भोपाल: विश्व हिंदी दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रविवार को अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोड्से के नाम पर एक पुस्तकालय खोला। इस स्टडी सेंटर ने गोड्से के विचारों को पढ़ाया जाएगा। इसका नाम रखा गया है-‘गोडसे ज्ञानशाला’।
हिन्दू महासभा के उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने बताया, “दुनिया के सामने गोडसे के असली राष्ट्रवादी होने की बात को बताने के लिए इस ज्ञानशाला को खोला गया है। गोडसे अविभाजित भारत के लिए खड़े हुए और मृत्यु को प्राप्त हुए। पुस्तकालय का उद्देश्य सच्चे राष्ट्रवाद को स्थापित करना है।
Madhya Pradesh: Hindu Mahasabha opened a study centre in Gwalior dedicated to Nathuram Godse, yesterday
— ANI (@ANI) January 11, 2021
Jaiveer Bharadwaj, vice-president says, "This study centre will inform the young generation about aspects of Partition of India & spread knowledge on various national leaders" pic.twitter.com/RCw6zbXIql
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उन्होंने आगे कहा, “यह अध्ययन केंद्र युवा पीढ़ी को भारत के विभाजन के पहलुओं के बारे में जानकारी देगा, साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय नेताओं से जुड़ी जानकारियों से अवगत कराएगा।” इस गोडसे ज्ञान शाला का उद्घाटन ग्वालियर के दौलत गंज स्थित महासभा के कार्यालय में किया गया।
भारद्वाज ने कहा, “गोडसे ने ग्वालियर में ट्रेनिंग ली थी। वहीं से पिस्तौल खरीदी थी। इसके बाद उसने दिल्ली जाकर अपनी योजना को मूर्त रूप दिया। पहली कोशिश में वह सफल नहीं हो पाया था। जब गांधी जी गोडसे से मिले…। तो गोड्से ने उनसे बदला लेने की अपनी प्रतिबद्धता पूरी की। तब हमने कहा था कि आपने देश का बंटवारा किया और आपको इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा। यह कोई मायने नहीं रखता कि आप कितने बड़े नेता हैं। हम गोडसे के कृत्य के साथ खड़े हैं।
नाथूराम गोडसे से जुड़ी जानकारियों वाले कुछ साहित्य और भाषण इत्यादि इस ज्ञानशाला में रखा गया है। गोड्से को लेकर मध्य प्रदेश का विवादों से लंबा नाता रहा है। ग्वालियर में हर साल हिन्दू महासभा गोड्से का जन्मदिवस मनाती है। गोड्से को दो साल पहले भोपाल की भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ने भी देशभक्त बताया था।
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उल्लेखनीय है कि 30 जनवरी 1948 की शाम को दिल्ली के बिड़ला हाऊस (अब गांधी स्मृति) में महात्मा गांधी को गोली मारकर नाथूराम गोडसे ने हत्या कर दी थी। हालांकि, एक तरफ देश गांधीजी हत्या को शहादत कहता है वहीं आरएसएस से जुड़ी संस्थाएं उस कृत्य को ‘गांधीवध’ कहकर सम्बोधित करती हैं। 20 जनवरी 1948 की शाम को जब गांधीजी प्रार्थना के लिए जा रहे थे, तब गोड्से ने उन पर नजदीक से तीन गोलियां मारी थी जिससे उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद 15 नवंबर 1949 में गोड्से को अंबाला जेल में फांसी दी गई थी।
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