बाल अधिकार संगठन ने कहा, जब महामारी में बच्चों को अधिक जरूरत थी सरकार ने बजट में कटौती की

बाल अधिकार संगठन ने कहा, जब महामारी में बच्चों को अधिक जरूरत थी सरकार ने बजट में कटौती की

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए आम बजट से बाल अधिकारों से जुड़े संगठनों ने निराशा जताई है। संगठनों का कहना है कि बच्चों के लिए पिछले एक दशक में ‘सबसे कम’ बजटीय आवंटन हुआ है। उनका कहना है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बच्चों को अभी सबसे अधिक वित्तीय संसाधनों की जरूरत है।

चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) की प्रीति महारा ने कहा कि बच्चों के लिए इस बार का बजटीय आवंटन पिछले 10 वर्षों में सबसे कम है। बजट में बच्चों की शिक्षा को नजरअंदाज किया गया है और उनकी सुरक्षा का भी ख्याल नहीं रखा गया है। उनके अनुसार इसमें 2.05 प्रतिशत की कमी आई है।

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उन्होंने कहा, “बजट में आर्थिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन बच्चों पर निवेश को ध्यान नहीं रखा गया है। बच्चों पर निवेश से भविष्य में बहुत फायदा होता।” उन्होंने आगे कहा, “कुल मिलाकर बजट की समीक्षा से यही पता चलता है कि इसमें देश को फिर से बेहतर बनाने की दिशा में बच्चों को शामिल करने के मौके से सरकार चूक गई है।”

महारा ने कहा, “देश को उम्मीद थी कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के मद्देनजर इस क्षेत्र में निवेश किया जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं।” अन्य बाल अधिकार संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर जहां उम्मीद की जा रही थी कि बच्चों के लिए सबसे अधिक वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता है वहीं उनके बजट में कमी कर दी गई है।

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वहीं बाल अधिकार संगठन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ ने कहा, “कोविड महामारी के दौरान बच्चों ने बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया और ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि उनकी शिक्षा पर होने वाले बजटीय आवंटन में वृद्धि होगी लेकिन उनकी शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी गई।”

बता दें बीते सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए आम बजट में शिक्षा को 93,224.31 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले साल के बजट से छह हजार करोड़ रुपये कम है ।

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