नहीं रहें जाने-माने इस्लामिक स्कॉलर मौलाना वहीदुद्दीन खान, कोरोना से थे संक्रमित

नहीं रहें जाने-माने इस्लामिक स्कॉलर मौलाना वहीदुद्दीन खान, कोरोना से थे संक्रमित

जाने-माने इस्लामिक स्कॉलर और लेखक वहीदुद्दीन खान का निधन हो गया है। वे पिछले दिनों कोरोना वायरस संक्रमित हुए थे जिसके बाद उन्होंने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहीदुद्दीन खान को कुरान को सबसे आसान भाषा में अनुवाद करने के लिए जाना है।

मौलान का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के बधरिया गांव में 1 जनवरी साल 1925 को हुआ था। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। पूर्व सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल के संरक्षण में उन्हें डेम्यर्जस पीस इंटरनेशनल अवार्ड नवाजा था। उन्हें साल 2015 में अबूजहबी में सैयदियाना इमाम अल-हसन इब्न अली शांति अवार्ड दिया गया था।

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साल 2000 में उनको भारत का तीसरा सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण से नवाजा गया था। उसके बाद उन्हें मदर टेरेसा की तरफ से नेशनल सिटिजनस अवॉर्ड और साल 2009 में राजीव गांधी नेशनल सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मौलाना को जनवरी 2021 में भारत के दूसरे सर्वोच्च पुरस्कार पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया था।

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मौलाना ने अपनी जिंदगी ज्यादातर हिस्सा लखनऊ में बिताया। लेकिन वह दुनियाभर में अपनी उदारवादी छवि के लिए जाने जाते थे। मुस्लिम समाज से रूढ़िवादी परंपराओं को खत्म करने के लिए वे आजीवन लड़ाई लड़ते रहे थे। उन्होंने न सिर्फ इस्लामिक कट्टरता का विरोध किया, बल्कि शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए। उन्होंने बहुत आसान हिंदी में नौजावानों तक कुरान की प्रतियां पहुंचाईं।

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मौलाना वहीदुद्दीन को देश के उन शख्सियतों में से एक थे जिन्होंने अपने गांधीवादी विचारों के साथ हिंदू और मुस्लिम एकता के लिए काम किया। उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेता भी सम्मान देते थे।


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