अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की 17 करोड़ की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जब्त कर लिया है। ईडी ने मंगलवार को कहा कि उसने एमनेस्टी इंटरनेशनल (इंडिया) की दो संस्थाओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कार्रवाई कर बैंक में जमा 17 करोड़ रुपये से अधिक रकम जब्त किए।
ED provisionally attaches movable properties worth over Rs 17 cr of #Amnesty International India Private Limited and others. Action has been taken in a money laundering case.
— All India Radio News (@airnewsalerts) February 16, 2021
एक बयान में ईडी ने कहा कि उसने मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट (आईएआईटी) और एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल) और के बैंक खातों में जमा रकम की जब्ती के लिए अस्थायी आदेश जारी की है।
बयान में यह भी कहा गया कि दोनों संस्थाओं ने यह रकम अपराध के जरिये अर्जित की और यह कई चल संपत्ति के रूप में है। आदेश के तहत 17.66 करोड़ रुपये की चल संपत्ति जब्त की गई है।
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आईएआईटी,एआईआईपीएल, एमनेस्टी इंटरनैशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी) और एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया फाउंडेशन (एआईएसएएफ) के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा विदेशी अंशदान विनियमन कानून (एफसीआरए) की विभिन्न धाराओं और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला दर्ज किया है।

इस मामले को लेकर बयान में कहा गया है, “एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी) को एफसीआरए के तहत 2011-12 के दौरान एमनेस्टी इंटरनेशनल ब्रिटेन से विदेशी चंदा हासिल करने की अनुमति दी गई थी।” इसके अलावा बयान में कहा गया कि हालांकि प्रतिकूल सूचनाएं मिलने के आधार पर यह मंजूरी रद्द कर दी गई है।
मालूम हो एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पिछले साल सितंबर महीने में भारत में अपना काम बंद कर दिया था और इसका जिम्मेदार केंद्र सरकार को ठहराया था। ईडी द्वारा उनके खातों को फ्रीज किए जाने के बाद एमनेस्टी ने यह कदम उठाया था।
बता दें कथित तौर पर विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) के उल्लंघन के आरोपों में 5 नवंबर, 2019 को सीबीआई द्वारा एक एफआईआर दर्ज हुई थी जिसके बाद इस मामले में ईडी ने अलग से जांच शुरू की थी।
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उस वक्त एमनेस्टी ने आरोप लगाया था कि सरकार उसे परेशान कर रही है। हालांकि, एमनेस्टी के आरोपों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था, “मानवीय कार्यों और सत्ता से दो टूक बात करने के बारे में दिए गए बयान और कुछ नहीं, बल्कि संस्था की उन गतिविधियों से सभी का ध्यान भटकाने का तरीका है, जो भारतीय कानून का सरासर उल्लंघन करते हैं।”

पिछले साल अक्टूबर में भारत के गृह मंत्रालय ने कहा था कि संगठन का यह दावा कि उसे चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया गया, दुर्भाग्यपूर्ण है और बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात है जो सच्चाई से कोसों दूर है।
गौरतलब है कि ह्यूमन राइट्स वाच सहित 15 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी किया था जिसमें एमनेस्टी इंटरनेशनल को भारत में अपना काम बंद करने के लिए मजबूर किए जाने की आलोचना की थी।
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अपने बयान उन्होंने आगे कहा था, “हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने एमनेस्टी इंडिया पर विदेशी फंडिंग के लिए कानून तोड़ने का आरोप लगाया है। इस आरोप को समूह ने राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है और सबूत पेश किया कि सरकार के गलत कामों और ज्यादतियों को मानवाधिकार संगठनों और समूहों ने चुनौती दी तब उन्होंने दुर्भावनापूर्ण तरीके से कानूनी प्रताड़ना शुरू कर दी।”
इसके अलावा यूरोपीय संघ (ईयू) ने भी चिंता जताते हुए कहा था कि वह दुनिया भर में एमनेस्टी इंटरनेशनल के काम को बहुत महत्व देता है। यही नहीं यूरोपीय संघ की प्रवक्ता नबीला मसराली ने भारत सरकार से संगठन को देश में काम करने की अनुमति देने की अपील भी की थी।
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