न्यूज वेबसाइट ‘न्यूजक्लिक’ के दफ्तर पर ED की छापेमारी, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की निंदा

न्यूज वेबसाइट ‘न्यूजक्लिक’ के दफ्तर पर ED की छापेमारी, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की निंदा

स्वतंत्र मीडिया वेबसाइट ‘न्यूजक्लिक’ के पत्रकारों और आधिकारियों के आवासों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार सुबह छापेमारी की। वेबसाइट से जुड़े लोगों का आरोप है कि किसान आंदोलन की सच्ची खबर दिखाने की सजा के तौर पर सरकार की ओर से ये छापेमारी कार्रवाई गई है।

‘न्यूजक्लिक’ के मुताबिक, वेबसाइट के दिल्ली में सैदुल्लाजाब स्थित दफ्तर के आलावा न्यूजक्लिक के संस्थापक-प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ तथा संपादक प्रांजल के घर पर भी सुबह 10 बजे के करीब ईडी ने छापेमारी की।

एक संक्षिप्त बयान में ‘न्यूजक्लिक ‘ की तरफ से कहा गया है, “सत्य की जीत होगी। हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। यह छापेमारी अभी भी चल रही है और प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही पूरा बयान जारी किया जाएगा।”

छापेमारी की कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने निंदा की है। पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ‘न्यूजक्लिक’ दिल्ली और देशभर में चल रहे किसान आंदोलन की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है जिसकी वजह ईडी की तरफ उन्हें डराने के लिए यह छापेमारी की गई है।

पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की तरफ से जारी एक सामूहिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि हाल में जिस तरह से पत्रकार मंदीप पुनिया को पुलीस द्वारा अवैध तरीके से गिरफ्तार किया गया ताकि किसानों के आंदोलन से जुड़ी सही खबरे आम जनता तक नहीं पहुंच सके। ‘न्यूजक्लिक’ से जुड़े पत्रकार, टिप्पणीकार लगातार किसान आंदोलन की खबरें निष्पक्ष ढंग से पहुंचा रही थी।

पत्रकारों की ओर कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलनकारियों को परजीवी कहा और जनांदोलनों का समर्थन वाले ‘न्यूजक्लिक’ को परेशान किया जा रहा है। यह छापेमारी ‘न्यूजक्लिक’ की स्वतंत्र आवाज को डराने व उसे बन्द करने की मंशा को भी जाहिर करता है।

जारी बयान में कहा गया है कि सरकार की यह हताशा ही है कि वह लाख कोशिशों को बाद भी किसान आंदोलनों को नहीं दबा सकी तो अब जन पक्षधर मीडिया का गला घोंटने पर तुली है।

वहीं द क्विंट में छपे एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी का कहना है कि न्यूजक्लिक पर छापेमारी कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ी हुई है और एजेंसी संगठन को विदेशों की संदिग्ध कंपनियों से धन मिलने की जांच कर रही है।

जिन पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने छापेमारी की निंदा है उनमें अनीश अंकुर (स्वतंत्र पत्रकार), मनोज कुमार चंद्रवंशी (सामाजिक एवं राजनैतिक कार्यकर्ता) विद्युत पाल (लेखक व पत्रकार) अमरनाथ झा (स्वतंत्र पत्रकार) अरुण श्रीवास्तव (इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार), इमरान खान (न्यूजक्लिक अंग्रेजी), संपादक सिद्धार्थ वरदराजन (द वायर के संस्थापक), प्रिय रंजन (जनशक्ति), कुमार अनिल (नौकरशाही डॉट इन) डॉक्टर रंजीत (ईटीवी), अनिल अंशुमन (न्यूजक्लिक, हिंदी), मोहम्मद अली (दैनिक भास्कर के स्तम्भकार) संतोष कुमार (वरिष्ठ पत्रकार, कशिश न्यूज), हेमंत कुमार (बिफोर प्रिंट), जीतेन्द्र कुमार (स्वतंत्र पत्रकार) बिट्टू भारद्वाज (लाइव जनशक्ति), जय प्रकाश (लाइव जनशक्ति), सुनील सिंह (सामाजिक कार्यकर्ता व ऑनलाइन कंटेंट जेनरेटर) के नाम शामिल हैं।

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