हैदरपोरा एनकाउंटर: अमिर मगरे के पिता ने कहा- हम तो पक्के हिंदुस्तानी थे, पर हम ही आतंकवादी बन गए!

हैदरपोरा एनकाउंटर: अमिर मगरे के पिता ने कहा- हम तो पक्के हिंदुस्तानी थे, पर हम ही आतंकवादी बन गए!

जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 15 नवंबर को चार लोग मारे गए थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) से मिले विशिष्ट इनपुट के आधार पर हैदरपोरा के पास रिहायशी इलाके को घेर लिया था और चार लोगों को मार गिराया था।

लेकिन अब एनकाउंटर पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने भी एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मारे गए लोगों को आम नागरिक करार दिया। फिलहाल, परिजनों ने न्यायिक जांच की मांग की है।

दूसरी तरफ, एनकाउंटर में मारे गए आमिर मगरे के पिता ने सवाल कई गंभीर सवाल उठाए हैं। मोहम्मद लतीफ मगरे ने कहा, “मैंने खुद कई सालों तक पुलिस के साथ मिलकर आतंकियों को मारा है तो फिर मेरा बेटा कैसे आतंकी हो सकता है?”

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60 वर्षीय मोहम्मद लतीफ ने आगे कहा कि मुझे इस बहादुरी के लिए 2005 में राज्यपाल ने मेडल दिया था। लतीफ ने पुलिस से अपने बेटे के शव को लौटाने की मांग की है। उन्होंने पुलिस के दावों पर कई सवाल खड़े किए हैं।

कभी घाटी में आतंकियों से लोहा लेने वाले लतीफ कहना है कि उसका बेटा आतंकवादी नहीं था। दरअसल, आमिर मगरे उन चार लोगों में से एक थे जिन्हें सुरक्षाबलों ने हैदरपोरा एनकाउंटर में मारा दिया था। पब्लिक इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में कार्यरत मोहम्मद लतीफ ने कहा, “मेरा बेटा पिछले 6 महीनों से श्रीनगर में कम सैलरी पर काम करता था। जिसे सोमवार रात पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया।”

आमिर के पिता ने दावा किया कि उन्होंने पहले सुरक्षाबलों के साथ मिलकर कई ऑपरेशन में कई आतंकवादियों को मारा था और इस बहादुरी के लिए उन्हें 2005 में राज्यपाल एन.एन. वोहरा ने मेडल प्रदान किया था। इसके अलावा उन्हें कई और अवार्ड भी मिले हैं।

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मोहम्मद लतीफ ने कहा, “एक दिन उनकी कुछ आतंकवादियों से बहस हो गई और वे मुझे मारने के लिए आ गए। इस दौरान मैंने उनमें से एक आतंकवादी को पत्थर से मार डाला।” उन्होंने आगे बताया कि 6 अगस्त 2005 को एक आतंकवादी मुझे मारने के लिए आया था लेकिन मैंने चट्टान से उसे मार डाला।

मोहम्मद लतीफ ने बताया कि आतंकवादी मेरी तलाश में आए थे, लेकिन मेरी जगह उन्होंने मेरे भाई को मार डाला। इस वजह से उन्हें अपने रिश्तेदारों के साथ गांव छोड़ना पड़ा और कई सालों तक उधमपुर शरणार्थी कैंप में रहना पड़ा।

लतीफ कहा कि अभी लगभग एक साल ही हुआ था कि हम घर वापस आए थे। तब ही से मुझे सुरक्षा मिली हुई थी। ITBP के 10 से 12 जवान मेरी सुरक्षा में संगालधन स्थित मेरे घर पर तैनात रहते हैं। मोहम्मद लतीफ ने मंगलवार को कहा कि वह यह जानकार हैरान रह गया कि पुलिस ने उसके बेटे को आतंकवादी मानकर एनकाउंटर में मार डाला।

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अमिर के पिता ने बताया, “मैं कुछ गांवों के सरपंच और रिश्तेदारों के साथ श्रीनगर पहुंचा, लेकिन वहां पुलिस ने हमसे कहा कि आमिर आतंकवादी था और उसे दफना दिया गया है। मुझे उसका पहचान पत्र दिया गया और कहा कि उसका मृत शरीर वापस नहीं दिया जाएगा।”

उन्होंने दु:ख के साथ कहा, “ऐसा कैसे हो सकता है कि जो आदमी पूरी जिंदगी आतंकवादियों से लड़ा, उसके बेटे को आतंकवादी मान कर मार दिया गया।” फिर उन्होंने आगे कह, “हम तो पक्के हिंदुस्तानी थे, लेकिन हम ही आतंकवादी बन गए।”

उन्होंने मीडिया के जरिए उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा से अपने बेटे का पार्थिव शरीर परिवार को सौंपने की अपील की। उन्होंने कहा, “हम अपनी परंपरा के अनुसार, बेटे का अंतिम संस्कार गांव में करेंगे।”

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वहीं, मोहम्मद अशरफ नाम के एक ग्रामीण ने बताया, “आमिर एक मासूम और मेहनती लड़का था और श्रीनगर में मजदूर के तौर पर एक दुकान पर काम करता था। अगर उसे आतंकवादी समझकर मार दिया गया तो उसके परिवार को सरकार ने सुरक्षा क्यों दी। उन्हें पिछले 15 सालों से सिक्योरिटी मिली हुई है।”

मोहम्मद अशरफ ने दु:ख व्यक्त करते हुए कहा, “लतीफ मगरे हिंदुस्तानी हैं और श्रीनगर में उनके बच्चे को मार दिया गया। दुर्भाग्य है कि उसे आतंकवादी करार दिया गया।” फिर अशरफ ने सवाल खड़े करते हुए पूछा, “अगर वे पाकिस्तानी थे, तो सरकार ने उनके परिवार को सुरक्षा क्यों दी और उनका बेटा आतंकवादी कैसे बन गया?”

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वहीं, दूसरे ग्रामीणों ने कहा कि अगर आमिर मगरे का शव परिवार को नहीं सौंपा गया तो, वे रामबान और हाईवे पर आकर प्रदर्शन करेंगे। अगर परिजन आखिरी बार अपने बेटे का चेहरा नहीं देख पाए, तो वे मर जाएंगे और इसका जिम्मेदार कौन होगा।

दूसरी तरफ, हैदरपोरा एनकाउंटर पर कश्मीर के आईजी पुलिस विजय कुमार (IGP) ने कहा, “इस एनकाउंटर में दो आतंकवादी- एक बाहरी और स्थानीय, एक बिल्डिंग का मालिक और एक अन्य लड़का शामिल था।”

उन्होंने कहा कि मारे गए चारों लोगों की पहचान, पाकिस्तानी आतंकवादी बिलाल, आमिर मगरे, मुदासिर गुल और अल्ताफ अहमद भट्ट के तौर पर हुई है। विजय कुमार ने कहा कि बिल्डिंग में मुदासिर गैर-कानूनी तरीके से कॉल सेंटर चलाता था और उसके पास से आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई है। वहीं, हैदर और आमिर दोनों आतंकवादी थे और एनकाउंटर वाली जगह से उनके पास से दो पिस्टल मिली हैं।

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हालांकि, गुल और बट्ट के परिवार ने पुलिस के आरोपों का खंडन किया और कहा कि उनका आतंकवादियों से कोई कनेक्शन नहीं था, वे दोनों बिजनेसमैन थे। दोनों के परिजनों ने शव को उन्हें सौंपने की मांग की है। फिलहाल, स्थानीय नेताओं ने भी मामले न्यायिक जांच की मांग की है।

बता दें कि आज फिर सुरक्षाबलों ने एक इनपुट के आधार पर एक एनकाउंटर ऑपरेशन को अंजाम दिया। इसके तहत कुलगाम के पॉमबे इलाके में तीन आतंकियों और गोपालपुरा में 2 अतांकियों को मार गिराने का दावा किया है।

सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर के दौरान पूरे इलाके का ट्रैफिक बंद कर दिया था ताकि किसी सिविलियन की जान नहीं जाए। गोपालपुरा इलाके में आतंकियों के साथ मुठभेड़ जारी है। मारे गए आतंकियों में टीआरएफ कमांडर अफाक सिकंदर, शकीर, हैदर और इब्राहिम का नाम शामिल है।


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