संबंधित कई वीडियोदो दिन पहले वायरल हुआ था। पीड़ित बुजुर्ग का कहना है कि उसके साथ न केवल जमकर मार-पिटाई की गई बल्कि उनकी दाढ़ी भी काट दिया गया। ये सब कुछ वीडियो में देखा जा सकता है।
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