सरकार के रुख से नाराज किसान ने खाई सल्फास की गोली, इलाज के दौरान मौत

सरकार के रुख से नाराज किसान ने खाई सल्फास की गोली, इलाज के दौरान मौत

नई दिल्ली: कृषि कानून को लेकर चल रहे आंदोनल के बीच शनिवार को एक किसान ने सल्फास खाकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि मौके से अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। यह घटना सिंघु बॉर्डर पर देर शाम को हुई।

वहीं इस घटना से किसान दुखी और गुस्से में है। किसानों ने बॉर्डर पर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। इससे पहले भी किसानों के समर्थन में एक संत ने भी आत्महत्या कर ली थी और उसके कुछ ही दिनों बाद एक और किसान ने आत्महत्या कर ली थी।

ये भी पढ़ें: ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की तैयारी शुरू, दूसरी तरफ ट्वीटर अकाउंट हमेशा के लिए सस्पेंड

खबरों के मुताबिक, शनिवार की शाम सिंघु बॉर्डर पर मंच से वक्ताओं का कार्यक्रम चल रहा था, कार्यक्रम खत्म हो ही रहा था कि उसी समय पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से आए करीब 40 साल के अमरिंदर सिंह ने मंच के पीछे ही सल्फास खा लिए। फिर मंच की ओर बढ़े। वे कुछ बोल रहे थे लेकिन बोलते-बोलते वहीं बेहोश होकर गिर पड़े। उनके मुंह से झाग निकलने लगा।

आनन-फानन में उन्हें वहीं नजदीक स्थित फ्रैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल ले जाया गया। जहां उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, शाम करीब साढ़े सात बजे ईलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

2 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान जिनका नाम कश्मीर सिंह था उन्होंने शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि उनकी शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए।

ये भी पढ़ें: नबूवत का दावा करने और सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखने के आरोप में 3 को सजाए मौत

सुसाइड नोट में यह भी लिखा था कि दिल्ली सीमा पर ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इससे पहले 1 जनवरी को गाजीपुर सीमा पर ही 57 वर्षीय प्रदर्शनकारी किसान मोहर सिंह की दिल का दौरा लड़ने से मौत हो गई थी। वे उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले थे।

संत बाबा राम सिंह ने 16 दिसंबर को आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने खुद को गोली मार ली थी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। यह घटना करनाल में बॉर्डर के पास हुई थी। किसानों के साथ सरकार के रवैये से बाबा रामसिंह आहत थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.