नई दिल्ली: भारत पूर्व उप-राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी के एक बयान को लेकर विवाद शुरू हो गया है। उन्हें सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी वर्ग द्वारा ट्रोल किया जा रहा है। हामिद अंसारी ने ये बयान एक पुस्तक विमोचन को दौरान दिया जिसके बाद बवाल शुरू हो गया।
पुस्तक के एक वर्चुअल कार्यक्रम में हामिद अंसारी ने शुक्रवार को कहा था, “कोरोना महामारी संकट से पहले ही भारतीय समाज दो अन्य महामारियों- ‘धार्मिक कट्टरता’ और ‘आक्रामक राष्ट्रवाद’ का शिकार हो चुका था। इन दोनों के मुकाबले ‘देश प्रेम’ ज्यादा सकारात्मक अवधारणा है क्योंकि यह सैन्य और सांस्कृतिक रूप से रक्षात्मक है।”
उनके इस बयान पर कुछ लोगों का कहना है कि एक भारत के कुछ सबसे बड़े पदों पर रह चुके हामिद अंसारी की राष्ट्रवाद के बारे में यह सोच अशोभनीय है। भाजपा प्रवक्ता गौरव गोयल ने ट्विटर पर लिखा है, “कांग्रेस की हकीकत एक बार फिर सामने आई। ये वो शख्स हैं जिन्हें पक्षपातपूर्ण रुख रखने वाली कांग्रेस पार्टी ने इस देश का उप-राष्ट्रपति बनाया था।”
भाजपा नेताओं का हमला
वहीं हामिद अंसारी के बयान पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “हिन्दुत्व कभी भी कट्टरपंथी नहीं रहा। हिन्दुत्व हमेशा सहिष्णु रहा है। हिन्दुत्व इस देश की एक प्राचीन जीवनशैली है। हिन्दुओं ने कभी किसी पर या किसी देश पर हमला नहीं किया।”
हालांकि, हामिद अंसारी के बयान को कांग्रेस पार्टी ने सही ठहराया है। पार्टी के नेता तारिक अनवर ने कहा, “बीजेपी को अंसारी के बयानों से खास दिक्कत इसलिए है क्योंकि वो सीधे तौर पर बीजेपी और संघ परिवार के एजेंडे को निशाना बनाता है।”
शशि थरूर की नई किताब
दरअसल, पूर्व उप-राष्ट्रपति ने यह बयान कांग्रेस नेता शशि थरूर की नई किताब ‘द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग’ के डिजिटल विमोचन के मौक पर कल दी थीं। उन्होंने विमोचन के मौके पर देश के मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, “आज देश ऐसी विचारधाराओं से खतरे में दिख रहा है जो देश को ‘हम और वो’ की काल्पनिक श्रेणी के आधार पर बाँटने की कोशिश करती हैं।”
उन्होंने ये भी कहा, “राष्ट्रवाद के खतरों के बारे में बहुत बार लिखा गया है। इसे कुछ मौकों पर ‘वैचारिक जहर’ तक कहा गया है जिसमें व्यक्तिगत अधिकारों को हस्तांतरित करने और स्थानांतरित करने में कोई संकोच नहीं किया जाता।”
हामिद अंसारी ने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा, “चार सालों के कम समय में भी भारत ने एक उदार राष्ट्रवाद के बुनियादी नजरिए से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक ऐसी नई राजनीतिक परिकल्पना तक का सफर तय कर लिया जो सार्वजनिक क्षेत्र में मजबूती से घर कर गई है।”
बता दें कि शशि थरूर की किताब विमोचन के दौरान जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी मौजूद रहें। अब्दुल्ला ने इस मौके पर कहा कि 1947 में हमारे पास मौका था कि हम पाकिस्तान के साथ चले जाते, लेकिन मेरे पिता और अन्य लोगों ने यही सोचा था कि दो राष्ट्र का सिद्धांत हमारे लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि देश को मौजूदा सरकार जिस तरह से देखना चाहती है उसे वो कभी स्वीकार करने वाले नहीं हैं।
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