लड़का-लड़की ‘पिज्जा’ खाने बाहर निकले और पुलिस ने ‘लव जिहाद’ का केस बना दिया

लड़का-लड़की ‘पिज्जा’ खाने बाहर निकले और पुलिस ने ‘लव जिहाद’ का केस बना दिया

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में बीते दिनों एक युवक को लव जिहाद मामले में गिरफ्तार किया था। लड़के को जबरन धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया था। आरोपी सोनू उर्फ शाकिब के खिलाफ धर्मांतरण निरोधक कानून के अलावा पुलिस ने अपहरण, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण संबंधी अधिनियम (पोक्सो) की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया है।

मामले को लेकर तब एसपी (ग्रामीण) संजय कुमार ने बताया था कि आरोपी साकिब ने एक लड़की को किडनैप किया और उसे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया। संजय कुमार ने बताया, “धामपुर की एक लड़की पिछले कुछ दिनों से गायब थी। पुलिस ने युवक और नाबालिग दोनों को बरामद कर लिया है। पूछताछ के बाद युवक को अपहरण और जबरन धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया है।”

लेकिन दि प्रिंट वेबसाइट ने एक रिपोर्ट प्रकाशित किया है जिसके मुताबिक, जिस 18 वर्षीय सोनू उर्फ साकिब को पुलिस ने धर्मांतरण कानून के तहत जेल में बंद कर दिया वह दरअसल 18 दिसंबर को दलित लड़की (16) और अपनी पूर्व सहपाठी के साथ पिज्जा खाने बाहर गया था। पिज्जा खाने के बाद दोनों ने सॉफ्ट ड्रिंक ली और वॉक पर निकल आए। शाकिब की इस घटना के बाद ही मुसीबतें बढ़ने लगीं। पुलिस ने लड़की को कथित तौर पर प्यार के जाल में फंसाने और धर्म परिवर्तन के आरोप में लड़के को जेल में डाल दिया।

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शाकिब के खिलाफ इस कथित मामले मेंनया विवाद खड़ा हो गया है। अब लड़की के पिता ने आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिस ने खुद बोलकर यह शिकायत दर्ज कराई है और इस पूरे मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया है कि उनकी बेटी ने भागने की कोशिश की गई थी। वहीं लड़की ने जोर देकर कहा कि सोनू ने कभी उससे शादी या धर्मांतरण को लेकर कोई बात नहीं की।

पुलिस का दावा है कि सोनू 18 साल का है पर उसके परिवार का कहना है कि वह नाबालिग है। लड़की के इस दावे पर भी लड़के वालों ने सवाल उठाया है कि वह उसके धर्म के बारे में अनजान थी। दिप्रिंट ने लड़की के पिता की शिकायत के हवाले से लिखा है कि उनकी शिकायत में किसी भी यौन हमले का जिक्र नहीं है, लेकिन पुलिस ने लड़की की उम्र का हवाला देकर शाकिब के खिलाफ मामले में अपना बचाव कर रही है। पुलिस ने अपना बचाव करते हुए कहा कि इससे उसके इरादों का पता चलता है। उन्होंने इस आरोप का भी खंडन किया कि पिता को बोल करके शिकायत दर्ज कराई थी।

दिप्रिंट से बातचीत में लड़की के पिता ने बताया है, “मैंने उन्हें (पुलिस को) बताया कि वह उसके साथ बाहर घूमने गई थी और उसने गलती की है, लेकिन पुलिस और फिर मीडिया ने आकर इसे तिल का ताड़ बना दिया।” उन्होंने आगे बताया, “मैंने पुलिस से कहा था कि मैं शिकायत नहीं करना चाहता, लेकिन उन्होंने मुझे डांट दिया और कहा कि बाद में वे भाग सकते हैं और मुझे अपनी बेटी के लिए ऐसा करना चाहिए। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या कैसे होता है, इसलिए मैं तैयार हो गया।”

जिस किसान पिता के शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, उसमें लिखा है, “सोनू मेरी लड़की…को शादी करने और धर्म परिवर्तन करने के इरादे से बहला फुसलाकर भगा के ले गया।” जबकि लड़की के पिता का कहना है कि उन्होंने पुलिस से ऐसा कभी नहीं कहा था।

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लड़की के पिता ने कहा, “उसने जब कभी शादी या अपना धर्म बदलने की बात नहीं की, तो मैं अपनी शिकायत में ऐसा क्यों कहूंगा? लेकिन शायद उसका इरादा यही हो, मैं कुछ नहीं कह सकता। उसने सिर्फ अपने नाम के बारे में झूठ बोला था। मेरी बेटी को यह नहीं बताया कि वह मुस्लिम है, लेकिन उसने शादी या अपने धर्म को बदलने के इरादे का उल्लेख नहीं किया। मैंने यह नहीं लिखाया था।

अपनी पिता की बातों को दोहराते हुए लड़की ने भी कहा कि वह दोनों सिर्फ ‘घूमने’ गए थे और आरोपी शाकिब ने कभी भी उससे शादी करने या अपना धर्म बदलने के लिए नहीं कहा। लड़की ने बताया, “शादी जैसी कोई बात नहीं थी। हम कभी-कभी मिलते थे या फोन पर बात करते थे। उस रात भी मैं उससे मिलने के लिए बाहर गई थी। हम कहीं भागकर नहीं जा रहे थे।” लड़की ने बताया कि मजिस्ट्रेट के सामने भी उसने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत यही बयान दिया। उसने स्पष्ट किया कि शाकिब ने उस पर कभी शादी या धर्मांतरण का दबाव नहीं डाला।

पिता की शिकायत में किसी भी यौन हमले या अपहरण की कोशिश का जिक्र नहीं है। जबकि पुलिस ने दावा है कि लड़की के नाबालिग होने के कारण अपहरण की धाराएं और पॉक्सो तो ‘स्वत: लागू’ होते हैं। धामपुर के अजय कुमार अग्रवाल ने कहा, “अगर वह स्वेच्छा से भी उसके साथ गई थी तो भी नाबालिग होने के कारण उसे अपहरण माना जाएगा। ऐसे मामलों में हम मानते हैं कि संबंधित व्यक्ति अपराध के इरादे से ही नाबालिग को साथ ले गया होगा और इसीलिए इन धाराओं को लागू किया गया। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लड़की क्या कहती है।”

अग्रवाल ने आगे कहा, “कारण जो भी रहा हो लेकिन यह तथ्य कि सोनू एक नाबालिग को उसके घर से लेकर गया था, हमारे लिए मामले को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत है।” हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों से साफ इनकार किया कि उन्होंने लड़की पिता को ऐसी शिकायत दर्ज कराने के लिए मजबूर किया था। धामपुर पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया,”पुलिस कैसे किसी को शिकायत दर्ज कराने के लिए बाध्य कर सकती है? यह निराधार है। उसने हमारे पास आकर यह शिकायत दी थी। पहले वह शिकायत दर्ज कराने से हिचक रहा था क्योंकि उसे अपनी लड़की की सुरक्षा का खतरा सता रहा था। एक बार जब हमने उसे आश्वस्त किया कि वह सुरक्षित रहेगी, तब उसने शिकायत दर्ज कराई।”

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एफआईआर में ये बी लिखा है कि लड़की किसी तरह सोनू से ‘बचकर’ 14 दिसंबर की रात तो घर आ गई। पर लड़की के घर वालों और गांव के लोगों का कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। दि प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 14 दिसंबर को रात के 11 बजे थे, जब लड़की सोनू से मिलने के लिए अपने घर से निकली और दोनों सोनू द्वारा लाया गया पिज्जा खाने के लिए टहलते हुए नसीरपुर गांव पहुंचे। लड़की ने बताया, “वह पिज्जा लेकर आया था और हम नसीरपुर गांव (अपने घर से 4 किमी) चले गए।” लेकिन दोनों के लिए मुसिबत तब घड़ी हो गई जब गांव के कुछ स्थानीय लोगों ने दोनों को वहां साथ टहलते देख लिया।

नसीरपुर के प्रधान मनोज कुमार ने बताया, “वे आधी रात को गांव में घूम रहे थे। किसी ने उन्हें एक मंदिर के पास भोजन करते हुए भी देखा। जब गांव के कुछ लड़कों ने उन्हें रोकने और सवाल पूछने की कोशिश की, तो लड़की एक दिशा में और लड़का दूसरी दिशा में चला गया। लड़कों ने तब और लोगों को बुलाया और उन दोनों का पीछा करना शुरू कर दिया।”

प्रधान ने आगे बताया, “वे पिछले एक सप्ताह से इस गांव में आ रहे थे, लेकिन उस दिन पकड़े गए। प्रधान का कहना है कि लड़की को पकड़ने के बाद स्थानीय निवासियों ने उससे सोनू और उसके पिता को फोन कराया। उन्होंने कहा, “हमने उसे सोनू से यह कहने को कहा कि वह जहां भी छिपा है, बाहर आ जाए और लड़की से अपने पिता को भी बुलाने को कहा। फिर दोनों को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे।”

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पिता ने जब अपनी लड़की से पूछा कि क्या वह जानती है कि सोनू मुसमान है, तो उनकी बेटी ने बताया कि वह इसके बारे में नहीं जानती थी। दिप्रिंट वेबसाइट ने लड़की के हवाले से लिखा है कि सोनू कक्षा 4 तक लड़की का सहपाठी था। उसने दावा किया कि दो महीने पहले वह सोनू से फिर से मिली थी। उसके बाद दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई। लेकिन लड़के ने ये नहीं बताया था कि वह मुस्लिम है।

लड़की ने बताया, “मुझे नहीं पता था कि वह मुस्लिम था। उस दिन जब हम बात कर रहे थे, मैंने उससे कहा कि मुझे मुसलमान पसंद नहीं हैं। तभी उसने मुझे अपना नाम शाकिब बताया था। मैंने तब उससे कहा कि मैं अब उसके साथ नहीं रहना चाहती। अगर वह हिंदू होता तो कोई दिक्कत नहीं थी।” हालांकि, प्रधान मनोज कुमार का कहना है कि लड़की को सोनू की असली पहचान के बारे में पता था।

उन्होंने कहा, “सोनू और लड़की आसपास के गांवों में केवल 1.5 किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं और उसे उसकी पहचान के बारे में पता था। किरारखेड़ी (जहां सोनू रहता है) एक मुस्लिम आबादी वाला गांव है, वह जानती थी कि सोनू शाकिब है।” उधर, किरारखेड़ी गांव में सोनू के परिवारवालों का आरोप है कि सोनू को फंसाया गया क्योंकि वह मुसलमान है। लड़के की माँ संजीदा ने बताया कि उनका बेटा नाबालिग है, जिसका जन्म 2003 में हुआ था। पर परिवारवालों के पास उसके जन्मतिथि साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं है।

संजीदा ने कहा, “मेरा बच्चा सिर्फ 17 साल का है। सिर्फ इसलिए कि दो किशोरों के बीच बातचीत हो रही थी, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है।” वहीं सोनू की भाभी सबीना ने बताया कि सोनू से मिलने के लिए लड़की उसके गांव किरारखेड़ी आई थी और वह मुसलमान है उसके बारे में वह जानती थी। सबीना ने कहा कि लड़की ने दबाव में अपना बयान बदल दिया है।

सबीना ने बताया, “वह लड़की उससे मिलने के लिए इस गांव आ चुकी है और ऐसी कोई वजह नहीं कि उसे यह पता न हो कि वह मुस्लिम है। इसके अलावा, वह तो एक अन्य दोस्त के साथ वहां सिर्फ उससे मिलने गया था। वे कहीं भाग नहीं रहे थे। क्या किसी हिंदू लड़की से मिलना भी अब एक अपराध है?” सोनू की भाभी आगे कहा, “वह अक्सर उस लड़की के साथ फोन पर बात करता रहता था और मैंने उसे चेतावनी भी दी थी। एक बार वह लड़की उससे मिलने हमारे गांव आई थी और मैंने उसे छोड़ने के लिए कहा था। वह जानती थी कि शाकिब एक मुस्लिम है। इस गांव में कोई हिंदू नहीं रहता है। अब वह अपना बयान बदल रही है क्योंकि अपने माता-पिता से डर रही है।”

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सोनू की भाभी के मुताबिक, वह जालंधर में राजमिस्त्री का काम करता था। जब लॉकडाउन हुआ तो किरारखेड़ी स्थित अपने घर लौट आया। सबीना ने कहा, “उसे सलाखों के पीछे डाल दिया गया है क्योंकि वह मुस्लिम है और यही उसकी गलती है। साथ ही संजीदा ने कहा कि सोनू अपने परिवार के लिए कमाने वाला एकमात्र सदस्य था। उसने यह कहते हुए बेबसी जताई कि उसके पास तो सोनू के लिए वकील करने तक के पैसे नहीं हैं।

वहीं, किरारखेड़ी के प्रधान इस्माइल ने बताया कि वे सोनू के दस्तावेज जुटाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि साबित हो सके कि वह नाबालिग है। प्रधान ने आगे बताया, “यह दो बच्चों द्वारा अपने माता-पिता की जानकारी के बिना आपस में मिलने की गलती का यह नतीजा है। लेकिन क्या किसी 17 वर्षीय किशोर को इस तरह हत्या और बलात्कार जैसे मामलों की सजा काट रहे अपराधियों के साथ सलाखों के पीछे डाला जाना ठीक है?” उन्होंने ये भी कहा कि ग्राम प्रधानों के हस्तक्षेप से यह मामला सुलझाया जा सकता था, लेकिन पुलिस ने जोर देकर कहा कि यह एक केस है और अब सोनू जेल में है।

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