इस्राइल ने फिर किया गाजा पर हमला, कई फिलिस्तीनी नागरिक जख्मी

इस्राइल ने फिर किया गाजा पर हमला, कई फिलिस्तीनी नागरिक जख्मी

इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। इस्राइल ने बुधवार सुबह गाजा पर हमला किया। येरुशलम में आयोजित मार्च के चलते इलाके में फिर तनाव बढ़ गया है। हालांकि, नई सरकार के कई नेताओं ने मार्च आयोजन की आलोचना की है। इस्राइल ने कहा है कि उसने गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। इस्राइल डिफेंस फोर्स का कहना है कि यह कार्रवाई गाजा पट्टी से आग लगाने वाले गुब्बारे भेजने के बाद की गई।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, बुधवार तड़के गाजा शहर धमाकों से गूंज उठा। इस्राइल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने कहा कि उसके लड़ाकू विमानों ने खान यूनुस और गाजा शहर में हमास के ठिकानों पर निशाना बनाकर हमला किया। आईडीएफ की ओर जारी बयान में कहा गया है, “इन परिसरों में आतंकवादी गतिविधि चल रही थी। गाजा पट्टी से जारी आतंकवादी हरकतों को देखते हुए आईडीएफ युद्ध शुरू करने समेत सभी तरह के हालात के लिए तैयार है।”

इस्राइल ने फिर किया गाजा पर हमला, गई फिलिस्तीनी नागरिक जख्मी

हालांकि, अभी तक हमले में किसी के मारे जाने की सूचना नहीं मिली है। उल्लेखनीय है कि 21 मई से दोनों पक्षों के बीच युद्ध विराम चल रहा था, जो 11 दिन चली गोलाबारी के बाद लागू हुआ था। लेकिन इस्राइली सेना ने बुधवार सुबह कहा कि उसने आग लगाने वाले गुब्बारों के जवाब में हमास के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। सेना ने बताया कि गुब्बारों ने गजा सीमा के नजदीक दक्षिणी इस्राइल में 20 जगहों पर आग लगा दी।

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इस्राइली सेना के प्रवक्ता एविके ऐड्री ने ट्विटर पर हवाई हमलों का एक वीडियो जारी किया है और लिखा कि गाजा शहर और दक्षिणी कस्बे खान यूनिस में ‘आतंकियों के मिलने की जगह और अन्य सुविधाओं’ को निशाना बनाया गया। दरअसल, अरब-बहुल पूर्वी येरुशलम में अतिराष्ट्रवादी दक्षिणपंथी यहूदी प्रदर्शनकारियों ने एक मार्च निकाला और झंडे लहराए।

पूर्वी येरुशलम के उस पुराने शहर में यह प्रदर्शन हुआ, जो इस्राइल-फिलिस्तीन विवाद में सबसे विवादास्पद इलाका है। कथित ‘ध्वज यात्रा’ दमिश्क दरवाजे से होती हुई पुराने शहर के बीचोबीच से गुजरी, जहां यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म के पवित्र स्थल हैं। यह पहले से माना जा रहा था कि अगर यहूदियों की ओर से मार्च निकाला गया तो तनाव बढ़ेंगे और फिर से युद्ध की स्थिति बन सकती है।

इस्राइल ने फिर किया गाजा पर हमला, गई फिलिस्तीनी नागरिक जख्मी

प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा के लिए इस प्रदर्शन के दौरान हजारों इस्राइली पुलिसकर्मी मौजूद थे। पुलिस ने दमिश्क दरवाजे के सामने से मैदान साफ करवा दिया था। सड़कें और बाजार बंद कर दिए गए थे और फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों को भी वहां से हटा दिया गया था। फिलिस्तीनियों ने बताया कि पुलिस के साथ इस दौरान लोगों की झड़पें भी हुईं, जिसके दौरान पांच लोग घायल हुए और छह को गिरफ्तार कर लिया गया।

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स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि 33 फिलिस्तीनियों को चोटें आई हैं। अतिराष्ट्रवादी सांसदों इतमार बेन-ग्वीर और बेजालेल समोत्रिच ने भी इस मार्च में हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें कंधों पर उठा रखा था। एक वक्त पर तो कुछ युवकों ने ‘अरब मुर्दाबाद’ और ‘तुम्हारे गांव जलकर राख हो जाएं’ जैसे नारे भी लगाए। इस्राइल में 14 जून को ही नई सरकार का गठन हुआ है और दक्षिणपंथी नेता नफताली बेनेट ने 12 साल तक प्रधानमंत्री रहे बेन्यामिन नेतन्याहू से कुर्सी हासिल की है। यहूदी और अरब दक्षिणपंथियों के अलावा इस सरकार में वामपंथी दल भी शामिल हैं। सरकार ने कहा कि मार्च के आयोजकों ने पुलिस से इस बारे में मश्विरा किया था कि कौन-सा रास्ता लिया जाए, ताकि अरब मूल के लोगों के साथ तनाव को टाला जा सके।

सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले याइर लैपिड ने ट्विटर पर लिखा है कि वह मानते हैं, यह मार्च कानून के दायरे में थे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा, “यह समझ से बाहर है कि आप इस्राइल का झंडा हाथ में लेकर अरब मुर्दाबाद जैसे नारे कैसे लगा सकते हैं। ये लोग इस्राइल के लिए कलंक हैं।”

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गजा और वेस्ट बैंक में अरब मूल के लोगों ने यहूदियों की ध्वज यात्रा के विरोध में ‘आक्रोश दिवस’ मनाने का आह्वान किया है। केंद्र सरकार में शामिल इस्लामिक दल ‘राम पार्टी’ के नेता मंसूर अब्बास ने कहा कि यह मार्च ‘राजनीतिक मंशा से क्षेत्र को आग में झोंक देने की कोशिश’ था और नई सरकार को कमजोर करता है। हमास और फिलिस्तीनी की सरकार ने भी इस मार्च को भड़काने वाला बताया था।

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मार्च से एक दिन पहले ही ट्विटर पर फिलिस्तीनी प्रधानमंत्री मोहम्मद श्ताये ने लिखा, “हम चेतावनी दे रहे हैं कि इसके खतरनाक नतीजे हो सकते हैं।” यह कथित ‘ध्वज यात्रा’ पहले 10 मई को आयोजित थी लेकिन तब येरुशलम में तनाव बढ़ने के बाद हमास और इस्राइल के बीच गोलाबारी शुरू हो गई, जो 11 दिन तक चलती रही। इस बीच यात्रा का रास्ता भी बदल दिया गया था और उसे तब पुराने शहर से नहीं जाने दिया गया था। माना जा रहा है कि जो स्थिति अभी बनी उससे मौजूदा संघर्ष विराम कभी भी टूट सकता है।


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