गुहाटी: अगले साल 2021 में असम विधानसभा चुनाव होने वाला हैं। सत्ताधारी भाजपा ने चुनाव को देखते हुए एक बड़ा दांव चला है। 1 अप्रैल, 2021 से राज्य की सर्वानंद सोनोवाल सरकार ने राज्य में सभी सरकारी मदरसों को बंद करने और उन्हें स्कूलों में बदलने से जुड़ा एक विधेयक सोमवार को विधानसभा में पेश किया।
शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने विपक्ष की आपत्ति के बावजूद विधानसभा के तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र के पहले दिन असम निरसन विधेयक, 2020 को पेश किया। उन्होंने विधेयक में दो मदरसा से जुड़े मौजूदा कानूनों को निरसत करने का प्रस्ताव रखा है।
Today, I shall introduce a Bill to repeal provincialisation of Madrassa. Once the Bill is passed, the practice of running Madrassa by Assam govt will come to an end, a practice which was started by Muslim League govt in pre-Independence Assam: State Minister Himanta Biswa Sarma pic.twitter.com/jWr7lk9WXk
— ANI (@ANI) December 28, 2020
उन्होंने कानूनों असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) कानून, 1995 और असम मदरसा शिक्षा (कर्मचारियों की सेवा का प्रांतीयकरण और मदरसा शिक्षण संस्थानों का पुनर्गठन) कानून, 2018 को निरस्त करने का प्रस्ताव दिया गया है।
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शिक्षा मंत्री ने कहा, “विधेयक निजी मदरसे पर नियंत्रण और उनको बंद करने के लिए नहीं है।” सरमा ने कहा, “विधेयक के ‘लक्ष्यों और उद्देश्यों के बयान’ में ‘निजी’ शब्द गलती से शामिल हो गया।”
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि सभी मदरसे उच्च प्राथमिक, उच्च और माध्यमिक स्कूलों में तब्दील किए जाएंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि शिक्षक तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि हेमंत बिस्व सरमा ने इससे पहले कहा था कि असम में सरकार संचालित 610 मदरसे हैं और सरकार इन संस्थानों पर प्रति वर्ष 260 करोड़ रुपये खर्च करती है। शिक्षा मंत्री ने ये भी कहा था कि असम राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड को भंग कर दिया जाएगा।
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उन्होंने कहा था कि सभी सरकारी मदरसे को उच्च विद्यालयों में तब्दील किए जाएंगे और वर्तमान छात्रों के लिए नया नामांकन नियमित छात्रों की तरह होगा। असम कैबिनेट ने सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने के प्रस्ताव को 13 दिसंबर को मंजूरी दी थी।
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