लॉकडाउन के बाद मजदूरों का पलायन, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर उमड़ा जनसैलाब

लॉकडाउन के बाद मजदूरों का पलायन, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर उमड़ा जनसैलाब

देश की राजधानी दिल्ली और जयपुर में लॉकडाउन के बाद मजदूरों का पलायन एक बार शुरू हो गया है। दिल्ली के अलग-अलग स्टेशनों और बस अड्डों पर सैलाब उमड़ आया है। लोगों अफरातफरी में निकल गए हैं।

खबरों के मुताबिक, सनसिटी जोधपुर से अब तक करीब 40 हजार मजदूर अपने घरों को लौट गए हैं। शहर के पावटा रोडवेज बस स्टैंड पर रविवार को सुबह से लोगों की भीड़ उमड़ने लगी थी। बाद में यह सिलसिला दिनभर जारी रहा। पलायन प्रवासी मजदूरों का कहना है कि पिछली बार जिस तरह की परेशानियां उठानी पड़ी थीं, वैसी नौबत दुबारा न आए इसलिए वे लोग समय रहते ही अपने घर जाना चाहते हैं।

लॉकडाउन के बाद मजदूरों का पलायन, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर उमड़ा जनसैलाब

चंडीगढ़ से खोफजदा प्रवासी मजदूरों पलायन शुरू हो गया है। पंजाब की तुलना में हरियाणा में काम काम करने वाले श्रमिक अधिक तादाद में अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। लोगों को ये भी डर है कि देशभर में फिर पूर्ण लॉकडाउन हो जाएगा। सरकार ने पिछली बार भी दिलासा दिया था पर बाद में हाथ खड़े कर दिए थे। ऐसे में जाहिर है मजदूरों का पलायन आग भी बढ़ता जाएगा।

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हरियाणा के औद्योगिक शहर पानीपत और सोनीपत के उद्यमियों के लिए श्रमिकों का संकट एक फिर आ खड़ा हुआ है। बीते एक हफ्ते में करीब 35 प्रतिशत प्रवासी श्रमिक अपने राज्यों को गए हैं। किसान आंदोलन के चलते छह महीने से सोनीपत के राई और कुंडली के उद्योग प्रभावित हुए हैं। दिल्ली में एक हफ्ते की लॉकडाउन होने से कारोबारियों और श्रमिकों को दिल्ली के रास्ते आना जाना मुश्किल होगा।

पानीपत हैंडलूम इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामनिवास गुप्ता के मुताबिक, पानीपत की 3,000 से अधिक हैंडलूम इकाइयों का उत्पादन श्रमिकों की किल्लत के चलते 30 फीसदी घट गया है। एक हफ्ता पहले ही बिहार और पश्चिम बंगाल के श्रमिकों ने अपने घरों की ओर निकलना शुरू कर दिया था। कोरोना की दूसरी लहर में अब कारोबार और ज्यादा गिरने की चिंता है।

लॉकडाउन के बाद मजदूरों का पलायन, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर उमड़ा जनसैलाब

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के डर में घर वापस लौटने वाले मजदूरों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। पानीपत मजदूर एकता संघ के रामशक्ल पारचा कहते हैं कि ट्रेनों की सीमित संख्या और सीमित रुट के चलते मध्य-प्रदेश, पूर्वी उत्तर-प्रदेश और बिहार के श्रमिकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह लोग सुविधानुसार रूट पर जहां तक भी बसें जा रही है, वहां तक का टिकट ले रहे हैं।

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सोनीपत के बहालगढ़, राई और कुंडली की फैक्ट्रियों में काम करने वाले में मजदूरों को डर है कि बगैर पगार के वे पिछले साल ही तरह से फंस जाएंगे। सरकार ने पिछले साल भी कहा था कि वे कुछ करेंगे पर आगे चल कर केंद्र और राज्य सरकार, सभी ने हाथ खड़े कर दिए थे। लोगों को उनके हालात पर छोड़ दिया गया था। ऐसे में श्रमिकों को लगता है वक्त से पहले घर पहुंच जाना ही बेहतर है।

भालगढ़ के स्टील फर्नेंस में पिछले सात सालों से काम करने वाले बिकाऊ चंद्र कहते हैं कि उनके साथ उनके गांव बिरही( सुलतानपुर यूपी) के 8 साथी जाने को तैयार है। दिल्ली से लखनऊ तक बस में जाएंगे और आगे टैंपों में जाने की तैयारी है। बिकाऊ बताते हैं कि पिछले साल भी लॉकडाउन में फंसने के चलते वह और उनके साथी अपने गांव नहीं जा पाए थे और न ही फैक्टरी के मालिक ने चार महीनें तक उन्हें पगार दिया। इस बार लॉकडाउन से पहले ही चले जाना बेहतर है।

विक्रम राई के मोती लाल नेहरु खेल स्कूल में माली का काम करते हैं। वह पिछले साल लॉकडाउन के दौरान मुश्किल से अपने घर पहुंचे थे। जिसके बाद काम की तलाश में दोबारा अगस्त महीने में सोनीपत आ गए थे। लेकिन बंद स्कूल ने तो नहीं रखा पर फैक्टरी में उन्हें 12 घंटे काम करने पर उतनी पगार मिली जितनी स्कूल में 6 घंटे काम करने पर मिलती थी। दूसरी तरफ हरियाणा चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष दीवान कपूर कहते हैं कि कोरोना में लॉकडाउन के डर से सोनीपत और पानीपत के 10,000 से अधिक लघु उद्योगों के श्रमिक इस बार भी पलायन करने लगे हैं।

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