जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने हैदरपोरा एनकाउंटर की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने गुरुवार को कहा कि हैदरपोरा एनकाउंटर मामले में एडीएम रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए है।
एलजी कार्यालय की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है, “हैदरपोरा एनकाउंटर में एडीएम रैंक के अधिकारी द्वारा मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। रिपोर्ट सामने आते ही सरकार उचित कार्रवाई करेगी।”
उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन निर्दोष नागरिकों के जीवन की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसका भी ध्यान रखा जाएगा कि किसी के साथ किसी भी तरह का अन्याय न हो।

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जैसा कि मालम है कि सुरक्ष बलों की गोलीबारी में 15 नवम्बर को 4 की मौत हुई थी। मरने वालों में दो आम नागरिक, जबकि दो कथित आतंकी शामिल थे। जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेताओं ने इस घटना पर जमकर आक्रोश व्यक्त किया है।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने पार्टी के अन्य नेताओं के साथ हैदरपोरा मुठभेड़ में नागरिकों की कथित हत्या के खिलाफ बुधवार को जम्मू में विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन शाम को उन्हें प्रशासन ने उनके घर में अगले आदेश तक नजरबंद कर दिया।
महबूबा ने दावा किया है कि सोमवार को हुई मुठभेड़ में मारे गए तीन लोग आम नागरिक थे। मुफ्ती ने कहा, “यह सरकार उग्रवाद के नाम पर नागरिकों को मारती है। कोई नहीं जानता कि आतंकवादी मारे जा रहे हैं या नहीं। हाल ही में तीन नागरिक मारे गए हैं। सरकार ने मांग के बावजूद उनके शव परिजनों को सौंपने से इनकार कर दिया।’
पीडीपी प्रमुख ने इसकी न्यायिक जांच की मांग की थी। वहीं, एक आधिकारिक बयान में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि हैदर और आमिर अहमद के रूप में पहचाने गए दो आतंकवादी मुठभेड़ में मार गिराए गए।

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उसमें आगे कहा गया कि इमारत के मालिक अल्ताफ अहमद के साथ-साथ किराएदार मुदासिर अहमद आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में गंभीर रूप से गोलियां लगने की वजह से घायल हो गए थे, जिन्होंने बाद में दम तोड़ दिया।
उल्लेखनीय है कि कल स्थानीय लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया था। जिसमें आगे चलकर कई लोगों को हिरासत में लिया गया था। हालांकि, बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को छोड़ दिया। पुलिस का कहना है कि यह प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा के लिए किया गया था क्योंकि जम्मू-कश्मीर में तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया था।
वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह अपमानजनक है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने परिवारों को शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी।
उन्होंने कहा, “मैंने शायद ही कभी ऐसे परिवारों को देखा है, जिनके साथ अन्याय हुआ है, वे गरिमा में रहते हुए अपनी मांगों में वाजिब हैं और अपने आचरण में प्रतिष्ठित हैं। इसका परिणाम सभी को दिखाई दे रहा है क्योंकि पुलिस उन्हें रात के अंधेरे में घसीटते हुए ले गई।”
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