इस्राइल के खिलाफ UN में प्रस्ताव पास, चीन देगा फिलिस्तीन को 10 लाख डॉलर मदद

इस्राइल के खिलाफ UN में प्रस्ताव पास, चीन देगा फिलिस्तीन को 10 लाख डॉलर मदद

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार संस्था संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यानी यूएनएचआरसी (UNCHRC) ने गाजा में चले इस्राइल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच चले हिंसक संघर्ष की जांच करने का फैसला लिया है। एनएचआरसी इसकी जांच ‘युद्ध अपराध’ के तौर पर करेगा। परिषद में यह प्रस्ताव 24-9 वोट से पास हो गया है। हालांकि, भारत समेत 14 देश इस मतदान से बाहर रहे।

गाजा, इस्राइल और वेस्ट बैंक में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर काउंसिल ने एक रिपोर्ट तैयार करने का फैसला लिया है और इसके लिए एक जांच आयोग बनाने का फैसला किया है। इसे सबसे प्रभावी क़दम माना जा रहा है। यह पहली बार है जब इस्राइल के खिलाफ बहुमत से जांच आयोग गठित करने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद इस्राइल

दरअसल, यूएनएचआरसी का फिलिस्तीनियों के अधिकारों को लेकर गुरुवार को एक खास सत्र बुलाया गया था। मतदान सत्र में ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) के सदस्य देश एकजुट रहे। यह फिलिस्तीनियों के पक्ष में खुलकर खड़ा दिखा। वहीं, इस्राइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने यूएनएचआरसी के प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

इस्राईल-हमास संघर्ष में अब तक 14 बच्चों समेत कम-से-कम 56 लोगों की मौत

उन्होंने कहा, ”यूएनएचआरसी में लिया गया शर्मनाक फैसला एक और उदाहरण है कि संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था कैसे इस्राइल विरोधी मंशा से ग्रस्त है। एक बार फिर से ऑटोमैटिक बहुमत वाली इस काउंसिल ने जनसंहार करने वाले आतंकवादी संगठन, जिसने जानबूझकर इस्राइली नागरिकों को निशाना बनाया और गाजा के लोगों को ढाल की तरह इस्तेमाल किया, उसके अपराधों पर पर्दा डाल दिया है।”

नेतन्याहू ने आगे कहा, ”हम एक लोकतांत्रिक देश हैं और हमने हज़ारों बेलगाम रॉकेट हमले से अपने लोगों को बचाने के लिए जवाबी कार्रवाई की थी। इसे लेकर हमें ‘दोषी पक्ष’ करार दिया है। यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का मज़ाक है और दुनियाभर में आतंकवादियों के लिए प्रोत्साहन देने वाला साबित होगा।”

इस्राइल के खिलाफ UN में प्रस्ताव पास, चीन देगा फिलिस्तीन को 10 लाख डॉलर मदद

इतना ही नहीं इस्राइल ने पाकिस्तान को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। दरअसल, पाकिस्तान के एक आधिकारिक ट्विटर हैंडल फॉरन मिनिस्टर्स पब्लिक डिप्लोमैसी से गुरुवार को एक ट्वीट किया गया। जिसमें लिखा गया था, ”आज संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कब्जे में लिए गए फिलिस्तीनी इलाके और पूर्वी यरुशलम में मानवाधिकारों की भयावह स्थिति पर एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया है। इस बैठक को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी संबोधित करेंगे। और यूएनएचआरसी से क्या उम्मीद है, उसकी चर्चा करेंगे।”

इस ट्वीट के जवाब में अब इस्राइली विदेश मंत्रालय के महाप्रबंधक अलोन उश्पिज ने पाकिस्तान ने तंज करते हुए लिखा है, ”मानवाधिकार ‘चैंपियन’ पाकिस्तान हकीकत में शीशे के घर में रह रहा है। मध्य-पूर्व में इस्राइल एकमात्र लोकतंत्र है, उसे पाकिस्तान यूएनएचआरसी में ज्ञान दे रहा है। ये पाखंड की सबसे अच्छी मिसाल है।” इसके साथ एक लिंक भी शेयर किया गया है जिसमें पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है।

दूसरी तरफ चीन ने एलान किया है कि वह फिलिस्तीनी प्रशासन को 10 लाख डॉलर की मानवीय मदद फराहम कराएगा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल की मंगलवार को हुई बैठक में चीन ने कहा है कि वो फिलिस्तीनी प्रशासन को कैश में 10 लाख डॉलर की आपातकालीन मानवीय मदद देगा। चीन के स्थाई प्रतिनिधि और दूत चेन शू ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि चीन मानवीय मदद के तौर पर फ़लस्तीनियों को 10 लाख डॉलर की राशि कैश में देगा। साथ ही उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के जरिए चीन फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए 10 लाख डॉलर की मदद और दो लाख कोरोना वैक्सीन की डोज देगा।

यूएनएचआरसी में पास किए गए प्रस्ताव के मुताबिक, अस्थिरता, हिंसक संघर्ष के बचाव, भेदभाव और दमन की भी जांच की जाएगी। इसमें कुछ देशों से हथियारों की आपूर्ति को लेकर भी टिप्पणी की गई है। बयान में कहा गया है कि यह मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन है। इस टिप्पणी का निशाना उन देशों पर है जो इस्राइल को हथियार देते हैं। उल्लेखनीय है कि युद्धविराम से पहले 11 दिनों तक चले हिंसक संघर्ष में कम-से-कम 248 फिलिस्तीनियों की मौत हुई थी, जिनमें 66 बच्चे और 39 महिलाएं शामिल थे। दूसरी तरफ इस्राइल में भी एक बच्चे समेत 12 लोगों की मौत हुई थी।


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