नई दिल्ली: कांग्रेस लगातार बिहार विधानसभा चुनाव और उप-चुनाव के बाद आंतरिक कलह का सामना कर रही है। कांग्रेस के कई बड़े नेता खुलकर पार्टी नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं। पहले कपिल सिब्बल के बयानों को लेकर विवाद हुआ और उसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने जमकर पार्टी नेताओं की क्लास लगाई।
अब कांग्रेस वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि चुनावों में हार को लेकर पार्टी के नेता चिंतित है। एएनआई समाचार एजेंसी से बात करते हुए आजाद ने कहा, “हम सभी हारों से चिंतित हैं, खासतौर से बिहार और उपचुनावों के नतीजों से। मैं हार के लिए लीडरशिप को जिम्मेदार नहीं मानता हूं। हमारे लोगों ने जमीनी स्तर पर जुड़ाव खो दिया है।” उन्होंने इसके बाद कहा कि आपको पार्टी से प्यार होना चाहिए।
आजाद ने इतना ही नहीं पार्टी के नेताओं के व्यवहारों पर भी जमकर सवाल उठाए। उन्होंने पार्टी कल्चर पर सवाल उठाते हुए कहा, “चुनाव 5 स्टार कल्चर से नहीं जीते जाते हैं। आज के नेताओं के साथ परेशानी यह है कि अगर उन्हें पार्टी से टिकट मिल जाता है, तो वे पहले 5 स्टार होटल बुक कराते हैं। अगर रोड खराब है तो वे कहीं नहीं जाते। जब तक 5 स्टार कल्चर को खत्म नहीं किया जाता, कोई भी चुनाव नहीं जीत सकता है।”
इससे पहले कपिल सिब्बल ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सिर्फ बिहार में ही नहीं, बल्कि देश में जहां-जहां भी चुनाव और उप-चुनाव हुए हैं, वहां लोग कांग्रेस को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं।
सिब्बल ने पार्टी लीडरशिप पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने पिछले छह सालों में आत्मविश्लेषण नहीं किया है तो अब क्या उम्मीद है कि अभी करेगी? हमें पता है कि कांग्रेस में क्या गलत है। संगठनात्मक रूप से, हम जानते हैं कि क्या गलत है। मुझे लगता है कि हमारे पास सभी जवाब हैं। कांग्रेस पार्टी खुद ही सारे जवाब जानती है। लेकिन वे उन जवाबों को पहचानने की इच्छुक नहीं हैं।
सिब्बल के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने साथी कांग्रेसी नेताओं की जमकर क्लास लगाई थी। खड़गे ने कहा कि पार्टी को कमजोर करने में कांग्रेस नेताओं सबसे बड़ी भूमिका रही है। खड़गे ने कहा कि एक तरफ हमारे सामने बीजेपी-आरएसएस की चुनौती है और दूसरी तरफ हमारी पार्टी की आंतरिक कलह। जब तक हमें हमारे ही लोग कमजोर करते रहेंगे तबतक हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। यदि हमारी विचारधारा कमजोर होती है तो हम खत्म हो जाएंगे।
हालांकि, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद बीते दिनों कहा कि यह कौन तय करेगा कि पार्टी में अंतरिम अध्यक्ष का एक साल रहना ज्यादा लंबा समय है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नए अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया में अगर समय लग रहा है, तो हो सकता है कि इसके पीछे कोई अच्छा कारण हो।
सलमान खुर्शीद ने कहा “कोई दूर नहीं गया है, सभी यहीं हैं। केवल लेबल की बात पर जोर दे रहे हैं। आप क्यों लेबल पर जोर दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि बहुजन समाज पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है, वाम दलों में कोई चेयरमैन नहीं है, केवल महासचिव हैं। सभी पार्टियां एक मॉडल पर नहीं चल सकतीं। उन्होंने कहा कि पार्टी के पास अंतरिम रूप में सोनिया गांधी हैं, जो कि संविधान से बाहर की चीज नहीं है।
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