सुशील कुमार मोदी का इन कारणों से भाजपा ने उनका डिप्टी सीएम पद से पत्ता काटा

सुशील कुमार मोदी का इन कारणों से भाजपा ने उनका डिप्टी सीएम पद से पत्ता काटा

पटना: तमाम दावपेंच के बाद एक बार फिर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। आज 4:30 शपथ ग्रहण समारोह रखा गया है। इन सबके बीच एक नाम जो काफी चर्चा में है वह है- सुशील कुमार मोदी। नीतीश कुमार के साथ तकरीबन 15 सालों तक साथ रहने वाले सुशील मोदी अब उप-मुख्यमंत्री नहीं होंगे। उनकी पार्टी ने मुख्य नेतृत्व से उनका पत्ता कट कर दिया है।

नीतीश कुमार के सबसे विश्वासनीय सुशील मोदी ने कल ट्वीट किया, “बीजेपी एवं संघ परिवार ने मुझे 40 वर्षों के राजनीतिक जीवन में इतना दिया कि शायद किसी दूसरे को नहीं मिला होगा। आगे भी जो जिम्मेवारी मिलेगी उसका निर्वहन करूंगा। कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता।” लेकिन ‘कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता’ वाले लाइन पर लगे हाथ केंद्रीय मंत्री और बिहार बीजेपी नेता गिरिराज सिंह हिदायत देने से नहीं चूकें। उन्होंने उनके ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, “सुशील जी आप बीजेपी के नेता रहेंगे, पद से कोई छोटा बड़ा नहीं होता।”

बताया जाता है कि बिहार बीजेपी का एक धड़ा नीतीश कुमार के लिए अक्सर ‘फिल्डिंग’ करते नजर आते सुशील मोदी से खफा रहता था। चुनाव से पहले जहां एक तरफ बिहार बीजेपी के संजय पासवान, सीपी ठाकुर जैसा नेता नीतीश कुमार की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाने की बात कहते दिखे तो वहीं सुशील मोदी पूरे दमखम के साथ नीतीश कुमार के साथ चलते नजर आए। कुछ लोग ऐसे में मानने लगे थे कि सुशील मोदी की इसी कार्यशैली के चलते बीजेपी प्रदेश में ‘छोटा भाई’ और ‘फॉलोवर’ की भूमिका में रहती है। अब जब बीजेपी मजबूत हुई है प्रदेश में, तो सुशील मोदी का पत्ता काट दिया गया है।

एक तरह से देखा जाए तो बिहार में नीतीश कुमार के बाद एनडीए में सेकेंड जेनेरेशन का नेता कौन है, जो 31 साल के तेजस्वी को टक्कर दे सके? जो हाल जदयू का है वही हाल बीजेपी का भी है। नरेंद्र मोदी अक्सर युवा और युवा राजनीति की बात करते हैं पर यहां बिहार में एक भी ऐसा नेता नहीं है बीजेपी के पास जो चेजस्वी-चिराग के सामने खड़ा हो सके। भले अब बीजेपी के तरफ से किसी यंग लीडर को डिप्टी सीएम बनाया जाए या नहीं पर लेकिन वह पूरी तरह संकेत देने की कोशिश करेगी कि वह राज्य में अकेले सवारी अकेले करने के लिए बदलाव कर रही है।

बिहार सरकार में अब कुल मिलाकर बीजेपी के सबसे बड़े चेहरा ‘सुशील कुमार मोदी’ की राज्य में ‘सियासत’ थम गई है। हालांकि, उन्हें संतुष्ट करने के लिए केंद्र में जगह दी जा सकती है। बिहार में बीजेपी अगड़ों की राजनीति करने के लिए बदनाम रही है इसलिए तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को डिप्टी सीएम के लिए आगे कर रही है। अगर बात सुशील मोदी के सियासी सफर की करें तो उन्होंने पटना छात्रसंघ के महामंत्री से अपने सियासी सफर की शुरूआत की। 2005 में डिप्टी सीएम बने और मौजूदा नीतीश सरकार तक उनके साथ रहे। पहली बार साल 2000 में संसदीय कार्यमंत्री बने, फिर 2005 से 2013 तक बिहार सरकार में डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री की भूमिका में रहे।

सुशील मोदी साल 1986 से 1997 तक संघ के प्रचारक होने के नाते विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक कार्यकर्ता रहे और पहली बार साल 1990 में विधानसभा पहुंचे। साल 1995 और 2000 में पटना केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र से ही जीतकर वो विधायक बने। उन्होंने साल 2004 में संसद का रुख किया और भागलपुर से लोकसभा चुनाव जीते। पर उन्होंने अगले ही साल इस्तीफा दे दिया और विधान परिषद के रास्ते बिहार सरकार डिप्टी सीएम बने। 2012 और 2018 में विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए। अब माना जा रहा है कि पार्टी के तरफ से उन्हें केंद्र में बुलाया जाएगा और नीतीश कुमार को हटाकर प्रथम श्रेणी में आने की कोशिश की जाएगी।

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