RTI से खुलासा, ‘लव जिहाद’ से संबंधित कोई डाटा सरकार के पास मौजूद नहीं

RTI से खुलासा, ‘लव जिहाद’ से संबंधित कोई डाटा सरकार के पास मौजूद नहीं

नई दिल्लीः मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने एलान किया है कि वो लव जिहाद के खिलाफ कानून लाने वाली है। प्रदेश सरकार का कहना है कि अगले विधानसभा सत्र में इस पर बिल को पेश किया जाएगा। इससे पहले उत्तर प्रदेश और हरियाना के मुख्यमंत्रियों ने भी कहा था कि वह जल्द लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाएगी। लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि जो सरकारें इस मामले पर कानून बनाने की बात कर रही हैं उसका डाटा उनके पास नहीं है।

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि उनके पास लव जिहाद से जुड़ा कोई डेटा मौजूद नहीं है। आयोग का यह जवाब उसकी प्रमुख रेखा शर्मा के उन दावों के विपरित है, जिसमें उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र में लव जिहाद के मामले बढ़ रहे हैं। 20 अक्टूबर को आयोग की अध्यक्ष ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी और बातचीत में लव जिहाद का मामला उठाया था।

दोनों की मुलाकात के बाद, एनसीडब्ल्यू ने 20 अक्टूबर, 2020 को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर जानकारी दी थी कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने मुलाकात की और दोनों के बीच राज्य में बढ़ रहे लव जिहाद के मामलों सहित कई मुद्दों पर बातचीत हुई। लेकिन अब उसी महिला आयोग का कहना है कि इस मामले से संबंधित कोई भी डाटा उसके पास नहीं है।

अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अनिकेत आगा ने 16 नवंबर को आरटीआई अनुरोध के जवाब में ट्वीट कर कहा कि आयोग ने कहा कि वह लव जिहाद के मामलों का डेटा नहीं रखता है। आगा ने बताया कि आरटीआई के जरिए पता चला है कि एनसीडब्ल्यू ने लव जिहाद को लेकर कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है, जो एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष के दावों को पुख्ता कर सके। आरटीआई के जवाब से पता चला है कि रेखा शर्मा का महाराष्ट्र में बढ़ रहे लव जिहाद के मामलों को लेकर दावा सबूतों पर नहीं बल्कि राजनीति से प्रेरित था।

उल्लेखनीय है कि लव जिहाद हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली एक शब्दावली है, जिसमें कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को जबरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है।

जब अक्टूबर में महाराष्ट्र के राज्यपाल से मुलाकात के बाद आयोग ने ट्वीट किया तब उसकी काफी आलोचना हुई थी। उस घटना के बाद अध्यक्ष रेखा शर्मा के कुछ पुराने ट्वीट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिसमें उनकी तरफ से महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने रेखा शर्मा की आलोचना करते हुए एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष पद से उन्हें हटाए जाने की मांग की थी। जब मामला बढ़ा था तब रेखा शर्मा ने दावा किया था कि उनका ट्विटर हैंडल हैक हुआ था।

रेखा शर्मा ने इसके बाद इन ट्वीट को डिलीट कर अपने ट्विटर अकांउट को प्रोटेक्ट कर दिया था। गौरतलब है कि कोश्यारी से मुलाकात के बाद रेखा शर्मा ने संवाददाताओं से बात भी की थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान उन्होंने आपसी सहमति से दो अलग धर्मों के लोगों के विवाह और लव जिहाद के बीच अंतर को रेखांकित किया और कहा था कि इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। हालांकि, एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष ने तब भी राज्य में लव जिहाद की बढ़ रही शिकायतों को लेकर किसी तरह का डेटा उपलब्ध नहीं कराया था।

वहीं, इस घटना के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले ने एक याचिका दायर कर रेखा शर्मा को एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष पद से हटाए जाने का आग्रह किया था। उन्होंने याचिका में कहा था, “एनसीडब्ल्यू महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक स्वतंत्र संस्था है और इसकी अध्यक्ष स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक और विभाजनकारी बयानबजी में लिप्त है, जो एक धर्मनिरपेक्ष तरीके से काम करने की उनकी क्षमता पर सवाल खड़े करता है।”

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