नहीं रहे चौधरी अजित सिंह, 20 अप्रैल को हुए थे कोरोना से संक्रमित

नहीं रहे चौधरी अजित सिंह, 20 अप्रैल को हुए थे कोरोना से संक्रमित

राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह का कोरोना संक्रमण के बाद निधन हो गया है। वे 82 साल के थे। यह जानकारी उनके बेटे जयंत चौधरी ने दी है। उन्होंने लिखा है कि चौधरी साहब नहीं रहे हैं। साथ में उन्होंने एक नोट भी लिखा है जिसमें बताया है कि 20 अप्रैल को अजित चौधरी कोरोना से संक्रमित हुए थे और उनका निधन आद 6 मई को हो गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है, “पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे हमेशा किसानों के हित में समर्पित रहे। उन्होंने केंद्र में कई विभागों की जिम्मेदारियों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!”

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी चौधरी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा है, “राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख अजित सिंह जी के असमय निधन का समाचार दुखद है। उनके परिवार व प्रियजनों को मेरी संवेदनाएँ।”

जबकि कांग्रेस पार्टी ने अपने सोनिया गांधी के हवाले से लिखा है, “श्रीमती सोनिया गाँधी ने चौधरी अजित सिंह के देहांत पर गहरा दुःख और संवेदना व्यक्त की हैं। श्रीमती गाँधी ने कहा कि किसान वर्ग ने एक सच्चा हितेषी खो दिया। किसानों के लिए उनका संघर्ष व खेतिहर के लिए विशेष योगदान देश सदैव याद रखेगा। विनम्र श्रद्धांजलि।”

वहीं, समाजवादी पार्टी ने लिखा है, “राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष,पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह जी का निधन, अत्यंत दुखद! आपका यूं अचानक चले जाना किसानों के संघर्ष और भारतीय राजनीति में कभी ना भरने वाली जगह छोड़ गया है। शोकाकुल परिजनों के प्रति संवेदना! दिवंगत आत्मा को शांति दे भगवान। भावभीनी श्रद्धांजलि!”

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजित सिंह ने अपनी सियासी सफर की शुरुआत 1986 से की। वे बागपत से 7 बार सांसद रहे थे। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके हैं चौधरी अजित सिंह 22 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए थे। इसके बाद से ही उनके फेफड़े में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा था। मंगलवार रात अजित सिंह की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी। इसके बाद उन्हें गुरुग्राम के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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बता दें कि अजित सिंह 1986 में राज्यसभा भेजे गए। फिर उसके बाद 1987 से 1988 तक वे लोकदल (ए) और जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। 1989 में उनकी पार्टी का विलय जनता दल में हो गया जिसके बाद वे दल के महासचिव बने। उसी साल वह पहली बार बागपत से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे। वी.पी. सिंह सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया।

वह इसके बाद 1991 में फिर बागपत से ही लोकसभा पहुंचे। इस बार भी कांग्रेस की नरसिम्हाराव सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। 1996 में वह तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा जीते पर फिर उन्होंने कांग्रेस और सीट से इस्तीफा दे दिया।

नहीं रहें चौधरी अजित सिंह, 20 अप्रैल को हुए थे कोरोना से संक्रमित

आगे चलकर चौधरी ने 1997 में राष्ट्रीय लोकदल की स्थापना की। 1997 के उप-चुनाव हुआ को वे फिर बागपत से जीतकर लोकसभा पहुंचे। लेकिन 1998 में चुनाव हार गए, लेकिन 1999 के चुनाव में फिर जीतकर लोकसभा पहुंचे। चौधरी अजित सिंह 2001 से 2003 तक अटल बिहारी सरकार में मंत्री रहे। वह 2011 में यूपीए का हिस्सा बने। 2011 से 2014 तक वे मनमोहन सरकार में मंत्री रहे।

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हालांकि, 2014 में उन्होंने मुजफ्फरनगर सीट से चुनाव लड़ा पर हार का सामना करना पड़ा। चौधरी ने साल 2019 में मुजफ्फरनगर से फिर चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी बीजेपी प्रत्याशी संजीव बलियान ने उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हाल के किसान आंदोलन का उनकी पार्टी को काफी फायदा हुआ है और जिला पंचायत चुनाव में आरएलडी ने शानदार प्रदर्शन किया है।


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