नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून और किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई की। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की। उन्होनें कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा, “हम नहीं जानते कि क्या बातचीत चल रही है? क्या कुछ समय के लिए कृषि कानूनों को लागू करने से रोका जा सकता है?”
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, “हमें नहीं पता कि महिलाओं और बुजुर्गों को वहां क्यों रोका जा रहा है, इतनी ठंड में ऐसा क्यों हो रहा है। हम एक्सपर्ट कमेटी बनाना चाहते हैं, तबतक सरकार इन कानूनों को रोके वरना हम एक्शन लेंगे।”
Some people have committed suicide, old people and women are a part of the agitation. What is happening?, says CJI, and added that not a single plea has been filed that said that the farm laws are good https://t.co/H8CZyafrTH
— ANI (@ANI) January 11, 2021
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वहीं अटॉर्नी जनरल ने कहा, “कोर्ट कानून पर रोक नहीं लगा सकता जब तक किसी के मूल अधिकार का हनन ना हो। किसी ने भी नहीं कहा कि मूल अधिकार का हनन हो रहा है। बहुत सारे किसान कानून का समर्थन करते है।” उन्होंने आगे कहा कि हमें आशंका है कि किसी दिन वहां हिंसा भड़क सकती है।
दूसरी तरफ इस कानून के खिलाफ याचिका करने वाले एम एल शर्मा ने 1955 के संविधान संशोधन का मुद्दा उठाया। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा, “हम फिलहाल इतने पुराने संशोधन पर रोक नहीं लगाने जा रहे हैं। जज कुछ देर चर्चा कर रहे थे। इसलिए सुनवाई रुकी हुई थी।”
चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि हमारे पास ऐसी एक भी दलील नहीं आई जिसमें इस कानून की तारीफ हुई हो। अदालत ने कहा, “हम किसान मामले के एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन क्या आप इन कानूनों को रोकेंगे या हम कदम उठाएं। हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और ठंड में बैठे हैं। वहां खाने, पानी का कौन ख्याल रख रहा है?”
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अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया है कि सभी पक्षों में बातचीत जारी रखने पर सहमति है। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम बहुत निराश हैं। पता नहीं सरकार कैसे मसले को डील कर रही है? किससे चर्चा किया कानून बनाने से पहले? कई बार से कह रहे हैं कि बात हो रही है। क्या बात हो रही है?
याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा, “कम से कम आश्वासन मिलना चाहिए कि आंदोलन स्थगित होगा। सब कमिटी के सामने जाएंगे। इसपर CJI ने कहा कि यही हम चाहते हैं, लेकिन सब कुछ एक ही आदेश से नहीं हो सकता। हम ऐसा नहीं कहेंगे कि कोई आंदोलन न करे। यह कह सकते हैं कि उस जगह पर न करें।”
साल्वे ने आगे कहा कि सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए। लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा, “नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे। कानून पर रोक लगने के बाद भी संगठन चाहें तो आंदोलन जारी रख सकते हैं, लेकिन हम जानना चाहते हैं कि क्या इसके बाद नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे।”
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उन्होंने आगे कहा, “हम कानून वापसी की बात नहीं कर रहे हैं, हम ये पूछ रहे हैं कि आप इसे कैसे संभाल रहे हैं। हम ये नहीं सुनना चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में ही हल हो या नहीं हो। हम बस यही चाहते हैं कि क्या आप इस मामले को बातचीत से सुलझा सकते हैं।”
बता दें कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 46वां दिन है। केंद्र सरकार और किसानों के बीच अब तक सिर्फ दो बातों पर सहमति हुई है। किसान का कहना है कि सरकार किसी भी तरह की खरीद में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी दें। किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी ‘घर वापसी’ सिर्फ ‘कानून वापसी’ के बाद होगी।
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