कृषि संकट और किसानों से जुड़ी समस्याओं को समझने के लिए देश में एक स्वतंत्र किसान आयोग का गठन किया जाएगा। इसके बाद संगठन अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगा। इस बात की घोषणा जानेमाने पत्रकार और द हिंदू के पूर्व ग्रामीण संपादक पी. साईनाथ ने गुरुवार को की।
मीडिया से बात करते हुए साईनाथ ने कहा कि स्वतंत्र किसान आयोग में कृषि विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, एक्टिविस्ट और किसान यूनियनों के सदस्य शामिल होंगे। यह आयोग कृषि क्षेत्र की मौजूदा स्थिति और इसके सामने आए संकट का अध्ययन करेगा।
दिल्ली स्थित प्रेस कल्ब में साईनाथ जब मीडिया से बात कर रहे थे तब उनके साथ सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे और अन्य लोग भी थे। उन्होंने कहा, “आखिर किसान आयोग की जरूरत क्यों है? वह इसलिए क्योंकि सरकार द्वारा बनाए कमीशन का महत्व उस समय खत्म हो जाता है जब उसकी सिफारिशें सरकार और कार्पोरेट हितों के खिलाफ होती हैं।”

ये भी पढ़ें: फिदेल कास्त्रो की पुण्यतिथि: अगर क्यूबा गिरा तो हम सब गिर जाऐंगे
नेशन फॉर फार्मर संस्था की ओर जारी अपने बयान में कहा गया है कि किसान आयोग देशभर के किसानों और खेती से जुड़े संगठनों के सहयोग से सार्वजनिक जांच की प्रक्रिया आयोजित करेगा। किसानों के समर्थन के लिए नेशन फॉर फार्मर संस्था का गठन सिविल सोसायटी के सदस्यों ने किया है।
इतना ही नहीं बयान में आगे कहा गया है, “मकसद खेती-किसानी में बड़े बदलाव के लिए एक मजबूत दृष्टि और रणनीति बनाना है जिसमें किसान संगठनों की सक्रिय भागीदारी होगी। साथ ही खाद्य विविधता, पारिस्थितिक स्थिरता, इक्विटी की राजनीति के एजेंडे को एकीकृत करने की कोशिश होगी।”
साईनाथ ने सरकारी तंत्र द्वारा किसानों की अनदेखी किए जाने को लेकर कहा कि स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें आज 16 साल बाद भी लागू नहीं हो सकी हैं। नेशन फॉर फार्मर ने कहा, “आयोग की सिफारिशें आज भी देश के हर कोने में किसानों के बीच लोकप्रिय हैं। इनमें से कुछ जो एमएसपी तय करने के फार्मूले से जुड़ी हैं उन पर तुरंत विचार करना चाहिए।”
“The farmers have defended our Constitution, they have pushed back the #FarmLaws and defended the rights of each one of us.”@PSainath_org @PARInetwork
— Natasha Badhwar (@natashabadhwar) November 25, 2021
pic.twitter.com/r1wj8UvCRh
ये भी पढ़ें: ए.आर. रहमान की बेटी खतीजा ने गाया गाना, आवाज सुनकर फैन्स रह गए दंग
संस्था ने आगे कहा, “स्वामीनाथन कमीशन ने अपनी पहली रिपोर्ट 16 साल पहले सरकार को सौंपी थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।” संस्था ने सरकार से इस मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग की।
संस्था की ओर कहा गया कि स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट पर चर्चा हो और बीते दो दशक के दौरान किसानों के लिए जानलेवा बने कृषि संकट का समाधान निकल सके। संस्था ने कहा है कि किसान आयोग उन मुद्दों पर सिफारिशें सरकार के सामने रखेगा जिससे देश के किसानों को असली लाभ मिलेगा और खेतिहर मजदूरों के जीवन में सुधार होगा।
(प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हैं।)
Leave a Reply