स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लेकर BJP सांसद और आदिवासी नेता वसावा ने दिया पार्टी से इस्तीफा

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लेकर BJP सांसद और आदिवासी नेता वसावा ने दिया पार्टी से इस्तीफा

गांधीनगर: बीजेपी को गुजरात में एक बड़ा झटका लगा है। बीजेपी नेता और भरूच लोकसभा क्षेत्र के सांसद मनसुख वसावा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा है कि वह जल्द संसद की सदस्यता से इस्तीफा देंगे।

बताया जा रहा है कि वसावा पार्टी में अपनी बात नहीं सुने जाने को लेकर नाराज चल रहे थे। उन्होंने इसे लेकर कई बार पार्टी पदाधिकारियों को भी बताया था पर उनकी बातों को लगातार नजरअंदाज किया किया। जिसके बाद आखिरकार उन्होंने इस्तीफा का निर्णय लिया।

बीते दिनों वसावा ने गुजरात की बीजेपी सरकार के कामकाज करने के तरीकों पर सवाल उठाए थे। इस घटना के बाद ये साफ हो गया था कि वह पार्टी से खासे नाराज हैं। हालांकि, अब तक इस्तीफे के कारणों को लेकर उन्होंने कुछ साफ नहीं किया है।

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राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखा चिट्ठी

उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखे चिट्ठी में कहा है कि उन्होंने कई सालों तक बीजेपी के साथ वफादारी से काम किया। जिंदगी के सिद्धांतों का पालन किया है। उन्होंने आगे कहा है, “पार्टी ने मुझे कई मौके दिए, जिनके लिए मैं पार्टी नेतृत्व का आभारी रहूंगा। लेकिन मैं इंसान हूं और इंसान से गलती हो जाती है। इसीलिए अब मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं। कृपया मुझे माफ कर दें। लोकसभा सत्र शुरू होने से पहले सांसद पद से भी इस्तीफा दे दूंगा।”

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लेकर शिकायत

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी से मनसुख वसावा ने कई मुद्दों को लेकर बात की थी। उन मुद्दों में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लेकर भी एक अहम शिकायत थी।

उन्होंने हाल ही में इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी एक चिट्ठी लिखी थी। पीएम को लिखी चिट्ठी में उन्होंने बताया था कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास कई किलोमीटर भू-भाग को इको-सेंसिटिव जोन में बदलने के फैसले पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए। इस इलाके में करीब 121 गांव आते हैं।

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आदिवासियों के जीवन पर प्रभाव

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनने के बाद वहां के लोकल आदिवासियों के जीवन पर इसका काफी ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। सरकार ने उन्हें विश्वास में लिए बिना ही आदेश जारी कर दिया। वसावा ने प्रधानमंत्री को लिखे चिट्ठी में कहा है कि इस नोटिफिकेशन को रद्द करें, जिससे शांति व्यवस्था बनी रहे।

सरकार के इस नोटिफिकेशन का आदिवासी समाज के लोग लगातार विरोध कर रहे हैं। मनसुख वसावा भी आदिवासी नेता रहे हैं। वह पिछले कुछ समय से लगातार आदिवासियों से जुड़े ऐसे मुद्दों के लिए आवाज उठा रहे थे। लेकिन उनकी बात को पार्टी की ओर से लगातार नजरअंदाज किया गया जिसके चलते उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया है।

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बता दें कि गुजरात के बीजेपी का नेताओं में वसावा एक बड़ा नाम है। आदिवासियों पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। नरेंद्र मोदी की पिछली बार जब सरकार बनी थी तब उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री का पदभार दिया गया था। वे अब तक छह बार लोकसभा सांसद चुने जा चुके हैं।

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