राहुल सांकृत्यायन ने किया है एक जन्म में कितने जन्मों का काम : गजेंद्र कान्त शर्मा

राहुल सांकृत्यायन ने किया है एक जन्म में कितने जन्मों का काम : गजेंद्र कान्त शर्मा

प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा महापंडित राहुल सांकृत्यायन की 129वीं जयंती के अवसर पर जी.ए. उच्च माध्यमिक विद्यालय अरवल में ‛राहुल सांकृत्यायन : विचार और विरासत’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में प्रगतिशील लेखक संघ तथा विभिन्न संगठनों से जुड़े साहित्यकार, पत्रकार, संस्कृतिकर्मी, शिक्षक, अधिवक्ता, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

इस परिचर्चा की अध्यक्षता जी.ए. उच्च माध्यमिक विद्यालय अरवल के प्रधानाचार्य भिखर रविदास ने की और विषय-प्रवेश के साथ कार्यक्रम का संचालन प्रगतिशील लेखक संघ के कुमार कुंदन ने किया। पटना से आये अखिल भारतीय छात्र संघ के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन को मानव मुक्ति की चाह ने घुमक्कड़ बनाया था। राहुल जी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में रहे हैं। आज के समय में किसी भी महापुरुष को जाति से जोड़ कर उनके व्यापक विचारों के साथ खिलवाड़ किया जाता है। राहुल जी प्रगतिशील लेखकों के पथ प्रदर्शक रहे हैं, इसलिए प्रगतिशील लेखक संघ को इस दिशा में पहल करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य कार्यसमिति सदस्य व अरवल जिला सचिव गजेन्द्र कान्त शर्मा ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन का प्रगतिशील लेखक संघ से जन्मना संबंध रहा है। यह संयोग है कि 9 अप्रैल को राहुल जी का जन्म हुआ था और उनके जन्म के 43 वर्षों के बाद 9 अप्रैल 1936 में प्रगतिशील लेखक संघ का लखनऊ में पहला अधिवेशन शुरू हुआ था। सितम्बर 1947 में प्रगतिशील लेखक संघ का जब इलाहाबाद में सम्मेलन हो रहा था तब सुमित्रानंदन पंत और आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के साथ अध्यक्ष मंडल में राहुल जी भी शामिल थे। राहुल जी स्वभाव से मूलतः जीवन के प्रति भयंकर आकर्षण से, राग से, अनुराग से भरे थे लेकिन वे साधु भी हुए, सन्यासी भी हुए और बौद्ध भिक्षु भी हुए। वे अपनी जीवन-यात्रा में विभिन्न पड़ावों को पार करते हुए मार्क्स के भौतिकवादी द्वंद्ववाद तक पहुँचे थे मगर उनका जितना जोर भौतिकवाद पर रहा, शायद उतना जोर द्वंद्ववाद पर नहीं रहा।

शर्मा ने कहा कि राहुल जी ने पता नहीं कितने जन्मों का काम एक जन्म में किया है! उनके लिखे हुए को पढ़ने के लिए और उसे पढ़कर समझने के लिए हम जैसों का एक जीवन पर्याप्त न होगा। राहुल अनवरत जिज्ञासा, अनवरत खोज और अनवरत अनथक संघर्ष का नाम है। हमें उनसे ऐसी ही जिज्ञासा, खोज और संघर्ष की सीख मिलती है।

राहुल के साथी जनकवि नागार्जुन को उद्धरित करते हुए शर्मा ने कहा कि वे कहा करते थे- “जहाँ तक राहुल की परंपरा का सवाल है तो ताड़ की गाछ की परंपरा तो होती है पर उसकी खेती नहीं होती।” इसके निहितार्थ को हमें समझना है। बुद्ध के धर्मोपदेश यदि बेड़े की तरह नदी को पार उतरने के लिए है, नदी पार कर उसे सिर पर ढोने के लिए नहीं है या उसे उठाये फिरने के लिए नहीं है तो यह बात राहुल जी के चिंतन पर भी लागू होती है जिसे राहुल जी के संदर्भ में समझना होगा।

राहुल सांकृत्यायन ने किया है एक जन्म में कितने जन्मों का काम : गजेंद्र कान्त शर्मा

प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य कार्यसमिति सदस्य राजकुमार शाही ने कहा कि राहुल जी ने स्वाधीनता आंदोलन में बिहार के किसानों का नेतृत्व किया, इस दौरान जेल भी गए और लाठियां भी खाईं। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव के रूप में अभूतपूर्व योगदान दिया। शिक्षक अखिलेश्वर कुमार ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन एक भारी घुमक्कड़ थे और उन्होंने घुमक्कड़ी को ज्ञान से जोड़ा है। शिक्षक गौतम कुमार ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन भारत के ह्वेनसांग और फाहियान हैं लेकिन भारतीय समाज ने उन्हें उस स्थान पर नहीं बैठाया जिसके वे हकदार थे।

कवि संजय कुमार मिश्र ने कहा कि राहुल जी का साहित्य जीवन की जड़ता को तोड़ता है। वरीय शिक्षक यमुना प्रसाद ने कहा कि राहुल जी का जीवन निरन्तर बदलाव की हामी भरता है, इस अर्थ में वे प्रगतिशील थे। रामचन्द्र पाठक ने कहा कि राहुल जी इतने ज्ञान पिपासु थे कि वे हिमालय की अलंघ्य दीवारों को भी पार करने में नहीं चूके। अरवल जिला के पूर्व छात्र नेता अरुण कुमार ने कहा कि राहुल जी जाति और धर्म के विरोधी और गरीबों के पक्षधर थे। अधिवक्ता कुमार वैभव ने कहा कि राहुल जी जीवन भर बंजारे की तरह इसलिए घुमन्तु रहे कि वे दुनिया के लिए कुछ बेहतर कर सकें। वरीय अधिवक्ता शैलेश कुमार ने कहा कि राहुल जी लेखक के साथ किसान-मजदूरों के हमदर्द नेता थे।

अंत में अध्यक्षीय भाषण में श्री भिखर रविदास ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन ने सरहपा और कबीर का रास्ता चुना था। वे रूढ़िवाद और धर्मान्धता के प्रखर आलोचक थे। इस कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख लोगों में अर्चना कुमारी, ज्योति कुमारी, शशिरंजन राय, संजय कुमार, राकेश कुमार राही, संतोष कुमार, धीरज कुमार, विनय प्रसाद, सुदामा पाठक, शैलेश कुमार, गोपाल मिश्रा, राम इकबाल सिंह आदि थे।


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