मालेगांव धमाका: कर्नल पुरोहित ने कोर्ट में कहा- सरकारी आदेश पर साजिशकर्ताओं की बैठक में शामिल हुआ

मालेगांव धमाका: कर्नल पुरोहित ने कोर्ट में कहा- सरकारी आदेश पर साजिशकर्ताओं की बैठक में शामिल हुआ

मुंबई: मालेगांव बम धमाके के मुख्य आरोपियों में से एक लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ने कहा कि सैन्य ड्यूटी के तहत वे साजिशकर्ताओं के गिरोह में शामिल हुए। पुरोहित ने बॉम्बे हाईकोर्ट से बुधवार को कहा कि वे अपनी ड्यूटी के तहत भारतीय सेना को खुफिया सूचनाएं पहुंचाने के लिए साजिशकर्ताओं की बैठक में शामिल हुए थे।

पुरोहित की एक याचिका पर हाईकोर्ट की पीठ सुनवाई कर रही है। इस याचिका में उन्होंने मामले में अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को रद्द करने का अनुरोध किया है। पुरोहित पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंक रोधी कानूनों के तहत मामला दर्ज किया था।

जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एमएस कार्णिक की पीठ को पुरोहित की वकील नीला गोखले ने बताया कि वे (पुरोहित) सेना तक खुफिया सूचनाएं पहुंचाने के लिए इन बैठकों में हिस्सा ले रहे थे। नीला गोखले ने दलील दिया कि पुरोहित महज अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे थे इसलिए एनआईए को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति हासिल करनी चाहिए।

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उन्होंने पीठ से कहा कि केंद्र सरकार की अनुमति के बाद ही सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 197 (2) के तहत सैन्य बलों के सदस्यों द्वारा किसी भी अपराध के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।

भारतीय सेना और मुंबई पुलिस के पूर्व संयुक्त आयुक्त हिमांशु राय से मिले दस्तावेजों का संदर्भ देते हुए पुरोहित की वकील ने कहा कि गोपनीय सूचना मुहैया कराने के लिए पुरोहित की सराहना भी की गई थी।

अपनी दलील में पुरोहित ने कहा, “मैं इन दस्तावेजों का जिक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं अपना फर्ज निभा रहा था। इन समूहों के बीच पैठ बनाकर मैं अपने वरिष्ठों को गुप्त सूचनाएं भेजा करता था। और इस कार्य के लिए मुझे जेल में डाल दिया गया, मुझे यातना दी गई और मुझे आतंकवादी बताया गया।”

हाईकोर्ट में पिछले साल सितंबर में पुरोहित ने एक याचिका दायर कर मामले में अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करने का अनुरोध किया था। मालेगांव मामले में 2009 में गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट की पीठ आने वाले 2 फरवरी को मामले में अगली दलील सुनेगी।

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गौरतलब है कि महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव की एक मस्जिद के पास 29 सितंबर, 2008 को बम विस्फोटक हुआ था। वह विस्फोट एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक से हुआ था। उस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग जख्मी हुए थे।

अदालत ने इस मामले में अक्टूबर 2018 को पुरोहित, भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ आतंकवाद के आरोप तय कर किए थे। इन सभी आरोपियों पर गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य करना) और 18 (आतंकी साजिश रचना) के तहत आरोप तय किए गए हैं।

इसके अलावा इस सभी मुख्य आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 324 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 153ए (दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं।

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