नई दिल्ली: भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को कोवाक्सिन के तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है। लेकिन उससे पहले इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। हालांकि, बीते महीने दिसंबर 2020 में मध्य प्रदेश के भोपाल में एक वॉलिंटियर की मौत के बाद वैक्सीन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। भारत बायोटेक ने अब इस मामले पर बयान जारी किया है। वैक्सीन कंपनी ने अपने बयान में वॉलिंटियर की मौत की ‘संभावित’ वजह ‘संदिग्ध रूप से जहरीला पदार्थ’ खाने से हुए ‘कार्डियो-रेस्पिरेटरी फेलियर’ को बताया है। कंपनी ने कहा है कि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
कंपनी ने अपने बयान में कहा, “वॉलिंटियर ने एनरोलमेंट के समय फेज 3 ट्रायल्स में पार्टिसिपेंट के तौर पर हिस्सा लेने के लिए सभी क्राइटेरिया पूरे किए थे।” भारत बायोटेक ने बताया, “हम बताना चाहेंगे कि 21 दिसंबर 2020 को एक वॉलिंटियर की मौत हो गई थी और पीपल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर को मृतक के बेटे ने जानकारी दी। डोज दिए जाने के 7 दिन बाद सभी साइट फॉलोअप के समय वॉलिंटियर स्वस्थ पाया गया था और कोई एडवर्स इवेंट नहीं देखा गया।”
1. I'm in Bhopal this week reporting on Bharat Biotech & ICMR's COVID vaccine trial.
— Anoo Bhuyan (@AnooBhu) January 9, 2021
Here's the family of Deepak Marabi. Marabi died on 21 Dec 2020. His family says it's from the vaccine, as he took part in the trial in Dec. pic.twitter.com/3LkYLQQftL
कंपनी ने बताया कि वॉलिंटियर की डोज मिलने के नौ दिन बाद मौत हो गई थी और ‘साइट के प्रिलिमिनरी रिव्यू से संकेत मिलते हैं कि मौत डोज से संबंधित नहीं है।” कंपनी ने आगे कहा, “हम पुष्टि नहीं कर सकते कि वॉलिंटियर को स्टडी वैक्सीन दी गई थी या प्लेसिबो क्योंकि स्टडी ब्लाइंडिड है।”
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भारत बायोटेक ने कहा, “मरीज की और बीमारियां या पहले की कोई स्थिति या असंबंधित घटना जैसे कि दुर्घटना क्लीनिकल ट्रायल के दौरान किसी भी एडवर्स डेवलपमेंट को जन्म दे सकते हैं। इस सीरियस एडवर्स इवेंट की अच्छे से जांच की गई है और पाया गया कि ये वैक्सीन या प्लेसिबो से संबंधित नहीं है।” कंपनी का कहना है कि वह मध्य प्रदेश पुलिस की जांच में मदद कर रही है। इसके अलावा कंपनी ने मृतक के परिवार के प्रति हमदर्दी जताई है।
दरअसल, भोपाल के कई लोगों का आरोप है कि पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर ने उन्हें बिना आवश्यक जानकारी दिए उन्हें कोरोना वैक्सीन के एक नैदानिक परीक्षण में शामिल किया। कारवां पत्रिका ने इसको लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। पत्रिका ने भोपाल में परीक्षण में शामिल कई प्रतिभागियों से बात की है और उसके आधार पर अपनी रिपोर्ट पब्लिश की है।
कारवां के रिपोर्ट के मुताबिक, “केंद्र के प्रतिनिधियों ने वालंटियर्स की तलाश में उनके इलाके का दौरा किया था। इस दौरान कुछ निवासियों बताया गया कि उन्हें अपना समय देने और भागीदारी देने के लिए 750 रुपए मिलेंगे। हालांकि, प्रतिभागियों को ये नहीं बताया गया था कि यह एक नैदानिक परीक्षण है और न ही इसके संभावित दुष्प्रभावों की जानकारी दी थी।”
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रिपोर्ट के अनुसार, “परिक्षण में शामिल सात लोगों ने बताया कि उन्होंने परीक्षण में भाग लेने के बाद गंभीर प्रतिकूल असर हुआ। उनमें से ज्यादातर उन परिवारों से हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और यूनियन कार्बाइड संयंत्र के करीब रहते हैं, जहां 1984 में एक घातक गैस रिसाव हुआ था। परीक्षण में शामिल कई प्रतिभागी इस औद्योगिक दुर्घटना में जीवित बचे लोग भी हैं।”
कोरोना वैक्सीन लेने वाले शंकर नगर इलाके के निवासी 36 वर्षीय जितेंद्र के हवाले से कारवां ने लिखा है कि वह पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर 10 दिसंबर 2020 को गए थे। कॉलेज के लोग उसी दिन की शुरुआत में उनके पड़ोस में आए थे और घोषणा की थी। कॉलेज से आए लोगों ने उन्हें बताया कि एक टीका लगाया जाएगा और कुछ पैसे दिए जाएंगे। कई लोगों ने इसके बाद कोवाविक्स वैक्सीन ली जिसके गंभीर दुष्प्रभाव देने को मिले।
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