नीतीश कुमार ने ‘अंतिम चुनाव’ वाला जो बयान दिया वह सच नहीं, पार्टी ने किया स्पष्ट

नीतीश कुमार ने ‘अंतिम चुनाव’ वाला जो बयान दिया वह सच नहीं, पार्टी ने किया स्पष्ट

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव का तीसरा और अंतिम चरण का मतदान 7 नवंबर को होना है। अंतिम चुनाव प्रचार गुरुवार शाम को समाप्त हो गया। लेकिन इस बीच पूर्णिया में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा ऐलान किया जिसे सुनकर सभी चौंक गए। उन्होंने धमदाहा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ये मेरा आखिरी चुनाव है। आगे उन्होंने कहा कि अंत भला तो सब भला।

नीतीश कुमार ने कहा कि हमने सभी लड़कियों को साइकिल दी और उनको सशक्त किया। वहीं कटिहार के ही मनिहारी में उन्होंने कहा, “हमने जीविका समूह चलाया, जिसमें विश्व बैंक से कर्ज लेकर 10 लाख जीविका समूहों की शुरूआत की। एक करोड़ 20 लाख महिलाएं जुड़ गईं। उनमें जागृति आई है। परिवार की आमदनी बढ़ी है।

उन्होंने आगे कहा कि हमने औद्योगिक नीति बना दी है। इससे इतना व्यापार बढ़ेगा कि किसी को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सभी चीजों का उत्पादन यहीं होगा। उनके इन बयानों के बाद राजनीति हलकों में हलचल आना स्वाभाविक था। अमूमन लोगों को लगा की नीतीश कुमार राजनीति से संन्यास लेने वाले हैं। लेकिन ऐसा नहीं हैं।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने गुरुवार देर शाम मुख्यमंत्री के बयानों को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार के वक्तव्य का मतलब राजनीति से संन्यास लेना नहीं है। राजनीति करने वाले और सामाजिक जीवन में काम करने वाले लोग कभी रिटायर नहीं होते।” उन्होंने कहा कि लोगों ने नीतीश कुमार के वक्तव्य को ठीक से नहीं सुना है।

बशिष्ठ नारायण ने आगे कहा “नीतीश कुमार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। ऐसे में अंतिम चुनाव है, वह ऐसा कैसे कह सकते हैं? साथ ही अंत भला तो सब भला जो उन्होंने कहा, वह इस चुनाव के अंतिम प्रचार अभियान और अंतिम भाषण के बारे में कहा।”

जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के उम्मीदवार के लिए नीतीश कुमार ने कहा था कि चुनाव में अंतिम भाषण है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार इस तरह का फैसला कैसे ले सकते हैं। उन्होंने बिहार को सजाया, संवारा और खड़ा किया है। बिहार अब विकासशील से विकसित राज्य बनने की तरफ अग्रसर है। उन्होंने बिहार का मैप बनाया है, देश के मानचित्र पर बिहार है।

इसके बाद बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा, “राजनीति करने वाले और सामाजिक जीवन में काम करने वाले लोग कभी रिटायर नहीं होते। अंतिम दम तक जिन वसूलों पर चलते हैं, जो राह लोग चुनते हैं, उस पर बने रहते हैं। गांधी, लोहिया, जयप्रकाश जैसे पुरोधा कभी रिटायर नहीं हुए। लोग जब घर बैठ भी जाते हैं, तब भी उनकी राजनीति में दिलचस्पी बनी रहती है और वे वहां से भी राजनीति करते रहते हैं।

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