कठुआ रेप और हत्याकांड में सबूत मिटाने के आरोपी पुलिस सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता की सजा को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं आनंद दत्ता को कोर्ट ने जमानत भी दे दी है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस तेजिंदर सिंह ढींडसा और जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज की बेंच ने 21 दिसंबर को आनंद दत्त की शेष सजा को रद्द करने का आदेश दिया और उन्हें व्यक्तिगत बॉन्ड दिखाने पर जमानत दे दी।
आनंद दत्ता को जमानत और सजा रद्द करने पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीव किया है, “कठुआ रेप मामले में सबूत मिटाने के लिए दोषी ठहराए गए पुलिसकर्मियों को जमानत दे दी गई है और उनके जेल की सजा को रद्द कर दिया गया है। एक बच्ची के साथ रेप होता है, उसके बाद उसकी हत्या होती है और फिर उसे इंसाफ भी नहीं मिलता। इससे पता चलता है कि इंसाप का पहिया पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।”
Perturbed that the policeman convicted for destroying evidence in Kathua rape case was granted bail & his jail term suspended. When a child raped & bludgeoned to death is deprived of justice, it becomes obvious that the wheels of justice have completely collapsed. https://t.co/hlCPyDaeBu
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) December 25, 2021
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जैसा कि मालूम है कि पठानकोट की एक अदालत ने 2019 में हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंद्र वर्मा के साथ आनंद दत्त को भी सबूत मिटाने का दोषी ठहराया था। उन सभी पर आरोप है उन्होंने रेप केस में 4 लाख रुपये रिश्वत लिए और उसके बाद सबूत मिटाए। इसी के आरोप में कोर्ट ने सभी आरोपियों को पांच साल कैद की सजा सुनाई थी।

मालूम हो कि रिटायर्ड रेवेन्यू अधिकारी सांजी राम नाबालिग बच्ची के साथ हुए रेप और उसकी जघन्य हत्या का मुख्य आरोपी था। इसके अलावा, दीपक खजूरिया और परवेश कुमार भी दोषी ठहराए गए हैं। तीनों को आजीवन कारावास की सजा हुई है।
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने मामले में तीनों आरोपियों को सजा सुनाई जाने के बाद तीनों पुलिस अधिकारियों को सेवा से निलंबित कर दिया था।इससे पहले 16 दिसंबर को हेड कांस्टेबल तिलक राज की सजा पर रोक लगा दी गई थी। आनंद दत्ता और तिलक राज दोनों ही लोवर कोर्ट द्वारा दी गई सजा का आधे से अधिक हिस्सा पहले ही भुगत चुके हैं।
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उल्लेखनीय है कि जम्मू के कठुआ में 10 जनवरी 2018 को एक आठ साल की बच्ची के अपहरण का मामला सामने आया था। इस घटना के एक सप्ताह बाद यानी 17 जनवरी को बच्ची की लाश एक मंदिर के करीब मिली थी। लाश काफी क्षत-विक्षत स्थिति में पाई गई थी।

आगे चलकर सामने आया कि बच्ची को पास के मंदिर में कई दिनों तक रखा गया औऱ उसके सास रेप किया गया और हत्या कर पास में ही फेंक दिया गया। आगे चलकर पुलिस ने 15 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। पुलिस ने तब कई बड़े खुलासे किए थे।
केस में सबसे शर्मनाक बात आगे चलकर ये सामने आई कि आरोपियों के समर्थन में स्थानीय हिन्दुत्वादी संगठनों ने ‘तिरंगा यात्रा’ निकाला और रिहाई की मांग की थी।
हालांकि, आगे चलकर केस को जम्मू-कश्मीर के बाहर पंजाब के पठानकोट में सुनवाई के लिए भेज दिया गया था। जहां पठानकोट जिला अदालत ने सुनवाई में आठ में से सात आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी।
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