हरियाणा में शुक्रवार को हिंदूवादी संगठन के लोगों ने एक चर्च में घुसकर मारपीट की थी। अब कर्नाटक में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। यहां के चर्च और ईसाइयों के अन्य धार्मिक स्थल पर तोड़फोड़ करने की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं। यह ताजा मामला कर्नाटक के कोलर शहर में पेश आया।
खबरों के मुकाबिक, हिंदूवादी संगठन के कुछ लोगों ने कोलर में ईसाई धर्म की धार्मिक किताबों को आग के हवाले कर दिया। हालांकि, अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि ईसाई धर्म के लोगों को धर्म का प्रचार प्रसार करने से पहले ही मना किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब ईसाई समुदाय के लोग प्रचार अभियान के तहत घर-घर जा रहे थे। इस दौरान हिंदूवादी संगठन के लोगों ने उन्हें रोका और पूछताछ की जिसके बाद उन्होंने पुस्तिकाएं छीन लीं और उनमें आग लगा दी।
In Kolar, Karnataka Christian preachers were stopped and their religious books were burnt on Friday. @TheQuint pic.twitter.com/gp50qd9icx
— Nikhila Henry (@NikhilaHenry) December 12, 2021
दक्षिणपंथी सदस्यों में यह स्वीकार करते हुए कि वे धार्मिक पुस्तकें जला रहे थे, जो देकर कहा कि उन्होंने कोई हिंसा नहीं की। उन्होंने मीडिया को बताया, “हमने उन्हें परेशान नहीं किया। वे हमारे पड़ोस में किताबें बांट रहे थे और ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे थे।”
कुछ दिनों पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने धर्म परिवर्तन के मामले पर कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन पर विधेयक लाकर राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में चर्चा के लिए रखा जाएगा यह राज्य में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए होगा।
#Christian priests harassed & their literature burnt at #Srinivaspura #Kolar. Priests were conducting prayer meet at a local house;when some locals alleging forceful #conversion barged into the house.They handed over the priests to cops.And burnt their literature. #Karnataka pic.twitter.com/kXZPAfMUP4
— Imran Khan (@KeypadGuerilla) December 12, 2021
मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा था, “बिल केवल लालच द्वारा धर्मांतरण को रोकने के लिए है।” उन्होंने उत्तर प्रदेश में एक कानून के संदर्भ में कहा कि अधिकांश लोग चाहते हैं कि अन्य राज्यों में बनाए गए कानूनों का अध्ययन करने के बाद राज्य में भी ऐसा ही कानून लाया जाए।
भले ही भाजपा और आरएसएस के जुड़े लोग धर्म प्रचार को लेकर उग्र रहे हों पर संविधान इसकी पूरी तरह इजाजत देता है। बशर्ते दूसरे धर्म के प्रति अपमान का बिंदु न छुपा हो। देखा जाए तो भाजपा शासित राज्यों में बीते कुछ सालों में अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़े हैं।
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