अखिलेश यादव को किया गया नजरबंद, पूर्व मुख्यमंत्री का आवास छावनी में तब्दील

अखिलेश यादव को किया गया नजरबंद, पूर्व मुख्यमंत्री का आवास छावनी में तब्दील

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) किसान आंदोलन का समर्थन कर रही है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हर जिले में किसानों के समर्थन में यात्रा आयोजित करने का आह्वान की थी। जिसके बाद सोमवार की सुबह सपा कार्यालय से लेकर अखिलेश यादव के घर तक पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। अखिलेश यादव को विक्रमादित्य मार्ग पर यानी उनके आवास में ही नजरबंद किया गया है। इस पर सरकार कोरोना संक्रमण का हवाला दे रही है।

अखिलेश यादव को सोमवार को 11 बजे कन्नौज से समाजवादी पार्टी किसान यात्रा को रवाना करने का कार्यक्रम था। कन्नौज में जिलाधिकारी ने अखिलेश यादव के किसान मार्च को मंजूरी नहीं दी। और उनको उनके आवास में ही नजरबंद कर दिया गया है। यही नहीं उनके आवास के साथ ही विक्रमादित्य मार्ग पर सपा कार्यालय को भी बैरिकेडिंग लगाकर सील कर दिया गया है। कन्नौज में सपाइयों को रोकने के लिए प्रशासन तैयार है। भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर है।

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इसके अलावा अखिलेश यादव की गाड़ी के साथ ही सिक्योरिटी को भी बैरीकैडिंग के बाहर ही रोक दिया गया है। उनको भी अखिलेश यादव के घर में प्रवेश करने नहीं दिया गया है। अखिलेश यादव के आवास के पास गौतम पल्ली थाना की फोर्स के साथ ही लखनऊ के अन्य थाना क्षेत्र की फोर्स को तैनात किया गया है। पार्टी के दो एमएलसी उदयवीर सिंह तथा राजपाल कश्यप अखिलेश यादव से मिलने उनके आवास पर जा रहे रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें भी सड़क पर ही रोक दिया। दोनों नेताओं ने अपना परिचय देने के साथ ही अपना आई कार्ड भी दिखाया, इसके बावजूद उन्हें रोका दिया गया।

दूसरी तरफ विधान परिषद सदस्य राजपाल कश्यप और आशु मलिक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इसपर राजपाल कश्यप ने कहा प्रदेश सरकार अखिलेश यादव से घबरा गई है। किसानों की आवाज उठाने पर अन्याय किया जा रहा है। वहीं इस संबंध में कन्नौज के जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने कहा, “अभी कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है लिहाजा भीड़ जुटाने की अनुमति किसी भी स्थिति में नहीं दी जा सकती। सपा मुखिया को पत्र भेजकर इस पर अवगत करा दिया गया है।”

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प्रशासन का कहना है कि अगर फिर भी भीड़ जुटती है तो कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि दिल्ली में केंद्र द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग किसान कर रहे हैं। किसानों के साथ सरकार की कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। इसलिए किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है।

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